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पुकार
पुजागो
पुकार-स्त्री० [सं० प्रकुश] १ किसी प्रकार की मदद प्रादि के | पुगड़ो-देखो 'पगड़ो।
लिये लगाई जाने वाली लम्बी प्रावाज। २ किसी को | पुगताई-देखो 'पुखताई' । बुलाने के लिये की जाने वाली आवाज। ३ फरियाद । पुगतापरण-देखो 'पुखतापण' । ऊंची आवाज में की जाने वाली मांग। ४ राजा, | पुगतो-देखो 'पुख्नो' । बादशाह या शासक के सामने अपने कष्ट संबंधी कही पुगाणी (बी)-देखो ‘पहुंचाणो' (बी)। जाने वाली बात । ५ दुःख में ईश्वर को याद करने की | पुगावरण-स्त्री० १ पहुंचाने की क्रिया । २ पहुँचाने वाला। क्रिया।
पुगावरणौ (बौ)-देखो 'पहुंचाणो' (बी)। पुकारणी (बो)-क्रि० [सं० प्रकुश] १ रक्षा या बचाव के लिये | पुग्गळ, पुग्गल-१ देखो 'पुदगळ' । २ देखो 'पूगळ' ।
चिल्लाना, पुकारना । २ किसी को बुलाने के लिये जोर से पुड़-पु० [स० पुट] १ तह, परत । २ नगाड़े या ढोल पर मंढा प्रावाज देना। ३ जोर से बोलकर सुनाना। ४ फरियाद जाने वाला चमड़ा । करना, शिकायत करना। अपने कष्ट की बात कहना। पुड़ऊंध-पु० [सं० पुटऊर्ध्व] उथल-पुथल । अव्यवस्था । ५ नाम जपना, रट लगाना।
पुड़च्छी, पुड़छी-स्त्री० १ घोड़े की पीठ में 'मुद्दा' और 'पु?' पुकार-वि० पुकार करने वाला, फरियादी।
के मध्य का भाग । २ देखो 'पड़छी'। पुक्कर-देखो पुस्कर'।
पुड़तकाळ-देखो 'पुरतगाळ' । पुक्कळ-पु० एक सूर्य वंशी राजा का नाम ।
पुड़दड़ी-स्त्री० [स० पुट-द्रढ़ी] कटारी की म्यान । पुक्खर-वि० [सं० प्रखर १ तीक्ष्ण, धारदार पैना । २ देखो | पुडपुड़ी-स्त्री० [सं० पुट्] गुदगुदी। 'पुस्कर'।
पुडि-१ देखो 'पुड' । २ देखो 'पुडी'। पुक्खरवरत-देखो 'पुस्करवरत'।
पुड़िको-देखो 'पुड़ो'। पुक्ष-पु० [सं०] १ पुस्य नामक राजा जो हिरण्यनाभ का पुत्र था।
पुड़ियाळ-देखो 'पुड़। २ देखो 'पुस्य'।
पुड़ियो-पु० १ चक्की का पाट । २ देखो 'पुड़ो' । ३ देखो 'पुडी'। पुख-देखो 'पुम्य'।
पुड़ी-स्त्री० [सं० पुटिका] १ चक्की से पीसा हमा पाटा गिरने पुखणी (बो)-क्रि. [सं० पुष्प] १ पुष्पों की माला बनाना। ___ का गोलाकार स्थान । घेरा । २ पराठा । ३ तली हुई २ देखो 'पोखणो' (बी)।
पूरी । ४ कागज में कोई वस्तु रख कर बांधा गया संपुट । पुखत-देखो 'पुख्त'।
५ देखो 'पुड़। पुखताई-स्त्री० १ गंभीरता, गांभीर्य । २ वृद्धावस्था । ३ मजबूती पुडी-पु० १ बड़ा सम्पुट, बण्डल, पुडीका । २ चूतड़ । दृढ़ता।
पुचकार-स्त्री० १ मोठों से की जाने वाली प्यार भरी ध्वनि । पुखतापण, पुखतापणी, पुखतापी-पु० १ गंभीरता । २ वृद्धावस्था। चुमकार । २ अोठों से चूमने से उत्पन्न ध्वनि। ३ दृढ़ता मजबूती। ४ स्थिरता।
पुचकारणी (बौ)-क्रि० १ स्नेह या प्यार करना, प्यार से धैर्य पुखमास-देखो 'पुस्यमास'।
बंधाना । २ मोठों से स्नेह भरी ध्वनि करना। चुमकारना । पुखर-देखो 'पुस्कर'।
३ प्यार से शरीर पर हाथ फेरना । ४ रोते हुए को पुखरांग-पु० [सं० पक्षिराज] गरुड़ ।
सांत्वना देना। पुखराज-पु० [सं० पुष्पराग] पीले रंग का एक बहुमूल्य रत्न। | पुचकारी-देखो 'पुचकार'। पुखराजी-वि० 'पुखराज' का बना ।
पुच्छ, पुच्छी-देखो 'पूछ' । पुखलावती-स्त्री० [सं० पुष्कलावती] पुष्कलावती नामक नगरी।
पुच्छरणी (बी)-देखो 'पूछणो' (बी) । पुखसनान-देखो 'पुस्यस्नान' ।
पुजनीक-देखो 'पूजनीक'। पुखा-पु० [सं० पूषन] सूर्य ।
पुजा-देखो 'पूजा'। पुखि-देखो 'पुस्पनक्षत्र'।
पुजाई-स्त्री. १ पूजने की क्रिया भाव, पूजा, सेवा । २ पूजा के पुखीख, पुखेक-पु. कामदेव ।
बदले मिलने वाला पारिश्रमिक या भेट । पुस्त, पुस्ता, पुखतौ-वि० [फा० पुख्तः] १ बृद्ध, बुजुर्ग, बूढ़ा। पुजाणो (बी)-क्रि० १ देव पूजन कराना, पूजा का कार्य कर २ पक्का, दृढ़, मजबूत । ३ पूर्ण, पूरा।
वाना । २ अपनी पूजा या प्रतिष्ठा कराना। ३ पुजवाना, पुख्यारक-देखो 'पुस्यारक' ।
महत्व बढ़वाना ।
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