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पोही
पोरस
पोहो-देखो 'पौ'।
पौढरणो (बो)-क्रि० [सं० प्रलोठनम्] १ सोना, मोजाना । पोहोर-देखो 'प्रहर'।
२ आराम करने के लिये लेटना, विश्राम करना । पाँच-देखो 'पौच'।
३ धराशायी होना। ४ घोड़े या घोड़ी का भूमि पर पांचाळ, पौचाळी-देखो 'पौचाळी' (स्त्री पींचाली)
बैठना। पाँची-स्त्री० हाथी को नियंत्रण में करने का काष्ठ का उपकरण पौढ़म पु० [सं० प्रौढ] १ शौर्य, पराकम, बहादुरी। २ पौढ़ता, विशेष ।
प्रौढ़त्व । ३ देखो 'पौढिम'। पौय-देखो ‘पहुंच।
पौढ़ाकू वि० शयन करने वाला। पौंथरणो(गे)-१ देखो 'पौथणी' (बी) । २ देखो 'पहुंचणी' (बो)। पौढ़ाडणौ (बौ), पौढ़ाणौ (बो)--क्रि० १ सुलाना, सोने के लिये पोहचणी (बो)-देखो 'पहुंचणी' (बौ)।
प्रेरित करना । २ लेटाना, पाराम कराना। ३ धराशायी पौहचि-देखो 'पोच' ।
करना । ४ घोडे या घोड़ी को भूमि पर बैठाना, गिराना। पोहचौ-देखो 'पूचौ'।
| पौढ़ापौ-पु० [सं० प्रौढत्व] १ प्रौढ़ावस्था । २ वृद्धावस्था, पौ'-स्त्री० [सं० प्रपा] १ राहगीरों, यात्रियों प्रादि को जल वृद्धत्व । ३ देखो 'पौढ़म'।
पिलाने का स्थान, प्याऊ। २ प्रातःकाल । ३ चौपड़ का पौढ़ी-स्त्री. १ मारवाड़ के पोकरण नगर का पुराना नाम । एक दाव । ४ देखो 'परौं।
२ सोने की क्रिया या भाव । पौइणी-देखो 'पोयणी'।
पौढ़ोमणी-वि० [सं० प्रौढ़] प्रौढ़त्व वाला, प्रौढ़ । पौक-पु० पशुओं के बैठने का खुला स्थान ।
पौढ़ी-वि० [स० प्रौढ़] (स्त्री० पौढ़ी) १ प्रौढ़ । २ अनुभवी, पो'कर-देखो 'पुस्कर'।
बुद्धिमान । ३ विकसित, परिपक्व । ४ निपुण, चतुर । पौकार-देखो 'पुकार'।
पौतरणो(बी)-१देखो 'पोतरणो' (बो)। २ देखो 'पहुँचरणों' (बी)। पौगड-पु० [सं० पौगंडम्] पांच से सोलह वर्ष तक की अवस्था। पोताणी (बो), पोतावणो (बो)-१ देखो 'पोताणी' (बो)। पौड़-पु० घोड़े का सुम।
२ देखो 'पहुंचारणो' (बी)। पोडी-स्त्री० घोडे या ऊंट के अगले पैरों में बांधने का बंधन पौतारणी (बी)-देखो 'पू'तारणो' (बी)। विशेष ।
पौत्र-देखो ‘पोतो। पौच-स्त्री० [सं० प्रभूत] १ पहुंचने की क्रिया या भाव। पौत्राण-पु० १ दोहित्र की संतान, दोहित्र का वंश ।
२ यथा-स्थान पहुंचने की सूचना । ३ जाने या पहुँचने की २ पौत्र व उसका वश । सीमा। ४ क्षमता, बल, सामर्थ्य । ५ ज्ञान, अनुभव, सूझ- पौथरणो (बी)-क्रि० [स० प्रस्थानम्] १ प्रस्थान करना । बूझ । ६ ज्ञान की सीमा। ७ काम करने की योग्यता। २ प्रयाण करना । ३ देखो 'पहुँचणो' (बो)। ८ देखो 'पूची'।
पोथाळी-वि० हृष्ट-पुष्ट ।। पौचणी (बौ)-देखो 'पहुंचरणो' (बौ)।
पौद, पौध, पौधौ-देखो 'पोदो'। पोचवान-वि० १ सिद्धि प्राप्त, सिद्ध। २ शक्तिशाली, समर्थ, पौन-देखो 'पवन'। क्षमतावान । ३ पहुंचने वाला।
पौर- १ देखो 'पौर' । २ देखो 'प्रहर'। पौचाणी (बी)-देखो 'पहुंचाणो' (बो)।
पौर-प्रव्य० [सं० परुत] गत वर्ष में, पिछले वर्षों में । पौचारी-पु. १ पानी आदि में भिगोकर प्रांगन आदि पोंछने का
-पु०- गत वर्ष, पिछला वर्ष । वस्त्र । २ उक्त वस्त्र से पोछने का कार्य । ३ उक्त कार्य की
पौरख-देखो 'पोरस' । मजदूरी। ४ तोप या बंदूक की नाल को ठंडी करने का
पौरव-वि० [सं०] १ पुरु का, पुरु संबंधी । २ पुरु से पाया वस्त्र।
हुमा । -पु. १ पुरु के वंशज । २ उत्तर भारत का एक
प्रान्त । ३ उक्त प्रान्त का अधिशासी। पौचाळ, पौचाळी-वि० १ पहुंच वाला, शक्तिशाली, समर्थ ।
पौरवी-स्त्री० [सं०] १ संगीत में एक प्रकार की मूर्च्छना । २ सिद्ध, मिद्धि वाला।
२ युधिष्ठिर की धर्मपत्नी का नाम । ३ वसुदेव की पोचावणो (ब)-देखो 'पहुंचाग (बी)।
एक पत्नी का नाम । पौछ-देखो 'पौच'। -वान-='पोचवांन' ।
पोरस-वि० [सं० पौरुषेय] मनुष्य का, मनुष्य संबंधी। -पु० पौछाड़सी (बो), पौछारणो (बो), पौछावणी (बो)-देखो [सं० पौरुषम्] १ मानवी कर्म, मनुष्य का कार्य । २ वीरता 'पहुंचारणी' (बी)।
बहादुरी, शौर्य । ३ शक्ति, बल । ४ जोश, उत्साह ।
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