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पाइगह
पाखरांण
पाइगह-देखो 'पायगा'।
पाकती-क्रि०वि० १ निकट, समीप, पास में। २पावं में, पाइरिण-देखो 'पोयणी'।
बगल में । पाइदळ-देखो 'पाईदळ' ।
पाकथांन-पु० [सं० पाकस्थान] १ पाकशाला, रसोईघर । पाइल-देखो 'पायल'।
२ पवित्र स्थान । ३ पाकिस्तान । पाइली-देखो 'पायली'।
पाकरिपु-पु० [सं०] इन पाई-स्त्री. १ पैसे का तिहाई भाग एक प्राचीन सिक्का ।
पाकसाळा-स्त्री० [सं० पाकशाला] रसोईघर । रसौड़ा । २ छोटी खड़ी रेखा । ३ इकाई का चतुर्थांश । ४ झड़बेरी पाकसासण, पाकसासन-पु० [सं० पाक शासन] इन्द्र । के सूखे कांटों का बड़ा गुच्छा ।
पाकसिया-स्त्री० रामावत साधुओं की एक शाखा।
पाकारि-पु० [सं०] इन्द्र । पाईक (कु)-देखो 'पायक' । पाईगह-देखो 'पायगा'।
पाकिस्तान-पु. भारत के पश्चिम में स्थित एक मुश्लिम देश । पाईता-पु. एक वणिक छन्द विशेष ।
पाकेट, पाकेद-पु० ऊंट । पाईवळ-पु० [स. पदाति] पंदल सिपाही।
पाकोड़ो-वि०(स्त्री० पाकोड़ी) पका हुमा, परिपक्व ।
पाको-वि० [सं० पक्व] (स्त्री० पाकी) १ पका हुआ । २ वृद्ध । पाउंडो-देखो 'पांवडो'। पाउं, पाउ-१ देखो 'पद' । २ देखो 'पाऊ' ।
३ चतुर, निपुण । ४ देखो 'पक्को'। पाउरदोस-पु० [सं० प्रकाश-दोष] दीपक, मणि आदि के पाक्षिक-वि० [सं०] १ पक्ष या पखवाड़े से संबंधित । २ तरफप्रकाश से लगने वाला दोष । (जैन)
दार, मददगार। ३ अच्छे वंश का। ४ पन्द्रह-पन्द्रह दिन
में प्रकाशित होने वाला या बनने वाला। पाउधारौ-देखो ‘पधारौ'। पाउल-देखो पाटल'।
| पाखंड-पु० [सं० पाखण्ड] १ वेद विरुद्ध माचरण । २ ढोंग, पाउस-देखो 'पावस'।
स्वांग, आडंबर । ३ षट् दर्शनों में से एक अथवा प्रत्येक । पाऊ-पु. १ ऊपर से. मुड़ा हुआ लोहे का मोटा कीला।
४ शरारत, नीचता। ५ कपट, धोखा। ६ ९६ की २ देखो 'पद'।
संख्या *। पाए-देखो 'पद'।
| पाखंडी-वि० [सं० पाषण्डिन्] १ वेद विरुद्ध प्राचरण करने पाएल-१ देखो 'पदल' । २ देखो 'पायल' ।
वाला। २ षट्दर्शनी। ३ ढोंगी कपटी,। ४ धोखेपाओला-स्त्री० [सं० पाद-प्रवलि] चमड़े की कसों में गुथी
बाज, धूर्त, नीच । ५ शरारती।
पाख-क्रि०वि०१ मोर, तरफ। २ देखो 'पक्ष'। ३ देखो घुघुरुषों को दो पट्टियां।
'पाखर'। पाक-वि० [फा०] १ पवित्र, शुद्ध, निर्मल । २ पाप रहित, निर्दोष । [सं० पाक:] ३ पकाया हपा। ४ पकने योग्य ।
| पाखइ-देखो 'पखै'। ५ अनुकूल पड़ने वाला । -पु. १ पकने की क्रिया या भाव ।
पाखड़ी-स्त्री० १ प्रांख की पलक । २ देखो 'पांख'। २ पका हुआ अन्न, भोजन, मिठाई। ३ मिठाई, मिष्ठान्न । | पाखड़ो-पु० १ ऊंट के चारजामे के बाजू की लकड़ी । २ ऊंट ४ मिश्री, चीनी या शहद के योग से बना पौष्टिक खाद्य | या भैंस का अगला पांव बांधने का बंधन । पदार्थ । ५ पचने की क्रिया । ६ घाव पकने की अवस्था । | पाखति, पाखती-देखो 'पाकती' । ७ बालों की सफेदी, पकाव । ८ लकड़ी के मध्य का
| पाखर-वि० [सं० प्रक्खर] तीक्ष्ण, तेज। -पु० [सं० प्रखर] परिपक्व भाग। ९ एक दैत्य विशेष । १० बालक, बच्चा।
१ युद्ध के समय हाथी या घोड़े पर डाली जाने वाली झूल, ११ कर्मविपाक । १२ पाकिस्तान ।
कवच । २ कोहरा, धुंध । ३ कवच । पाकर-पु० [सं० पर्कटी] प्लक्ष नामक वृक्ष विशेष ।
पाखरड़, पाखरडो-देखो 'पाखर'। पाकड़णौ (बौ)-देखो 'पकड़णी' (बी)।
पाखरणी (बो)-क्रि०वि० [सं० प्रखर] १ कवच, शस्त्रादि से पाकठ-वि० १ पका हुमा । २ अनुभवी।
सज्जित होना । २ घोड़े प्रादि पर जीन या पाखर कसना। पाकरणो (बो)-क्रि० [सं० पचष्] १ अनाज, फल आदि परिपक्व पाखरवंत, पाखरवत-वि० [सं० प्रक्ख रवत् कवच, झूल, जीन
होना, पकना। २ अांच या गर्मी पाकर पकाव लेना। शस्त्रादि से सज्जित । ३ घाव भरना, घाव में पीप पड़ना । ४ देखो पकणी' (बो)। पाखरांण-देखो 'पाखर'।
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