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बरी
( १८३ )
बळतोकड़
बरी-पु० [देश॰] १ बाजरी नामक अनाज की फसल में लगने १६ इन्द्र द्वारा वधित एक दैत्य । १७ छप्पय छंद का एक
वाला कीड़ा । २ खलिहान में घूमने वाले बैलों में से बाहर भेद । १८ एक पौधा, क्षुप विशेष । -वि० १ सुन्दर । की पोर चलने वाला बैल । ३ भेड़िया। ४ एक प्रकार २ देखो 'वळ'। -कर-वि० बल देने या बढ़ाने वाला; का घास । -वि० [अ०] १ मुक्त, स्वतन्त्र, आजाद । पौष्टिक। २ वंचित, बचा हुमा । ३ बंधन या कैद से छोड़ा हुआ । बळक, बलक-१ देखो 'वळक' । २ देखो 'बलख' ।
४ बेकसूर, निर्दोष । ५ देखो 'वरी'। ६ देखो 'बड़ी'। बलकल-देखो 'वल्कल'। बरीक-देखो 'बारीक'।
बलकार-पु० [देश॰] बैल । बरीख-देखो 'वीख'।
बलकी-१ देखो 'बलखी' । २ देखो 'वल्लकी'। बरीजणी (बी)-क्रि० लंबी यात्रा या थकान से शरीर अकड़ बलक्क-पु० [देश॰] १ लचक, मोड़ । २ देखो 'बलख' । जाना।
बलक्की-देखो 'बलखी' । बरीयां-देखो 'वेळा' ।
बलख-पु० [फा०] १ अफगानिस्तान का एक प्राचीन नगर । रीयांम-देखो 'वरियांम'।
२ इस नगर के पास-पास का क्षेत्र । ३ एक द्वीप विशेष ।। बरीस-१ देखो 'वरस' । २ देखो 'वरीस' ।
-वि० उज्ज्वल, श्वेत । बरीसरण-देखो 'वरीसण' ।
बलखी, बलख्खी-पु० [फा०] १ 'बलख' का निवासी । बरीसणी (बी)-देखो 'वरीसणी' (बी)।
२ मुसलमानों की एक जाति । ३ बलख देश का घोड़ा। बरु-पु. एक प्रकार की घास ।
बलगम-पु० [अ० बल्गम] कफ, श्लेष्मा।. बरुग्री-पु० [देश॰] मिट्टी का छोटा जल-पात्र ।
बलज-पु० [सं०] १ नगर द्वार, फाटक । २ खेत । ३ अनाज बरुण-देखो 'वरुण'। -पुरी='वरुणपुरी'।
___का ढेर, अनाज । ४ युद्ध, लड़ाई। -वि. जो बल से बरुणीं, बरुणी-स्त्री. १ पलक के किनारे के बाल, बरौनी।
उत्पन्न हो। २ देखो 'वारुणी'।
बळटु, बळट्ठी, बळठी-देखो 'बलिस्ठ' । बरुय, बरूथी, बरूथ्थ-देखो 'वरूथ' । बरूद, बरूध-१ देखो 'वरसोद'। २ देखो 'विरुद्ध'।
बळण-स्त्री० [सं० ज्वलन] १ जलने, दहकने की क्रिया या भाव । बरोटियो-१ देखो 'बारोटियो' । २ देखो 'बरोटी' ।
२ दाह, जलन । ३ अग्नि । ४ ईर्ष्या। ५ घाव या रोग के - बरोटी-स्त्री० विवाह के बाद वधू के स्वागत में किया जाने वाला
कारण होने वाली जलन । ६ देखो 'वळण' । भोज ।
बळणौ (बौ)-क्रि० [सं० प्रज्वलनम्] १ प्राग के संयोग से किसी बरोठियौ-१ देखो 'बारोटियो' । २ देखो 'बरोटी' ।
पदार्थ में धूपा या लो निकलना, जलना, भाग लगना, बरोठी-देखो 'बरोटी'।
दहकना, धधकना। २ अग्नि में भस्म हो जाना। ३ अग्नि बरोठीयो-१ देखो 'बारोटियो' । २ देखो 'बरोटी' ।
या अत्यधिक गरम वस्तु से शरीर का कोई अंग झुलसना, बरोद (ध)-१ देखो 'वरसोद'। २ देखो 'विरोध'।
जलना'। ४ अत्यधिक तपन से वनस्पति का झुलसना, बरोबर-देखो 'बराबर'।
मुरझाना । ५ बुखार से शरीर गरम होना । ६ विरह या बरोबरी-१ देखो 'बराबरी' । २ देखो 'बराबर'।
दुःख में तड़फना । ७ दीपक या बत्ती लगना, जलना । बरोळ-देखो 'वरोळ'।
८ भौतिक या रासायनिक ताप से वस्तु के गुण समाप्त हो बरोळणी (बो)-देखो 'विरोळणो' (बी)।
जाना । ९ द्वेष या ईर्ष्या करना। १० क्रोध में घुटना । बरोळी-देखो ‘बराळ'।
११ समाप्त होना, नष्ट होना । १२ देखो 'वळणो' (बो)। बरी-पु० १ तेज, मोज । २ प्रकाश ।
बळत-स्त्री० [सं० ज्वलन] १ जलने की क्रिया या भाव । बलंब-स्त्री०१ हाथी के पांव में डाली जानी वाली बेड़ी विशेष ।। २ शरीर के किसी अंग में जलने, चोट लगने या घाव प्रादि २ देखो 'बुलंद'।
से होने वाली दाह। ३ मिर्च आदि की जलन । ४ उदराबळ, बल-पु० [सं०बलम्] १ शक्ति, ताकत । २ शौर्य, पराक्रम । ग्नि । ५ प्रांतरिक अग्नि, दाह, तप्त । ६ ईर्ष्या, द्वेष
३ सामर्थ्य क्षमता । ४ प्रावेश, जोश । ५ धैर्य, धीरज । | मानसिक कष्ट । ७ धूप की गर्मी । ६ वीर्य । ७ सेना। ८ प्रभाव, रौब । ९ लहरदार । | बळताणक-पु० सेना या फौज का घोड़ा। १० प्राश्रय, सहारा । ११ प्राभा,कान्ति । १२ तत्त्व, । बळतोकड़-वि० १ चिड़चिड़े स्वभाव वाला । २ ईष्या या द्वेष सार। १३ बलराम । १४ नाव, नौका। १५ बैल ।। करने वाला।
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