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पिता
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चमडा ।
पितृ-देखो 'पिता'।
पितुडियो, वितुडो-देखो 'पितु 'डियो'
पिलोड, पितो देखो पित्तो
( ७२ )
पिता-पु० [सं० पितृ] जन्म दाता, जनक, बाप । पितामह - पु० [सं०] १ पिता का पिता दादा। २ भीष्म । ३ शिव । ४ ब्रह्मा । 2 चौसठ भैरवों में से एक । पिताविरच, पिताविरधि, पिताविरंची-पु० कमल । पितु डियो, पितुडौ- पु० मोठ पर बंध पत्थर के नीचे लगाने का
पित्त १० [सं०] १ शरीरस्य तीन तत्वों में से एक (वात, पित्त, कफ) २ उक्त तत्व का गुरण-दोष । ३ देखो 'पिता' -कर- वि० पित्त की वृद्धि करने वाला । -कारक - वि० पित्त उत्पन्न करने वाला। -कास-पु० पित्त विकृति से होने वाला रोग, खांसी जुर, ज्वर-पु० पित्त प्रकोप से होने वाला ज्वर, बुखार दाह- 'पित्तज्वर' । - प्रक्रति पु० पित्त की प्रधानता वाला शरीर । -- प्रकोप - पु० पित्त की विकृति व उग्रता - व्याधि-स्त्री० पित्त विकृति का रोग मूळ पु० पिस विकृति से होने बाला दर्द तुलस्यान पु० पित्ताशय । हर पु० पित्त पर नियंत्रण करने वाली धौषधि उशीर पितातिसार ० [सं०] पित्त प्रकोप से होने वाला प्रतिसार पित्तारि - वि० [सं०] पित्त का नाश करने वाला। -पु०- १ पित्त का शत्रु । २ पित्त पापड़ा । ३ पीला चंदन |
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पित्तासय पु० [सं० पित्ताशय] पित्त रहने का स्थान ।
पिसी स्त्री० पित्त प्रकोप से होने वाली रक्त विकृति एक रोग । पितोड़ चु० [सं० पावलोट] बेसन से बनने वाला एक नमकीन खाद्य पदार्थ । वित्तोदर - पु० रोग । पितोन्माद - पु० [सं०] पित्ताशय की खराबी से होने वाला उन्माद रोग ।
[सं०] पित्त विकृति से होने वाला, पेट फूलने का
पित्र पु० [सं० विश्व १ बड़ा भाई २ देखो 'पित्री' ।
। -करम 'पित्रीकरम' ।
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- प्रमावस - 'पित्री अमावस' -किरिया = 'पित्रीकिया कुछ 'पिषीकुछ' । -किया- 'पित्रीक्रिया' - गीता 'पित्रीगीता' । -ग्रह- 'विजीग्रह' तरपरा" = । -तरपण = 'पित्रीतरपण' । - बक्ति, भगति 'पित्री भक्ति' लोक 'पित्रीलोक' ।
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चित्र पूरबी (पूरवी)- १० [सं० पित्र्यः पूर्वी ] बड़ा भाई । पित्राई पु० [सं० पिव्य] पिता के चाचा का बेटा दि० पिता संबंधी, पिता का वंशज ।
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पित्रीकुळया
पित्री- पु० [सं० पितृ] १ पिता । २ ३ प्रेतत्व से मुक्त हुप्रा मृत जीवों के आदि पूर्वज एक देव ।
- श्रमावस स्त्री० श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि । -करम पु० पितरों के लिये किया जाने वाला घाट, तर्पण प्रादि । कळप पु० श्राद्धादि कर्म कल्प । - कांनन- पु० श्मशान भूमि मरघट । कारज - पु० बाद, तर्पणा चादि कर्म । किरिया 'पित्रीक्रिया' । - कुळ- पु० पिता या पितामह का समस्त परिवार । - ऋत्य, क्रिया-स्त्री० श्राद्धादि के कर्म । गीता स्त्री० वराह पुराण का एक अंश जिसमें पितरों का माहात्म्य कहा गया है। प्रह-पु० पिता का घर । स्त्री का मायका नेहर । स्कन्द प्रादि बाल ग्रहों में से एक । - घर - 'पित्री ग्रह'
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किसी के मृत पूर्वज । व्यक्ति । ४ समस्त ५ देखो 'पितर' |
- घातस- पु० ० पिता का वध, हत्या । —घातक, घाती घातीकवि० पिता का हत्यारा जय, जग्य पु० पितृ तर्पण । -तरवरण-पु० पितरों को दी जाने वाली जलांजलि । गया तीर्थ पर किया जाने वाला पितृ श्राद्ध । - तिथ तिथि स्त्री० अमावस्या | - तीरथ पु० गया तीर्थ । मत्स्यपुराण में वणित प्रयाग, वाराणसी घादि २२२ तीर्थ । अंगूठे व तर्जनी के मध्य का स्थान । - दानपु० पिता या पूर्वजों की सम्पत्ति बाद संबंधी दान |
- दिन १० प्रमावस्या - देव पु० पितरों का अधिष्ठाता
देव - देवत पु० पितरों के निमित्त किया जाने वाला
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कर्म । पितरों का अधिष्ठाता देव । पित्रीदेव । -नाथपु० यमराज । श्रर्यमा नामक पितर | -पक्ष, पख-पु० श्राद्ध पक्ष प्राश्विन मास का कृष्ण पक्ष । पितृ कुल । -- पती पु० यमराज पद १० पितृ लोक पितर होने की अवस्था या स्थिति पिता दु० पितामह, दादा प्रसू-स्त्री० पिता की माता, दादी संध्या, सायंकाल । - प्रिय स्त्री० मंगरा । भृंगराज । अगस्त का वृक्ष । -भक्त, मगत पु० माता-पिता की सेवा करने वाला पुत्र । -भक्ति भगतिस्त्री० माता-पिता की सेवा माता-पिता के प्रति श्रद्धा व भक्ति भोजन पु० पितरों के निमित्त किया जाने वाला भोजन, का घर । श्मशान भूमि । स्पेष्टि कर्म । पितृ यज्ञ
वरद मंदिर पु० पिता
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८.
- मेघ- पु० एक प्रकार का मंत्री 'पितरांमेळी' । -- राज-पु० यमराज । - रिष पु० पिता का ऋण । -लोक-पु० पितरों के निवास का लोक
५० पिता का कुल वन, वसती, वास-पु० श्मशान । मरघट । -स्थान- पु० पिता का पद । पितरों का स्थान । पित्रीकुळया - पु० [सं० पितृकुल्या ] एक प्राचीन तीर्थं का नाम ।