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सूझरणो
( ८३५ )
सूत्रकरम
सूमणो (बो)-क्रि० १ दिखाई देना, दृष्टिगत होना, दिखना । | सूतकाळी-पु० किसी को मृत्यु के नौवें दिन परिवार एवं
२ समझ में पाना ध्यान में प्राना, मन में माना । ३ बुद्धि सम्बन्धियों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक स्नान । से उपजना, ज्ञान चक्षुषों से समझना । ४ याद रहना, | सूतकी-वि० [सं० सूतकिन् ] जिसके घर या परिवार में स्मरण रहना । ५ प्रवृत्ति होना, मन में माना । ६ योग | 'सूतक' हो। बनना, संयोग होना । ७ चलना । ८ उत्पन्न होना, उठना। सूतगड-पु. [सं० सूतकृत] तीर्थ करों द्वारा पर्थ रूप में उत्पन्न ९ अनुभव होना, समझ में पाना ।
- कर गणधरों द्वारा ग्रन्थ रूप दिया साहित्य । (जैन) सूझतउ, सुझती-वि० (स्त्री० सूझती) १ प्रांखों वाला, दृष्टि सूतडाचींटूडी-स्त्री० पैर का प्राभूषण विशेष ।
वाला । २ विशुद्ध, निर्दोष -क्रि० वि०१ देखते व समझते | सूतड़ो-पु० हाथ का प्राभूषण विशेष । हुए। २ दिखते, दिखाई देते हुए।
सूतज-पु० [सं०] दानवीर राजा कर्ण। सूझबूझ-स्त्री० सोचने-समझने की बुद्धि, सूक्ष्म दृष्टि । सूतण-देखो 'सूथण' । सूमारणौ (बो), सूझावरणो (क)-देखो 'सझाणी' (बो)। सूततनय-पु० [सं०] राजा कर्ण। सूटो-देखो सूवौ' ।
सूतनंदन-पु० [सं०] राजा कर्ण । सूठ-वि० [सं० सुष्ठ] उत्तम, श्रेष्ठ ।
सूतनउमा-पु० [सं० उमा-सुत] १ स्वामिकात्तिकेय । २ गणेश, सूण-१ देखो 'सगुन' । २ देखो 'सकुन'।
गजानन । सूरणघर, सूणहर-पु० [सं० शयन-गृह] सोने का कमरा, | सूतपाळ-पु० [सं० सूतपाल] कर्ण । शयनकक्ष ।
सूतबंधी-स्त्री० सीध, सोधाई । -क्रि०वि० सीधे लक्ष्य की पोर । सूणांपो, सूणापो -पु० सौन्दर्य ।
सूतर-१ देखो 'सूत्र' । २ देखो 'सूत' । सूरणी-वि० (स्त्री० सूरणी) १ सुहावना, सुन्दर, मनोहर । २ युक्त | सूतक
सूतळ-वि० सूत का, सूत संबंधी। -क्रि० वि०.१ तक, पर्यन्त । २ सहित, साथ ।-पु. लोहे
| सूतळी-स्त्री०१ जूट के बारीक रेशों की बनी पतली डोरी जो का मोटा चिमटा विशेष ।
बोरे सिलने के काम माती है । २ सत की पतली डोरी।
स्तहार, सूतार-देखो 'सूथार'। सूणौ (बौ)-देखो 'सूवरो' (बी)।
सूतिका-देखो 'सूतका'। सूत, स त-पु० [सं० सूत्र] १ धुनी हुई रूई को कात कर तैयार |
यार | सतिकारोग-पु. प्रसव के कुछ समय बाद स्त्री के होने वाला किया हमा बारीक कच्चा धागा, तंतु या रेशा । २ कच्चे रोग विशेष । रेशों का बना बारीक डोरा । ३ ऐसे डोरों या कच्चे तागों|तियो-देखो 'सत'। का बना वस्त्र, सूती वस्त्र । ४ साफा, पगड़ी। ५ रूई।
६। | सूती-वि० १ सूत का, सूत सबंधी । २ सूत का बना हुमा । ६ रस्सी, डोरी। ७ चुनाई, दीवार की सीध नापने का
| -पु. सूत का वस्त्र।। डोरा। सूत का ढेर। ९ द्विज का जनेऊ । १० प्राभूषण, | सतोडो, सती-वि० [सं० सुप्त] (स्त्री० सूतोड़ी, सूती) १ सोया गहना । ११ संपत्ति, धन पूजो । १२ संचय, संग्रह।
हुमा, सुप्त । २ बेहोश, गाफिल । ३ निद्रित । १३ संबंध। १४ विधान, नियम, कायदा । १५ विधि, | सत्र-पू० [सं० सूत्र] १ थोड़े से शब्दों में कही जाने वाली तरीका । १६ ढंग, हालत । १७ कार्य, काम । १८ उपक्रम । सार्थक बात, सारगभित एवं गूढार्थी पद, वाक्य । २ कटि १६ प्रभाव, प्रताप । २० मार्ग। २१ रूप, सौंदर्य ।
सूत्र, करधनी की तरह बांधा जाने वाला डोरा । ३ यज्ञो२२ बंदीजन, भाट । २३ रथ हांकने वाला सारथी।
पवीत, जनेऊ । ४ जैन शास्त्र, नागम । ५ संक्षेप में जीव २४ वेदव्यास का शिष्य एक ऋषि । २५ बढ़ई । २६ एक
अजीव प्रादि पदार्थों की सूचना करने वाला पद या वाक्य । प्राचीन वर्णसंकर जाति । २७ इस जाति का व्यक्ति ।
(जैन) ६ किसी प्रकार की व्यवस्था करने का नियम । २८ व्यवस्था, प्रबन्ध । २९ सीध, सीधाई । ३० घोड़ी या
.७ किसो समस्या का हल निकालने की युक्ति या उपाय । ऊंटनी की योनि । -वि०१ सीधा । २ श्रेष्ठ, उत्तम ।
८ काष्ठ, लकड़ी। ९ देखो 'सूत' । सूतक-पु० [सं०] १ संतान के जन्म पर गृह परिवार में होने | सूत्रकठ-पु० [सं०] १ ब्राह्मण, द्विज । २ कबूतर . ३ खंजन ।
वाला प्रशौच, प्रसूतिका अवधि, जन्म सूतक । २ सूर्य-चन्द्र सूत्रक-पु० [सं०] लोहे के तारों का बना कवच । का ग्रहण काल, ग्रहण प्रशौच । ३ मत्यु के कारण होने
सूत्रकरम-पु० [सं० सूत्रकर्मन्] १ बढ़ई का कार्य या कर्म । पशौच । ४ पारा, पारद ।
२ बेल-बूटे कसीदा निकालने की क्रिया । ३ चौसठ कलामों सूतका-स्त्री० [स०] सद्यः प्रसूता स्त्री, प्रसूता स्त्री।
में से एक।
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