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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुखमावसब सुगंधधर सुखमातसद-पु० [सं० सुषमाऽऽदर्शद] परम शोभा का दर्पण सुखावणी (बो)-देखो 'सुखाणों' (बी)। चन्द्रमा। सुखावेस सुखावेसु (सू)-क्रि० वि० सुख पूर्वक । सुखमिण-देखो सुखमणा'। सुखासण (न,नि)-पु०१ पालकी, डोली, सुखपाल । २ पारामसुखरम-पु० सं० सु-ख-रम] सूर्य, भानु । दायक पासन । ३ पालथी, कमलासन । सखरात (राति, रात्रि)-स्त्री० [सं० सुखरात्रि] कात्तिक मास | सुखि-क्रि० वि०१ सुख पूर्वक, पाराम से। २ देखो 'सखी'। की अमावस्या की रात्रि। सुखिऊ-वि० सुखी। सुखरास (रासि, रासी)-वि० [सं० सुख राशि] सर्वथा सुखमय, | सुखिणी-देखो 'सुखी' । सखों का समूह। . सुखिम-देखो 'सूक्ष्म'। सुखलापांग-देखो 'सुक्लांग'। सुखियारो-वि० (स्त्री सखियारी) सुखी। सुखलिरणी-देखो 'सुकुलोणी'। सुखियो-वि० १ सखी। -कि० वि० सुखपूर्वक, पाराम से। सुखलोया-पु० घोड़ों का एक रोग । सुखी-वि० [सं० सुंखिन्] १ जिसे किसी प्रकार का दु:ख, सुखवंत, सुखवत-वि० [सं० मुख वत्] सुखी, प्रसन्न । कष्ट या परेशानी न हो, दुःखों से पूर्णतया मुक्त । २ हर्षित सखवास-देखो 'सुखबास'। खुश । ३ संतुष्ट। सुखवासी-देखो 'सुखबासो' । सुखीपो, सुखीयो-देखो 'सुखियो। सुखसज्या-देखो 'सुखसेज्या'। सुखुपती सुखुप्ती-देखो ससृप्ती' । सुखसागर-पु० [सं०] १ ईश्वर, परमेश्वर। २ भागवत के | सुखेड़ी (गो)-स्त्री. हरी सब्जी जिसे सुखाकर साक बनाया - एक अनुवाद का नाम । जाता है। सुखसाजा-पु० सुख का सामान । | सुखेरण (न)-पु० [सं० सुषेण:] १ बालो का श्वसुर व धर्म सुखसाता-स्त्री० [सं० सुख-शांति] १ सुख की उपलब्धि, नामक वानर का पुत्र, एक वानर जो युद्ध-विशारद व वैद्यक प्राप्ति, पानन्द, कुशल-क्षेम। २ प्रारोग्यता, स्वस्थता। का अच्छा ज्ञाता था।२ विष्णु का एक नामान्तर । सुखसार-पु.१ सुख का सार । २ पटारी, पट्टालिका । ३ जमदग्नि एवं रेणु के पुत्रों में से एक । कर्ण का एक सखसिज्जा सुखसेज. (सेउजा, सेण्या) सुखसेझ-स्त्री० [सं० सुख- पुत्र । ५ श्रीकृष्ण का एक पुत्र । शय्या] १ किसी मृतक के पीछे ब्राह्मण को दिया जाने | सुखोपति-देखो 'सुसुप्ती' । वाला शय्या दान । २ पारामदायक शम्या । सुरुख-देखो 'सुख' । सुखसोरठ-पु. एक राग विशेष । सुख्खवाई-देखो ‘सुखदाई'। सुखस्यायक-पु. कल्प वृक्ष। सुख्खम-देखो 'सूक्ष्म'। सुखहारी-वि० सुख का हरण करनेवाला, दुःखदायी । सुख्याति-स्त्री० [सं०] १ कीति, यश, प्रशंसा । २ प्रतिष्ठा । सुखांछक-पु० चन्द्रमा, चांद ।। सख्यारत, सुख्यारथ-देखो 'सुक्यारथ'। सुखांत-वि. जिसका भन्त सुखमय हो। सुगव, सगंध, सुगंधउ-स्त्री० [सं० सुगंध] १ मच्छी व प्रिय सुखाकर-वि० सुखदायक, सुखकर । गंध । महक । खुशबू । २ गंधक । ३ चंदन । ४ जीरा । सुखाणी (बो)-कि० १ किसी गीले वस्त्र, कागज या वस्तु को ५ नीलकमल । ६ गंधेज नामक घास, गंध तृण । धूप या हवा में फैलाकर रखना, सुखाना । २ पाद्रता दूर | ७ खुशबूदार चीज । ८ बना। मरुवा । १० माधवीलता करना। ३ सूखने के लिये डाल देना। ४ पानी सोखने के ११ सफेद ज्वार । १२ केवड़ा । १३ राल । १४ व्यापारी। लिये प्रेरित करना । ५ दुर्बल या क्षीण करना । १५ रुसा घास । १६ शिलारस । १७ देखो 'सगंधित' । सुखायत-पु० [सं०] प्रशिक्षित, सधा हुमाव शीघ्र वश में पाने | सुगधउर-पु०१ हिरण, मृग। २ कस्तूरिया हिरण । वाला घोड़ा। सुगंधक-पु० [सं० सुगंधक:] १ चन्दन । २ लाल तुलसो । सुखारथी-वि० [सं० सुखार्थी] सुख की इच्छा या कामना ३ पुष्प, फूल। ४ नारंगी। ५गन्धक । -वि. जिसमें करने वाला। खुशबू हो । खुशबूदार । सुखाळा-वि० १ प्रसन्न चित्त, खुश मिजाज । २ सखी। | सुगंधका-स्त्री० सोन जुही; कस्तूरी। सुखाळी-स्त्री०१ सुख की अवस्था या भाव । २ प्राराम, चैन, | सगंधता-स्त्री० फूल प्रादि खुशबूदार वस्तुमों का गुण-धर्म, महक । . खैरियत । | सुगंधधर-पु० केसर । -वि• सुगंध को धारण करने वाला, सुखाळो-वि० (स्त्री० सुखाळी) प्रसन्न, खुश, सुखी। महकदार । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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