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.मरीज
मलंगणी
मरीज-वि० [अ०] रोगी, बीमार, अधिकतर रुग्ण रहने वाला। महडियो-पु० १ एक वर्ग विशेष । २ देखो 'मुड' । मरीयत-स्त्री० [सं० म्रिङ] महामारी, भयंकर संक्रामक रोग। मा-पु. १ मूर्छा, गश । २ देखो 'मरु' । मरु-पु० [सं० मृ+उ] १ पानी के प्रभाव वाला, रेतीला-सूखा | मकाउ-देखो 'मरवों'।
प्रदेश, रेगिस्तान । २ मारवाड़ प्रदेश । ३ जलहीन पर्वत । | मनमाड़ि-देखो 'मारवाड़। ४ एक सूर्यवंशी राजा। ५ विदेह का एक प्राचीन राजा। महउ-पु० मुकुल ।
६ एक दैत्य जो नरकासुर का प्रमुख सहायक था। मरूक-पु० [सं०] १ मोर, मयूर । २ एक प्रकार का मृग । मराडि, माडि-देखो 'मारवाड़' ।
मस्त-देखो 'मरुत'। मरुक-पु० [सं०] १ मोर, मयूर । २ एक लोक-समूह । ३ देखो | महतयांन-पु० [सं० मरुतयान] गरुड़। 'मरुग' ।
मरूदेव-देखो 'मरुदेव'। मक्कांतर-पु० रेगिस्तान, मरुभूमि ।
महदेवा (देवी)-देखो 'मरुदेवी' । मरुग-पु. मरु प्रदेश, मारवाड़, रेगिस्तान ।
महधर (धरौ)-देखो 'मरुधर' । मरुत-पु० [सं०] १ वायु. पवन । २ वायु का अधिष्ठाता देव । मरूमडळ-पु. मारवाड़।
३ इन्द्र । ४ देवता । ५ कश्यप व दिति के पुत्र उनचास | मरूवी-देखो 'मरवौ'। देवगण । ६ मनुष्य । ७ पहाड, पर्वत । ८ मरुवक नामक | मरेटौ (ठो)-देखो 'मरहठौ' । पाषा । ९ श्रीकृष्ण के समकालान एक महाष । -चक्र-पु.मरोड़-स्त्री० [सं०मुरम्] १ मोड़ने, घुमाने या ऐंठने की क्रिया। वात चक्र ।-जरण-पु. राक्षस । -सखा-पु. इन्द्र, पवन ।
२ ऐंठन, बल, डेढापन। ३ पेट में होने वाला वात विकार, -सुत, सुति-पु. हनुमान, बजरंग, भीम।
पीड़ा, दर्द । ४ विरोध, वैमनस्य । ५ गौरव, मान, प्रतिष्ठा मरत्त-पु० [सं०] १ वैशाली का तुर्वसु वंशीय एक राजा।
इज्जत । ६ वीरता, पराक्रम । ७ गर्व, पभिमान, घमंड । २. एक यादव राजा । ३ देखो 'मरुत' ।
८ नायिका का गुमान, मान। . मवत्पति-पु० [सं०] देवराज इन्द्र । मरुत्पथ-पु० [सं०] आकाश, अंतरिक्ष ।
| मरोड़णी(बी)-क्रि० [सं० मुरम्] १ वस्तु या अंग को घुमाना, मरुत्वत-पु० [सं०] १ बादल, मेघ । २ इन्द्र । ३ हनुमान ।
फेरना, ऐंठन देना, बल डालना। २ घुमाकर टेढ़ा कर देना। मरुत्सुत-देखो 'मरुतसुत'।
३ नष्ट करना, समाप्त करना। ४ कष्ट या पीड़ा बेना। मस्थळ-देखो 'मरुस्थळ' ।
५ तोड़ना । ६ रूठना। मरुख-देखो 'मरद'।
मरोड़फळी, मरोडाफळी-स्त्री. प्रौषधि के काम की एक फली, मरदेव-पू० [सं०] १ इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा ।२ एक देव | पावर्तनी। विशेष।
मरोड़ी-स्त्री. १ लोहे की बनी छोटी पेचदार कटिया। २ देखो मरुदेवी-स्त्री. भगवान ऋषभदेव की माता ।
'मरोड़ो। महद्रथ-पु० घोड़ा।
मरोड़ो-पु०१ पेट में होने वाला वात विकार, ऐंठन, दर्द, पीड़ा। मरुद्विप-पु. १ हाथी । २ घोड़ा।
२ रक्तातिसार रोग । ३ गवं, अभिमान । ४ ऐंठन, बस । मरदेस-पु० मारवाड़।
धुमाव । ५ मोड़। ६ उमस, गर्मी। माधम्बा-पु० [सं० मरु+धन्वन्] मरुस्थल, मारवाड़।
मरोट (8)-देखो 'मारोट' (8)। मरुधर (धर)-पु० मरु प्रदेश । मरुधरा (भूमि)-स्त्री० १ मारवाड़ । २ निर्जन भूमि
मरोडी-पु. एक प्रकार का अफीम । ३ रेगिस्तान ।
मरी-पु० मृत्यु, मौत। मधरियो-पु०मारवाड़ का निवासी, मारवाड़ी। -वि० मारवाड़ मलंग (मलंगो)-पु० [फा०] १ मुसलमान साधु विशेष । का, मारवाड़ संबंधी।
२ सूफी फकीरों की एक शाखा । ३ मस्त फकीर । ४ एक मरभूमि-स्त्री० मारवाड़, मरुधरा ।
प्रकार का बगुला । ५ छलांग, झंप । ६ उछलते हुए चलने मस्यउ-देखो 'मरवी'।
की क्रिया। -वि० १ छलांग लगाने वाला। २ मस्त, मरवण-देखो 'मरवण'।
बेफिक्र । ३ पुष्ट, मोटा। ४ लापरवाह । । मच्चो-देखो 'मरवौं'।
मलंगरणी (बी)-क्रि० १ छलांग लगाना, कूदना।२ कूदते हुए मस्थळ, मरुस्थळि-पु० निर्जल व रेतीला प्रदेश ।
चलना।
गर्व, प्रमिएन, पद, पीर
१ मोड़।
| मरोहा
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