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सुक्लापांग
( ८०३ )
सुखमा
सुक्लापांग-देखो 'सुक्लाग'।
-पु. १ विष्णु का प्रासन । २ विष्णु । ३ मित्र, दोस्त । सुखंकरी-स्त्री० जीवंती, डोडो ।
४ भोजन, खाना। सुखंडज-पु० [सं० शिखंडज] बृहस्पति ।
सुखदा-स्त्री० [सं०] १ इन्द्र की एक पप्सरा । २ एक स्कन्द सुख-पु० [सं०] १ मन की वह उत्तम तथा प्रिय अनुभूति जब मातृका का नाम । ३ गंगा नदी। लक्ष्मी । ५ हरीतकी,
वह मुक्त रहकर संतुष्ट व सत्साहित रहता है । शान्ति, हरड़ । -वि० सुखदायक। पाराम । [सं० सुखम्] २ हर्ष, खुशी, पानन्द । ३ भय, | सुखदाप्राण-पु० मित्र, दोस्त। -वि० प्राणों को सुख देने चिन्ता या कष्टों से स्वतन्त्रता। ४ प्रेम, प्रीति, स्नेह ।। .. बाला । ५ दोस्ती, मित्रता। ६ सुविधा, माराम । ७ समृद्धि, | सुखदे, सुखदेव-देखो 'सुकदेव' । सम्पन्नता । ८ कल्याण, मङ्गल । ६ तसल्ली, ढाढ़स । | सुखनबाण-पु० [फा० सुखन-बारण] शब्द बाण, शब्द, ध्वनि । १.सन्तोष, सन। ११ समग, उत्साह । १२ निरोगता; सुखपत (पति, पती)-देखो 'सुसुप्ति' । स्वस्थता । १३ खामोशी, शांति । १४ सरलता, प्रासानी। सुखपात-पु० सुख के पात्र । १५ संधि, सुलह । १६ उपयुक्तता। १७ जल, पानी। सुखपाळ (ल)-स्त्री० १ एक प्रकार का वाहन, पालकी, डाली। १८ स्वर्ग । -वि०१ प्रिय, मधुर, मनोहर । २ धर्मात्मा, २ एक प्रकार का स्वर्ण निमित पलंग। पुण्यात्मा । ३ सरल, सहज । ४ पारामदायक । ५ पच्छा, सुखपोस-वि. जिसका पालन-पोषण सुखमय स्थिति में भला। -अव्य. १ सहर्ष, मानन्द से । २ माराम या हा हो। मासानी से। ३ सहमति से। ४ चुपचाप, शान्ति से। सुखबासं-पु. १ सुख पूर्वक रहने की जगह । २ दुःख के दिन -कंव-वि० सुख देने वाला, भानन्ददायक, सुख का मूल । टालने के लिए किसी स्थान पर किया जाने वाला निवास । -कर, करण, कार, कारी (रो)-वि० मानन्ददायक, ३ माराम से निर्वाह के लिये जन्म स्थान से अन्यत्र हर्षप्रद, सुखी करने वाला। -पु. स्वर्ग। -जनक-वि० निवास। सुखप्रद, सुखदायी। -जननी-स्त्री. सुख की मूल। सुखबासी-वि० १ 'सुखवास' करने वाला। २ मानन्द एवं सुख -दान, दांनो, बाइ, बाइक-वि० सुख देने वाला। से रहने वाला। ३ जन्म स्थान से अन्यत्र सुख से रहने -बात, दाता-वि० सुख देने वाला। -दाय, दायक, | वाला। दायी, बायो-वि० सुखदाई, पाराम या प्रानन्ददायक, सुखम-देखो 'सूक्षम। संतुष्ट, हितैषी। -धाम-पु० स्वर्ग, वैकुण्ठ । सुख का सुखममां-क्रि०वि० सीधे रास्ते से, सुगमता से । स्थान, सुविधाजनक स्थान । -धामी-पु. विष्णु । इन्द्र । सुखमण, सुखमणा (रिण, पी)-स्त्री० [सं० सुषुम्ना] १शरीरस्थ स्वर्गवासी। -वि० सुखवास करने वाला, सुखी।
तीन प्रमुख नाड़ियों में से एक । (योग)। २ वंद्यक के सुखासन-देखो 'सुखासण'।
अनुसार चौदह प्रधान नाड़ियों में से एक। [सं० सुषुम्णः] सुखगंध-वि० सुगंध, महक ।
३ सूर्य की एक मुख्य किरण । सुखग-वि० माराम से चलने वाला, जाने वाला।
सुखम-दुखम-पुल्यो० [सं० सुख-दुःख जैन मतानुसार काल के सुखड़ी-स्त्री. १ एक प्रकार का मीठा खाद्य पदार्थ । २ मिठाई। प्रमुख छः भागों में से एक उप-विभाग। ३ दस्तूरी, हक।
सुखमन, सुखमना (नि, नी)-देखो 'सुखमणा' । सुखड़ो-पु. १ एक प्रकार का खाद्य पदार्थ । २ देखो 'सुख'। सुखममारग-देखो 'सूखममारग' । सुखचतुरषी (चौथ)-स्त्री० [सं० सुख चतुर्थी] वैशाख, भादव, सुखमय-क्रि०वि० [सं०] १ सुख पूर्वक, भानन्द पूर्वक । -वि. पौष व माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि।
२ सुखी। सुखचार-पु० बढ़िया घोड़ा।
सुखमल-देखो 'सुखमल'। सुखी-देखो 'सुखड़ी'।
सुखमसुख-पु०यौ० [स० सखम्] जैन मतानुसार काल का एक सुखण-पु०१ परशु, फरसा । २ मंडासा।
विभाग। सुखरणी-स्त्री० सुखी।
सुखमा-स्त्री० [सं० सुषमा] १ प्रामा, कान्ति, दीप्ति, शोभा, सुलत्रिय-पु. काजल।
छबि । २ सुन्दरता। [सं० शुष्मा] ३ ज्योति, प्रकाश । सुखत्री-पु० [सं० सुक्षत्रिय] श्रेष्ठ क्षत्रिय ।
४ शक्ति, पराक्रम । ५ तेज। ६ सूर्य, रवि । ७ महिमा । सुखद-वि० [सं०] । भारामदायक, सुविधाजनक । २ घानन्द ८ एक वर्ण वृत्त । ९ पक्षी। १० देखो 'सुसमा'।
दायक, हर्षप्रद। ३ सुन्दर, मनोहर । ४ प्रिय मधुर । ११ देखो 'सुखमया'।
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