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पुरुजित
पुळपुळाणी
पुरुजित-पु० [सं०] १ कुतिभोज का पुत्र व अर्जुन का मामा।| की क्रिया। ३ उक्त पाहुति देते समय पढ़ा जाने वाला २ निमिवशीय एक राजा । ३ विष्णु ।
मत्र । ४ सोमरस । पुरुणो (बो)-क्रि० पूर्ण करना, पूरा करना।'
पुरोहिप, पुरोहित, पुरोहितु-पृ० [सं० पुगेहित] (स्त्री. पुरुस पुरुसड़ौ-पु० [सं० पुरुष] १ मानव जाति का नर प्राणी, पुरोहितरण, पुरोहितारणी) १ यज्ञ, अनुष्ठान सस्कार मादि
मादमी, पुरुष । मनुष्य । २ प्रकृति से भिन्न एक अपरिणामी कराने वाला ब्राह्मण । २ प्रधान याज्ञिक कर्म कराने वाला अकर्ता और प्रसंगचेतन तत्त्व, विश्वात्मा । ३ मानव शरीर ब्राह्मण। ३ ब्राह्मणों का एक वर्ग । ४ सामंत या राजा या प्रात्मा। ४ किसी स्त्री का पति । ५ जीव, प्रात्मा। का कुलगुरु । ५ राज गुरु । ६ परमात्मा । ७ सूर्य । ८ शिव। ९ किसी पीढ़ी या पुश्त | पुरोहिताई-स्त्री०१ यज्ञ प्रादि कराने का कार्य । २ राज गुरु का प्रतिनिधि । १० अधिकारी, कार्यकर्ता। ११ वक्ता की का पद । ३ उक्त पद का वेतन । दृष्टि से किया जाने वाला सर्वनाम का विभाजन। पुरी-देखो 'पर'। १२ पुरुषों की बहत्तर कलाओं में से एक । १३ गुमाश्ता पुलबर, पुल दो, पुलंद्र-देखो 'पुरंदर'। नौकर । १४ प्रांख की पुतली। -ग्रह-पु० रवि, मंगल, पूल, पल-स्त्री० [फा० पल] नदी, जलाशय प्रादि के पार-पार गुरु । -नक्षत्र-पु० अश्विनी, मघा, मूल, रेवती, पुष्य, | जाने का, पानी के ऊपर बना रास्ता, सेतु । २ देखो ‘पळ' । श्रवण, हस्त और शतभिषा नक्षत्र । -मेध-पु. मनुष्य |
पुळक, पुलक-पु० [सं० पुलकन्] १ प्रेम, भय, हर्ष के कारण की बलि वाला यज्ञ । -रासि-स्त्री० मेष, मिथुन, सिंह,
शरीर में होने वाला रोमांच, कम्पन । २ कोई कार्य करने तुला, धन और कुभ। -वार-पु० रवि, मंगल और
__ की इच्छा, कामना । ३ हर्ष, प्रसन्नता । ४ एक प्रकार का गुरुवार ।
बहुमूल्य पत्थर, रत्न । ५ हाथी का रातिब । ६ हरताल । पुरुसातन-पु० [सं० पुरुष-तन] शक्ति, बल, सामर्थ्य । पुळकरणौ (बौ)-कि० १ रोमांचित होना, कम्पायमान होना । पुरुसारथ-पु० [सं० पुरुषार्थ] १ पुरुष की शक्ति, सामर्थ्य । २ इच्छा या कामना होना। ३ हर्षित या प्रसन्न होना।'
२ कार्य करने का उत्साह । ३ पुरुष के उद्योग का विषय । पुळकारणी (बी), पळकावणो (बी)-क्रि० १ रोमांचित करना, ४ परिश्रम, उद्यम।
कम्पायमान करना। २ इच्छा या कामना जागृत करना । पुरुसारथी-वि० [सं० पुरुषार्थी] १ परिश्रम एवं मेहनत करने । ३ हर्षित या प्रसन्न करना। वाला । २ उत्साही।
पुकि-देखो 'पुळक'। पुरुसु-देखो 'पुरुस'।
पुलकित-वि० [सं०] १ रोमांचित, कम्पित । २ गद्गद् । ३ हर्षित, पुरुसोतम, पुरुसोत्तम-पु० [सं० पुरुषोत्तम] १ पुरुषों में उत्तम,
प्रसन्न । श्रेष्ठ पुरुष। २ ईश्वर । ३ श्रीरामचन्द्र । ४ श्रीकृष्ण ।
पुलग-पु० [सं० प्लवंग] घोड़ा। ५ जगन्नाथ पुरी का मंदिर । ६ जगन्नाथ की मूति(उड़ीसा)
पुळच(छ)-देखो 'पोळछ' । -क्षेत्र-पु० जगन्नाथपुरी (उड़ीसा) । -मास-पु०
पुळण(न)-देखो 'पुलिन'। अधिकमास, मलमास ।
पुळणी(बो)-क्रि० [सं० पलायनम्] १ कूच करना, प्रस्थान पुरुहूत-पु० [सं०] इन्द्र ।
करना । २ चलना, गमन करना । ३ गतिमान होना । पुरुसरणौ (बो)-देखो 'पुरसणी' (बौ)।
४ बहना । ५ दौड़ना, भागना । ६ युद्ध से भागना । ७ नष्ट पुरेंद्री-देखो 'पुरंध्री'।
होना, मिट जाना । ८ खिसकना । ९ व्यतीत होना, गुजरना। पुरे-देखो 'प्रहर'।
पुळपुळ-स्त्री० १ उद्दण्डता. शैतानी। २ चंचलता। ३ गुदगुदी, पुरोगत-वि० [सं०] १ जो सामने हो, सम्मुख । २ पुराना,
मचमची । ४ हल्की खुजलाहट । प्राचीन । ३ गत, विगत । ४ देखो 'पुरोगति' । पुरोगति-वि० [सं०] अग्रगामी। -स्त्री० १ आगे-मागे चलने
पुळपुळणी (बो)-क्रि० १ उद्दण्डता या शैतानी करना । की क्रिया या भाव । २ पुरोगत होने की अवस्था -पु०
२ चंचलता करना । ३ गुदगुदी होना, मचमचाना। ४ हल्की ३ स्वान, कुत्ता।
खुजलाहट होना। पुरोचन-पु० [सं०] लाक्षागृह में पांडवों को जलाने के लिये पुळपुळा'ट-देखो 'पुळपुळाहट' । ____ नियुक्त दुर्योधन का म्लेच्छ मंत्री।
पुळपुळाणी(बी)-क्रि० १ कोई खाद्य पदार्थ मुह में रख कर पुरोडा, पुरोडास-पु० [सं० पुरोडाश] १ कपाल में पकाई हुई उसका स्वाद लेना, रस-चूसना । २ ऊपर हाथ फेरमा,
प्राटे की टिकिया । २ इस टिकिया की यज्ञ में आहुति देने | सहलाना । ३ देखो 'पुळपुळणो' (बो)।
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