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पाचपोस
पापत्रयताप
पादपोस-पु० जूता, पगरखी।
पाधोरणी (बो)-क्रि० [सं० उपाधोरणम्] १ दंड देकर सीधा पावर-देखो 'पाधर'।
करना । २ युवा बैल को हल गाड़ी, प्रादि के लिये अभ्यस्त पावरी-पु. १ ईसाई धर्म का पुरोहित । २ देखो 'पाधरी'। करना। पादरौ-देखो पाधरौ'। (स्त्री० पादरी)
| पाधोरी-वि० (स्त्री० पाधोरण) १ दण्ड देकर सुधारने वाला। पाववंदन-पु० [सं०] पैर पकड़ कर प्रणाम करने की क्रिया । २ युवा बैल को कृषि कार्य के किये अभ्यस्त करने वाला। पारवेस्टक-पु० [सं० पादवेष्टक मेर में धारण करने का प्राभू- | ३ अचूक निशाने बाज । षण विशेष ।
पाची-पु० [सं० उपाध्याय] पंडित, ब्राह्मण । सकळिका-स्त्री० [सं० पाद शखलिका] पैरों का प्राभूषण पाप-पु० [सं०] १ कुर्कम, दुष्कर्म , बुरा कार्य, निदित कर्म। २ धर्म विशेष ।
व समाज की दृष्टि से वर्जित कर्म । ३ दुर्भाग्य । ४ वध, पासवा-श्री० [सं० पादशाखापांच की अंगुली।
हत्या । ५ हीन या बुरी भावना । ६ अहित, अनिष्ट, बुराई। पावसाह-देखो 'बादसाह।
७ प्रपंच, झंझट, बुराई । ८ अपराध । ९ दुःखद वर्णन*। मालहरस-पु० [सं० पाद हर्ष] एक रोग विशेष ।
१० पटल* । ११ तप्त वर्णन । १२ कृष्ण वर्णन। पारहिता-स्त्री० [सं०] जूती, उपानह ।
पापइयो-देखो 'पपइयो' । पालक-देखो पातकुळक' ।
पापकरण-पु० [सं०] शिकार, माखेट । पादानंगद-पु० [सं०] नूपुर।
पापकरम-पु० [सं० पापकर्म] बुरे व अनुचित कार्य । दुष्कर्म । पादाकांती-वि० [सं०] पैरों से कुचला हमा, पददलित। पापकरमी-वि० [सं० पाप+कमिन् ] पापी, दुराचारी, कुकर्मी पादाकुदक, पावाकुळति, पावाकूलक-पु० [सं०] एक मात्रिक | पापक्षय, पाक्सी-पु० [सं० पापक्षय] १ पापों के क्षय होने की छद विशेष ।
क्रिया या अवस्था। २ पापों से मुक्ति देने वाला स्थान, तीर्थ । पादारवंद, पादारव्यंद-पु० [सं० पादारविन्द] चरण कमल। पापगण -पु० [सं०] उनण का पाठवा भेद। पादुका-स्त्री० [सं०] १ खड़ाऊ । २ जूती। ३ देखो 'पगलिया। पापग्रह-पु० [सं०] १ कृष्ण पक्ष की दशमी से शुक्ल पक्ष की पावोदक-देखो ‘पदोदक'।
पंचमी तक का चन्द्रमा । २ फलित ज्योतिष के सूर्य, मंगल, पादोदर-पु० [सं०] सर्प, सांप ।
शनि, राहु और केतु ग्रह। पादोरणी (बो)-देखो 'पाधोरणो' (बो)।
पापड़-पु. सं. पट] १ मूग आदि के घाटे में भार मित्रा कर, पादौ-पु. १ काला नमक, संबन लवण । २ देखो 'पादरणी' ।
अत्यन्त पतला, रोटीनुमा बनाया जाने वाला खाद्य पदार्थ । पाद्रि-देखो 'पाधरी'।
२ एक वृक्ष विशेष । -वि० १ बारीक, पतला । पाधड़ी-देखो 'पद्धरी।
२ सूखा, शुष्क । अधर-वि. १ पालतू । २ अनुकूल। -पु०१ समतल भूमि, खुला पापड़ो-स्त्री० [सं० पर्पटी] १ बबूल की फली। २ एक प्रकार मैदान । २ तलबार । ३ सीध, लंबाई । ४ देखो 'पाधरौ' ।
का खाद्य पदार्थ । ३ एक प्रकार का वृक्ष विशेष । ४ देखो पाधरणी (बी)-देखो 'पाधोरणो' (बी)।
'पपड़ी। पाथरपतला-स्त्री. १ तलवार का स्वामी, योद्धा । २ खुले मैदान पापड़ो-खार-पु० [सं० पर्पट क्षार] केले के पेड़ का क्षार, क्षार में लड़ने वाला वीर।
विशेष । पारसलो-वि० १ प्रासादगुण युक्त । २ सरल स्वभाव का। पापड़ो-पु० १ स्कंध के पीछे की हड्डी । २ देखो 'पापड़। पायरी-बि०१ सीधी, बिमा मोड़ की, लंबी । २ सहज, सरल । पापड़ो-कायौ-पु० [सं० पर्पट-क्वाथ] एक प्रकार का कत्था । - ३ देखो 'पद्धरी'।
पापचंद्रमा-पु० [सं०] विशाखा के अंतिम चरण से उयेष्ठा के पारो-वि० (स्त्री० पाधरी) १ बिना मोड़ या घुमाव का, । प्रतिम चरण तक का चन्द्रमा ।
सीधा । २ सरल, सहज । ३ जिसमें ऐंठन न हो। ४ जिसमें | पापचर, पापचारी-वि० [सं०] पापी, पापाचारी। पड़ने या दुराग्रह की प्रवृत्ति न हो । ५ जो कपटी न हो, पापजूण-स्त्री० [सं०पापयोनि] पशु प्रादि की मिकृष्ट योनि । भकुटिल । ६ जो विरुद्ध न हो, अनुकूल । ७ जो कठिन न वापरण, पापरणी-वि० [सं० पापिनी] पाप कर्म करने वाली, हो, प्रासान। ८ शांत, गंभीर। ९ शिष्ट, सुशील ।। हत्यारी, पापिनी । १० सुबोध, सुगम्य । ११ देखो 'पाधर'
पापत्रयताप-पु० [सं०] १ कायिक, वाचिक व मानसिक तीन पाधोर-वि० १ लक्ष्य पर सीधा निशाना लगाने वाला । प्रकार के पाप । २ प्राध्यात्मिक, प्राधिभौतिक समाधि २ देखो 'पाघर'।
दैविक ताप।
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