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फतवी
फर
फतवी-देखो फतूही'।
का काजल का टीका । ४ स्त्रियों व कन्यानों द्वारा हथेली फतह-स्त्री० [१०] १ विजय । २ सफलता, कामयाबी।
पर बनाई जाने वाली मेंहदी की टिकिया। ५ अपराधी को __-चांद-पु. पगड़ी पर धारण करने का आभूषण ।
कैद से छुड़ाने के बदले दिया जाने वाला धन। ६ एक फतहपेच-पु. [अ० फतह-रा०पेच] १ पगड़ी बांधने का एक ढंग। प्रकार का अर्थ दण्ड ।
२ पगड़ी पर धारण करने का प्राभूषण विशेष । ३ स्त्रियों फन-पु० [अ०] १ गुण, खुबी । २ विद्या । ३ कला, दस्तकारी। के शिर गूथने का एक ढंग । ४ स्त्रियों के शिर का एक | ४ देखो 'फण'। प्राभूषण विशेष ।
फनधर-देखो 'फरणधर'। फतूर-पु० [अ० फुतूर] १ उपद्रव, खुरापात । २ ढोंग, आडंबर | फनपति-देखो 'फणपति'। पाखंड । ३ विघ्न, बाधा । ४ हानि, नुकसान ।
फनफनाट-पु. १ शरारत, उद्दण्डता। २ क्रोध में बड़बड़ाट । फतूरियो-वि० १ 'फतूर' करने वाला । २ उपद्रवी, उद्दण्ड । ३ फन फटकारने की क्रिया। ३ ढोंगी, पाखंडी। ४ विघ्नकारक, बाधक ।
फनमाळ-देखो 'फरणमाळ' । फतूह-पु० [अ० फुतूह] १ समूह, ढेर । २ विजय, जीत । फनाळी-देखो 'फरणाळी'। ३ सफलता।
फनी-देखो 'फरणी'। फतूहा-स्त्री० ध्वजा, झडा, पताका ।
फफरी-स्त्री० [देश॰] धमकी, घुड़की । डांट, फटकार । फतही-स्त्री० [अ० फुतूही] १ बिना प्रास्तीन का एक छोटा | -वि० १ नमकीन । २ चिकनी चुपड़ी।
कमीज । २ सदरी, जाकेट । ३ युद्ध में लूटकर लाया माल । | फफबा, फफबौ-पु. एक प्रकार का विषैला जीव । फते, फतेह, फतै-देखो 'फतह'।-चांद='फतहचांद' । फफूदी-स्त्री० [देश॰] १ स्त्रियों की साड़ी प्रादि में लगाने की फतैपेच-देखो 'फतहपेच'।
गांठ बिशेष । २ बरसात के दिनों में किसी वस्तु पर जमने फवकरण-पु. १ चारों ओर पाहते से घिरे खेत के प्रवेश द्वार वाला रुई की तह जैसा पदार्थ । ३ एक पतंगा विशेष ।
पर खड्डा खोद कर, उस पर रखा जाने वाला लंबा सीधा ४ भुकड़ी। पत्थर या लकड़ा । २ देखो 'फुदकरण'।
फफोळी-पु० [सं० प्रस्फोट] जलने या रक्त विकार से त्वचा पर फवकणो, (बौ)-देखो 'फुदकणों' (बौ)।
बतासे की तरह होने वाला फोड़ा। फदकूड़ी-पु. (स्त्री० फदकूड़ी) १ उछल-कूद करने वाला। | फब, फबण-वि० [सं० प्रभवन] १ सुन्दरता, छबि । शोभा।
२ उछलने वाला । ३ बिना मतलब की भाग-दौड़ करने २ अच्छा लगने की अवस्था । वाला।
फबरणो (बौ)-देखो 'फाबरणो' (बी)। फदके (के)-क्रि० वि० शीघ्रता से, जल्दी।
| फबती-वि० उपयुक्त, प्रसंगानुसार । -स्त्री० १ उपयुक्त बात । फदको, फवड़कउ, फदड़की-पु० [देश॰] १ कूद-कूद कर चलने २ व्यंग, चुटकी।
वाला कीड़ा । २ फुदकने वाला जीव । ३ फटे हुए दूध का | फबीलो-वि० [सं० प्रभा+रा० ईलौ] (स्त्री० फबीली) सुन्दर, लच्छा। ४ रुई कातने में बीच-बीच में रहने वाला गुच्छा, । छैला, रसिक, शौकीन । फुमदा । ५ अाकाश में छितराये खाली-बादल । ६ देखो फबो-देखो 'फुबौ'। 'फरडको'।
फम्बरणौ (बौ)-देखो 'फाबरणो' (बौ)। फबफव-स्त्री. १ खिचड़ी प्रादि से, पकते समय उत्पन्न ध्वनि
फभड़ी, फमड़ी-देखो 'पांभड़ी' । २ देखो 'फदाफद'।
फरंग-१ देखो 'फिरंग' । २ देखो 'फिरंगी'। फदफदाटौ-पु० [देश॰] १ उछल कूद । २ जोश, आवेश । ३ फुदकने की क्रिया या भाव ।
फरंगट-देखो 'फरगट'। फदाको-देखो 'फदाक'।
फरंगांरण, फरंगी-देखो 'फिरंगी'। फदाफद-क्रि० वि० फुदकते हुए, उछलते हुए, छलांगें मारते हुए । फर-स्त्री० [सं० फलम्] १ पीठ । २ पर्वत की तलहटी। फवाळ-पु०[देश॰] 'फदाळी' लोगों द्वारा बजाने का एक बाजा। ३ जलाशय की पाज का नीचला भाग । ४ पशुओं के अगले फवाळी-स्त्री० सुन्नी मुसलमानों के अन्तर्गत एक जाति ।
पैरों के संधिस्थल के पास का भाग। [सं० फलकं, फदियो-पु० [अ० फदियः] १ मध्यकाल में प्रचलित एक छोटा फलम] ५ ढाल। ६ बाण की नोक । ७ ढलवां भू-भाग,
सिक्का। २ मांगलिक अवसरों पर कुम्हार, बढ़ई प्रादि को ढलाव । ८ झूठी प्रशंसा । ६ चिड़िया आदि के उड़ने से दिया जाने वाला पुरस्कार । ३ बच्चे के अंगप्रत्यंग पर लगाने । उत्पन्न ध्वनि । १० देखो 'फळ' ।
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