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पथदरसक
( २५ )
पदम
पथदरसक-वि० [स० पथदर्शक] रास्ता दिखाने वाला। पदग, पदग्ग-पु० [सं०. पदग, पदाग्र] १ पैदल चलने वाला पथर-देखो 'पत्थर'। -कळा='पत्थरकला'।
प्यादा । २ पैर का अगला भाग। ३ देखो ‘पदक' । पथरणउ, पथरणी-पु० [सं० प्रस्तरणम्] १ गद्दा, घासिया । पदचर-वि० [सं०] १ पैरों से चलने वाला। २ पैदल चलने २ बिछाने का वस्त्र
वाला, प्यादा। पथरणो (बी)-देखो 'पाथरणी' (बी)।
पदचापड़ी-स्त्री० पगचम्पी। पथराणौ (बो), पथरावणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रस्तरणम्] | पबचार, पदचारी-पु० [सं० पदचारिन्] १ पैदल चलने वाला
१ बिछवाना, फैलवाना । २ छितरवाना, बिखरवाना । ___व्यक्ति या प्राणी । २ देखो 'पदचर। पथरी-स्त्री० [सं० प्रस्तर] १ मूत्राशय में जमने वाला पत्थर पदचिह्न-पु० [सं०] १ चलते समय बनने वाले पैरों के निशान । . खण्ड, एक रोग । २ पक्षियों का पक्वाशय । ३ पत्थर की । २ किसी देव या सिद्ध-पुरुष के, पत्थर प्रादि पर बने पैरों - प्याली या कुडी । ४ चकमक का पत्थर । ५ शान, सिल्ली। | के निशान । पथरीली-वि० पत्थरों से युक्त, पत्थरों से भरा, जहां पर | पवठवणउ, पवठवणी-पु० [सं० पद - स्थापनम्] पांवड़ा। पत्थर बिखरे हों।
पवलळ-पु० [सं० पद-तल] पैर का तल, तलुवा । पथरोटी, पथरोटो-पु० पत्थर का पात्र, कुडा ।
पदत्याग-पु० [सं०] किसी प्रोहदे, उपाधि या स्थान का परित्याग । पथारी-स्त्री० [सं० प्रस्तरणम्] १ बिस्तर, बिछौना । २ झड़ | पदत्रभंग-पु० [सं० पद त्रिभंगी] श्रीकृष्ण । बेरी के कांटों का बड़ा गुच्छा।
पदद्रव-पु० [सं०] भागना क्रिया, पलायन । पथि-देखो १ 'पथ' । २ देखो 'पथ' ।
पदपलब, पदपल्लव-पु० [सं० पदपल्लव] पैर की अंगुली। पथिक-पु० [सं०] १ राहगीर, यात्री। २ रास्ता बताने वाला।
पदपीठ-स्त्री० [सं०] जूती। पथिचक्र-पु० [सं०] यात्रा का योग जानने का चक्र। (ज्योतिष) पथी-१ देखो 'पथ' । २ देखो 'पथिक' ।
पदबंध-पु० [सं०] १ वह गद्य जिसमें अनुप्रासों और समासों की पथ्थ-१ देखो ‘पथ' । २ देखो 'पथ' । ३ देखो ‘पथ्य'।
अधिकता हो। २ पद्य बंध पथ्थर-देखो 'पत्थर'।
पदबी-देखो ‘पदवी'। पथ्य-पु० [सं०] १ शीघ्र पचने वाला भोजन, आहार । २ पेट | पदम-पु० [सं० पद्म] (स्त्री० पदमण, पदमणी) १ कमल ।
व स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाला पदार्थ । ३ हर्र का २ विष्णु का एक आयुध । ३ पैर में रेखामों से बना कमल । वृक्ष । ४ हित, मंगल । वि०-१ गुणकारी, लाभप्रद । ४ नव निधियों में से एक । ५ गले में पहनने का एक प्रकार २ योग्य, उपयुक्त ।
का गहना । ६ हाथी के मस्तक पर बनाये जाने वाले चिह्न । पश्या-स्त्री० [सं०] हरीतकी, हर्र ।
७ पदम वृक्ष, पदमाख । ८ सर्प के सिर पर बना चिह्न। पद-पु० [सं०] १ पैर, चरण, पग । २ योग्यता के अनुसार ९ बिल्ली के पंजे पर बना चिह्न । १० एक
नियत स्थान। दर्जा । ३ भक्ति संबधी कविता, भजन । ही कुर्सी पर बना आठ हाथ चौड़ा घर । ११ एक ४ छन्द या श्लोकादि का चतुर्थांश । ५ नौकरी में किसी प्रकार का नाग । १२ . गणित में सोलहवें स्थान वेतन विशेष का स्थान । प्रोहदा ६ व्यवसाय, कार्य । का संख्या। १३ शरीरस्थ एक कमल विशेष । १४ सोलह ७ निश्चित अर्थवाला वाक्यांश । ८ उपाधि, पदवी। पैर प्रकार के रतिबंधों में से एक । १५ बलदेव । १६ पुराणाका चिह्न या निशान । १० मोक्ष, निर्वाण । ११ दान में नुसार एक नरक का नाम । १७ जम्बू द्वीप के दक्षिणदेने की वस्तु । १२ महिमा, मर्यादा । १३ खोज, पता। पश्चिम का एक देश। १८ भारत का नौवां चक्रवर्ती १४ प्रावास स्थान, घर। १५ प्रकाश की किरण । (जैन)। १९ एक पुराण । २० जनों के एक तीर्थकर । १६ देखो 'पद्य' । -वि० कोमल, मुलायम ।
२१ एक वर्ण वृत्त । २२ घोड़े के कंधे व बगल की भौंरी। पवआस्रय-पु० [सं० पदमाश्रय] घर, गृह ।
२३ प्राभूषणों पर खोद कर बनाया गया चिह्न विशेष । पदक-पु० [सं०] तुकमा, मंडल, बिल्ला ।
२४ वार व नक्षत्रों का एक योग । २५ हाथी, गज । पदकड़ी-स्त्री० एक आभूषण ।
-धर-पु० ईश्वर, विष्णु । -नाग-पु. नागों की एक
जाति । -नाम-पु० ईश्वर, विष्णु, श्रीकृष्ण । ब्रह्मा । एक पदक-झरना-पु० हीरा।
तीर्थकर । -बंध-पु. सूर्य, भानु । -भू-'पद्मभू'-सिलापरकणी (बो)-देखो 'फुदकणो' (बी)।
स्त्री० रहट वाले पत्थर को दबा कर रखने वाली शिला । पदकुळक, पबकूळक-देखो 'पादाकुळक' ।
-हत, हस्त-पु० सूर्य, भानु ।
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