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फंडणी
( १५१ )
फेराणी
फेडणी (बी)-क्रि० [सं० स्फेटयति] १ विनाश करना । २ दूर फेरे खाना । ७ किसी वस्तु को किसी प्रक्ष पर या धुरी पर
हटाना। ३ परित्याग करना । छोड़ना। ४ जानना । घुमाना। चारों पोर घुमाना। ८ एक दिशा से दूसरो दिशा ५ तोड़ना । ६ उद्घाटन करना।
में मोड़ना.घुमाना। ९ परास्त करना, खदेड़ना। १० किसी फेरण-पु०१ श्वेत, सफेद । २ देखो 'फैण'।
के इर्द-गिर्द चक्कर लगवाना। ११ कार्य सिद्धि या सम्पर्क फेणी- देखो 'फीणी'।
के लिये बार-बार भेजना । १२ सहलाना । १३ किसी पर फेतकार, फेत्कार-पु. १ लोमड़ी के आकार का एक मांसाहारी तेल, रोगन आदि का लेपन करना, लगाना । १४ प्रदर्शनार्थ
जानवर । २ स्यालिनी । ३ स्यालिनी की बोली । घुमाना । १५ वितरित करना, देने के लिये प्रागे करना । ४ लोमड़ी। ५ देखो 'फूतकार'।
१६ परिर्वतन करना, बदलना । १७ पड़ी चीज को उथलफेवड़-स्त्री० १ दूध प्रादि पदार्थों में अम्ल के योग से पड़ने वाले पुथल करना। १८ पार्श्व बदलना । १९ दिशा परिवर्तन
फिदड़के । विकृतावस्था । २ आकाश में छितराये बादलों करना । २० अंग-प्रत्यंग पर धीरे-धीरे हाथ फेरना । के खण्ड ।
२१ वचन बदलना । २२ कायरता दिखाना । २३ पढ़ हुए फेन, फेनक-देखो 'फैण'।
को दोहराना । २४ मुह को सामने न रखना। फेनी-देखो 'फीणी'।
फेरफार-पु० [देश॰] १ धूर्तता, चालाकी, छल, कपट । फेफड़ी-स्त्री. १ प्रोठों पर जमने वाली पपड़ी । २ कोई पपड़ी।। २ घुमाव, फिराव, चक्कर । ३ बहुत बड़ा परिवर्तन, उलट फेफडौ, फेफर-देखो 'फेफड़ो' ।
फेर । ४ रद्दोबदल, परिवर्तन । ५ लेन-देन या व्यवहार फेफरी-स्त्री. १ फेफड़ा । २ देखो 'फेफड़ी'।
चलते रहने की क्रिया । ६ फरक, अन्तर । ७ निश्चय । केफरी-देखो 'फैकड़ो।
८ परिवर्तन की क्रिया । ६ आवागमन । के'म-देखो 'फहम'।
फेरबाज-देखो 'फेरवाज'। फेरंड-पु० [सं०] १ शृगाल, गीदड़, सियार । २ लोमड़ी। फेरव-पु० [सं० फेरवः] (स्त्री० फेरवी) १ सियार, शूगाल, फेर-पु०१ फिरने की क्रिया या भाव । २ आने-जाने का चक्कर।।
गीदड़ । २ कपटी, चालाक प्राणी। ३. हिंसक जानवर । ३ घुमाव, मोड़ । ४ परिवर्तन का सिलसिला-क्रम ।। ४ राक्षस। ५ अन्तर, फर्क, भिन्नता। ६ भाग्य या परिस्थितियों का | फेरवणी (बी)-देखो 'फेरणी' (बी)। चक्कर या प्रभाव । ७ दुविधा, उलझन, झ'झट । फेरवाज-स्त्री० लहंगे के अन्दर नीचे लगने वाली पट्टी या ८ प्रपंच, बखेड़ा, जंजाल । ९ परिवर्तन, उलट-फेर, अदला
झल्लरी। बदली । १० संशय, भ्रम, संदेह, गलत फहमी। ११ धोखा,
| फेगरणी (यो)-क्रि० १ ऊंट, घोड़े आदि को चाल सिखवाना, प्रवंचना, चालबाजी। १२ दैवी या प्रासुरी माया का |
प्रशिक्षित कराना । २ शस्त्रों को हाथ से घुमवाना । प्रभाव । १३ हानि, नुकसान, घाटा । १४ फासला, दूरी ।
३ शस्त्र चलाने का अभ्यास कराना। ४ भेंट स्वरूप प्राई १५ विस्तार, फैलाव । १६ ऊंट या घोड़े को चाल सिखाने
हुई वस्तु को वापस कराना। ५ कहीं पर बार-बार पानेका ढंग । १७ किसानों से लिया जाने वाला एक कर ।
जाने के लिये विवश कराना। ६ दूल्हे-दुल्हिन को भांवरी १८ ऊंट या घोड़े की चाल । १९ झुकाव । २० चक्कर
दिलाना । फेरे खिलाना । ७ किसी वस्तु को किसी प्रक्ष लगाने का क्रम । [सं० फेरः] २१ शृगाल, गीदड़ ।
या धुरी पर घुमवाना, चक्कर दिराना, फिराना । ८ एक -वि० अन्य, दूसरा, अतिरिक्त । -क्रि० वि० १ पुनः दुबारा
दिशा से दूसरी ओर मुड़वाना, धुमवाना ।९ परास्त २ वापस । ३ और, फिर । ४ तदन्तर, उपरांत, बाद में ।
कराना । १० किसी के पास-पास चक्कर लगवांना । ५ इस पर भी। लेकिन, परन्तु ।
११ कार्य सिद्धि या सम्पर्क के लिये बार-बार भिजवाना । फेरउ-देखो ‘फे.रंड' ।
१२ महलवाना। १३ किसी पर तेल, रोगन प्रादि का फेरणी (बी)-क्रि० [सं०प्रेरणम्] १ ऊंट, घोड़े प्रादि को चाल | लेपन कराना। १४ प्रदर्शनार्थ घुमवाना। १५ वितरित
सिखाना, प्रशिक्षित करना । २ शस्त्रों को हाथ में लेकर कराना । देने के लिये आगे करवाना । १६ परिवर्तन घुमाना। ३ शस्त्र चलाने का अभ्यास करना । ४ भेंट स्वरूप कराना, बदलवाना । १७ पड़ी वस्तु को उथल-पुथल दी वस्तु या कोई दी गई वस्तु को वापस करना, स्वीकार कराना । १८ पार्श्व बदलाना । १६ दिशा परिवर्तन न करना। ५ किसी स्थान पर बार-बार पाने-जाने के कराना । २० अंग-प्रत्यंग पर धीरे-धीरे हाथ फिरवाना । लिये मजबूर करना। ६ दूल्हा-दुल्हिन की भांवरी पड़ना ।। २१ वचन या वादे से बदलवाना। २२ कायरता दिखवाना ।
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