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सहयो
( ७०४ )
सचियार
खमीर उठना। ५ दीन-हीन अवस्था में पड़े रहना। | , झोंपड़ी। ३ अधिक पकने से बेकार हुई मूली। ४ श्मशान ६ कष्टमय या बुरी दशा होना। ७ व्यथं पड़ा खराब | भूमि में दाह किए गये शव की ताजी राख का ढेर । होना ।
सचंग-देखो 'सुचग' । सड़बो-देखो 'सड़वो'।
सच-देखो 'सत्य'। सड़वड़णी (बी)-क्रि० १ तेज गति से चलना। २ भागना, सचकार-देखो 'सचकार'। दौड़ना।
सचकित-वि० [सं०] १ भड़का हुआ। २ डरपोक, कायर । सड़बड़ियो-पु. १ कायर । २ गरीब, दीन ।
३ कांपता हुमा । ४ पाश्चर्य युक्त । सड़ववन-पु० [सं० षड्वदनः] स्वामिकात्तिकेय ।
सचरणो (बो)-देखो 'सचरणो' (बी)। सड़वरग-पु० [सं० षड्वर्ग] १ छः वस्तुत्रों का समूह या वर्ग। | सचबोलो-वि० (स्त्री० सचबोली) सत्य बोलने वाला, सत्यवादी।
२ ज्योतिष में क्षेत्र, होरा, प्रेष्काण, नवमांश, द्वादशांश सचराचर (रि, री)-वि० [सं० सचराचर] चर-अचर मब; पोर त्रिशांश का समूह । ३ काम, क्रोध, मोह, मद और स्थावर व जगम समस्त ।-पु० १ ससार के जड़ व चेतन मत्सर का समूह । ४ समग्र ऐश्वर्य, समग्र धर्म, समग्र यश, सभी तत्त्व । २ चौसठ भैरवों में से एक ।
समग्र श्री, समग्र ज्ञान, समग्र ज्ञान वैराग्य ये छः तत्त्व। । सचळ-वि०१ चलायमान अस्थाई । २ गतिशील । ३ प्रटल, सविदुतेल-पु० [सं० षड्विंदुतल] सिर दर्द से संबधित वैद्यक पक्का । में एक तेल ।
सळियो, सचळो, सचल्यो-वि० (स्त्री० सचळी) १ नट-खट सड़विकार-पु० [सं० षड्विकार] १ प्राणियों की छः अवस्थाएँ। और चचल । २ चुप, शांत ।
उत्पत्ति, वृद्धि, बालापन, प्रौढ़ता, वृद्धत्व तथा मृत्यु । सचवारणी (बी)-क्रि० १ जड़वाना, लगवाना। २ जांच कराना। २ काम, क्रोधादि छः मनोविकार ।
सचवादी-देखो 'मत्यवादी' । सड़वी-पु० फसल की, पशु-पक्षियों से रक्षार्थ, खेत में खड़ा किया सांण (न)-१ देखो 'साचौ' । २ देखो "सिंचाण' । जाने पाला पुतला।
सचांणी-देखो ‘साचांणी'। सड़सठ-१ देखो 'सतसठ' । २ देखो 'छासठ' ।
सचाई-स्त्री० सत्यता, सच्चापन । सहारण, सड़ांध-स्त्री० १ सड़ने की क्रिया या अवस्था ।। सचाडो-वि० १ श्रेष्ठ । २ जबरदस्त । . २ दुर्गन्ध, बदबू ।
सचाडपो (बी)-क्रि० सहायता लेना। सड़ाक (को)-पु० कोड़े या चाबुक में प्रहार की ध्वनि ।-क्रि०वि० सचाळ-देखो 'सचाळो' । शीघ्र, तुरन्त ।
सचाळी-स्त्री० क्रीड़ा करने वाली देवी। सहाणी (बी)-क्रि० किसी वस्तु को सड़ने या विकृत होने के सचाळी-वि० (स्त्री० सचाळी) १ वीर, योद्धा । २ तेजस्वी। लिये छोड़ देना, विकृत करना, खमीर उठवाना।
३ गतिमान, चलने वाला । ४ खुशी व उमंग सहित । -पु. सड़ानन-पु० [सं० षडानन] १ स्वामिकात्तिकेय, स्कन्द । युद्ध, संग्राम । २ संगीत में स्वर साधन की एक विधि।
सचावट-स्त्री० सच्चापन, सत्यता। सड़ायध-स्त्री० वस्तु के सड़ने से उत्पन्न दुर्गन्ध, बदबू । सचाह-वि० इच्छा सहित, इच्छुक । सड़ाव-स्त्री० सड़ने की क्रिया या अवस्था ।
सचित-वि० १ जिसे चिता हो, चिन्तातुर । २ देखो 'सचीत' । सड़ासह-क्रि० वि० १ सड़-सड़ शब्द या ध्वनि करते हुए। सचि-पु० [सं०] १ मित्र, दोस्त । २ मित्रता, दोस्ती। ३ देखो
२ शीघ्र, तेज गति से । ३ बिना रुके, निरन्तर लगातार । | 'सत्य' । ४ देखो 'सची'। .. सडिद (दो)-पु० [अनु०] १ छड़ी, चाबुक प्रादि के प्रहार से सचिक्करण (न)-वि० [सं०] अत्यन्त चिकमा, स्निग्ध । उत्पन्न ध्वनि । २ प्रहार, चोट।
सचित-वि० [सं० सचित्] जिसे ज्ञान या चेतना हो। सड़ियळ-वि० १ सड़ा हुमा। २ रद्दी, निकम्मा । ३ नीच
सचितानंद-देखो 'सच्चिदानंद' । पतित।
सचित्त-स्त्री० [सं०] जिसे चेतना व ज्ञान हो, चैतन्य, सावधान । सड़ियो-पु. १ घास-फूस से बुनी मोटी रस्सी । २ ऊंट के अगले । पैर बांधने का, चमड़े का बधन ।
सचित्राळी-स्त्री० दुर्गा, देवी । सड़ी, सड़ी-स्त्री. १ भैस के चमड़े की रस्सी । २ टहनी। सचियादे (२), सचियाय-स्त्री. १ चारण कुलोत्पन्न एक देवी । सड़ो, सड़ी-पु. १ वह बड़ा चौक या भू-भाग जिसके चारों ओर २ प्रोसियां (जोधपुर) में स्थित एक प्रसिद्ध देवी।
काटों की बाड़ हो, बाड़ा। २ कूए के पास बनी कच्ची सचियार-पु० [सं० सत्य] सच्चा, सत्य ।
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