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प्रकासत
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( १०० )
प्रकासत - देखो 'प्रकासित' ।
प्रकास भूप पु० [सं० प्रकाश भूप] सूर्य, भानु । प्रकासदांन पु० मकान या किसी कक्ष का रोशनदान, वातायन । प्रकासन - देखो 'प्रकासरण' ।
प्रकासमान, प्रकासवांन वि० [सं० प्रकाशमान ] चमकने वाला, चमकीला । उदयीमान । प्रकासित वि० [सं० प्रकाशित] १ जिससे प्रकाश निकल रहा हो, चमकता हुआ, रोशन २ जिसका प्रकाशन हो रहा हो. हो गया हो, प्रगट, प्रकाशित ३ प्रगट, सामने, चौड़ में आया हुआ । ४ दृश्यमान । ५ प्रत्यक्ष । प्रकासी वि० [सं० प्रकाशित्] १ चमकता हुआ चमकीला, प्रकाशमान । २ साफ, उज्ज्वल । ३ प्रकाश करने वाला ।
प्रकीरण - पु० [सं० प्रकीर्ण] १ फुटकर कविताओं का संग्रह | | २ किसी पुस्तक का अध्याय । ३ विभिन्न वस्तुओंों का संग्रह |
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प्रकीररक - पु० [सं० प्रकीर्णक] १ ग्रंथ का अध्याय, प्रकरण । २ चंवर । ३ घोड़ा । वि० १ फुटकर । २ बिखरा हुआ प्रकीरतन पु० [सं० प्रकीर्तनम् ] १ घोषणा । में कीर्तन |
२ ऊंची श्रावाज
प्रकुचित वि० [सं०] फूड कुपित रूप में, उम्र प्रकुस्मांडी - स्त्री० [सं० प्रकुष्माण्डी] दुर्गा | प्रकोप - पु० [सं०] १ अधिक क्रोध । २ प्रबल व उग्र प्रभाव । ३ रोग का अधिक विस्तार, व्यापकता । ४ शरीरस्थ वात, पित्त, कप आदि में से किसी की विकृति । ५ क्षोभ, दुःख । ६ किसी की नाराजगी के कारण होने वाला प्रभाव । प्रकोर पु० [सं० प्रकोष्ठ १ कोहनी के नीचे का भाग।
२ चारों ओर इमारत से घिरा खुला प्रांगन । ३ बाहरी बैठक का कमरा, कक्ष । ४ कोई विभाग या कक्ष, कोष्ठक प्रक्कास - देखो 'प्रकास' ।
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प्राणों (यौ) - देखो 'प्रकासणी' (बी)।
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प्रत वि० [सं० प्रकृत] १ असली यवार्थ २ स्वाभाविक । ३ देखो 'प्रक्रति' ।
प्रति, प्रती (ति, सी) स्त्री० [सं० प्रकृति] १ वह धनादि शक्ति जो समस्त विश्व के सृजन, विनाश आदि समस्त क्रियानों का उद्गम स्रोत है । २ प्राणी या वस्तु का जन्मजात गुण, स्वभाव, प्रवृत्ति । ३ वह स्थान जहां वनस्पतियां, पशु, पक्षी आदि अपने मूल रूप में दिखाई देते हों। ४ मनुष्य का जन्मजात गुण जिससे वह शुभाशुभ प्राचरण करता हो। ५ घावास, निर्वाह की वह व्यवस्था जिसके अन्तर्गत मनुष्य मूलभूत पदार्थों का मौलिक स्थिति में उपभोग करता है। ६ माबोहवा वातावरण, जलवायु ।
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७ वैद्यक के अनुसार शरीर रचना व प्रवृत्ति के सात विभाग ८ व्याकरण में वह मूल धातु रूप जिसके उपसर्ग एवं प्रत्यय लगने से अनेक रूप बनते हैं । ६ भारत की प्राचीन राजनीति में राजा, अमात्य, सुहृद, कोष, राष्ट्र, दुर्ग, बल, प्रजा एवं शिल्पी इन नौं तत्त्वों का समूह । १० दार्शनिक क्षेत्र में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि धौर ग्रहंकार इन घाटों का समूह ११
वायु, पृथ्वी, जल व तेज पांच तत्त्व व इनके प्रत्येक के पांचपांच तत्त्व १२ प्रकृति । १३ प्रजा । १४ संतान । १५ स्त्री, नारी । १६ माता । १० योनि लिंग । १८ स्वभाव, तासीर । १६ नमूना, श्रादर्श । २०.२५ की संख्या । २१.८ की संख्या ।
प्रगटदसा
प्रक्रम - पु० [सं०] १ आरंभ, शुरूप्रात । २ ढंग, तौर। ३ कार्यवाही, पद्धति । ४ पैर, कदम भंग-पु० एक साहित्यिक दोष । प्रक्रस्ट - वि० [सं० प्रकृष्ट] १ उत्कृष्टतर, श्रेष्ठ । २ प्रधान, मुख्य ।
प्रक्रस्टता - स्त्री० उत्तमता, श्र ेष्ठता 1 प्रति-देखो 'प्रति' ।
प्रक्ष ेप- पु० [सं०] १ ३ बढ़ाव । ४ फैलाव, बक्सा, भण्डारिया ।
२ परम्परा,
प्रक्रिया स्त्री० [सं०] १ ढंग तौर तरीका प्रणाली । ३ विधि, रीति । ४ ग्रंथ का अध्याय, परिच्छेद । ५ अधिकार, हक । ६ व्याकरण में वाक्य रचना की विधि । प्रक्षिप्त वि० [सं०] १ बाद में जोड़ा या ऊपर से मिलाया हुआ । २ घुसेड़ा या डाला हुआ । ३ आगे की ओर बढ़ा या निकला हुआ । ४ फेंका हुआ ।
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मिलावट, जोड़। २ घुमाव, प्रवेश ५ बिखराव । ६ छोटा
छितराव
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प्रखंड-देखो 'परखंड' |
प्रखत पु० [सं०] पुत] १ चित्तीदार हिरण २ हिरण ३ मोर, मयूर । ४ मोती । ५ धन, द्रव्य । प्रखतक - पु० [सं० पृषत्क] तीर, बाण । प्रखतवाह पु० [सं० पृषत्वाह] स्वामिकार्तिकेय ।
प्रखर - वि० [सं०] १ तीव्र, तेज, तीक्ष्ण २ बड़ा । ३ श्रत्यन्त उष्ण ।
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प्रखाळित, प्रखोळित वि० [सं० प्रक्षालित] १ धोया हुआ । २ स्पष्ट, साफ । ३ छिड़का हुआ । ४ पवित्र किया हुआ । प्रख्यात वि० [सं०] प्रसिद्ध विख्यात मशहूर । प्रख्याति स्त्री० [सं०] १ कीर्ति, सुयश । २ प्रसिद्धि । प्रगट - पु० [सं० प्रकट] १ एक छन्द विशेष । २ देखो 'प्रकट' | प्रगटर (बी) - देखो 'कट' (दो)।
प्रगटदसा स्त्री० [सं० प्रकट + दशा) १ प्रकाश, रोशनी, ज्योति । २ दीपक ।