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प्रमुख
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प्रमुख - वि० [सं०] १ सबसे अग्र या पहले होने वाला । २ मुख्य, प्रधान। ३ सर्वश्र ेष्ठ, उत्तम ४ सर्वोच्च पद पर होने वाला । ५ जो दूसरों के प्रतिमुख होकर खड़ा हो। -पु० १ राज्य का प्रधान । २ प्रधान शासक ३ विधान सभा या संसद का अध्यक्ष । - श्रव्य० १ प्रादि प्रभृति । २ प्रागे सामने २ बर्गर प्रमुखता - स्त्री०
[सं०] १ प्रमुख होने की अवस्था या भाव। २ प्राथमिकता । ३ विशेषता ।
( ११९ )
प्रमुख पु० [सं०] १ धानन्द, हर्ष २ देखो 'प्रमुदित'
प्रमुदित - वि० [सं०] १ प्राह लादित, हर्षित, खुश । २ सुखी । प्रमूhit (at) - देखो 'मूकणी' (बौ) ।
प्रमेय - वि० [सं०] १ जिसका अवधारण हो सके, जो समझ में
श्री सके । २ जो प्रमाण का विषय हो । ३ जो प्रमाणों से सिद्ध हो सके। पु० १ प्रमारणों से जाना हुआा विषय । २ सूत्र ।
प्रम्मळ, प्रम्मल- वि० [सं० परिमल ] २ देखो 'परिमल' |
प्रमेस, प्रमेसर, प्रमेसुर, प्रमेस्वर - देखो 'परमेस्वर' । प्रमेह - पु० [सं०] धातु संबंधी एक रोग विशेष । प्रमोद पु० [सं०] हर्ष, खुशी, मोद, विनोद। प्रमोदक - वि० [सं०] हर्ष-प्रद, आनन्द-दायक - पु० एक प्रकार का जड़हन ।
प्रमोदन पु० [१०] विष्णु का एक नामान्तर । प्रमोश स्त्री० [सं०] पाठ प्रकार की सिद्धियों में से एक। प्रमोहन - पु० [सं०] सम्मोहन क्रिया । प्रम्म- देखो 'परम'।
प्रम्मदा-देखो 'प्रमदा' ।
१ सुन्दर ।
प्रयत्न- पु० [सं०] १ किसी कार्य के लिये
की जाने वाली मानसिक व शारीरिक चेष्टायें । २ प्रयास, उद्योग । ३ श्रम, परिश्रम । ४ क्रियाशीलता, सक्रियता । ५ वर्ण के उच्चारण की क्रिया । ६ न्याय शास्त्र के अनुसार जीव या प्रारणी के छः गुणों में से एक जो उसकी सक्रिय चेष्टा का सूचक हो । प्रयसा - स्त्री० [सं०] रावण की अनुचरी एक राक्षसी । प्रय ० [सं० प्रयाणम् ] १ यात्रा का प्रस्थान, कूप, रवानगी २ यात्रा, सफर । ३ अभियान, चढ़ाई । ४ मर कर किसी ४ मर कर किसी अन्य लोक में गमन । ५ कार्य का अनुष्ठान या प्रारंभ । ६ प्रक्रमण हमला । ७ उन्नति, विकास, बढ़ोतरी। ८ मृत्यु, महायात्रा ९ घोड़े या पशु की पीठ । -काळपु० प्रस्थान का समय, यात्रा का प्रारंभ । मृत्युकाल । प्रयाग पु० [सं०] १ गंगा-यमुना के संगम स्थल पर बना एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान । २ वह स्थान जहां अधिक यज्ञ होते
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प्ररूपणी
३ प्रथम गुरु की चार मात्रा का नाम । ४ यज्ञ । ५ घोड़ा । ६ इन्द्र ।
प्रयागराज पु० [सं०] 'प्रयाग' तीर्थ । प्रयागराजेस्वर - पु० [सं०] प्रयाग वट के पास स्थित शिवालय । प्रयागवड - पु० [सं० प्रयाग-वट ] प्रयाग का प्रसिद्ध वट वृक्ष । प्रयाविनी पु० [सं० प्राश] पंडित
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प्रयास - पु० [सं०] १ किसी कठिन कार्य के लिये किया जाने वाला उद्योग, श्रम, कौशिश, प्रयत्न २ मेहनत या श्रम से निर्मित वस्तु, श्रम साध्य कार्यं । प्रपुंजली (बी)- कि० प्ररूपित करना ।
प्रयुक्त - वि० [सं०] १ कार्य या व्यवहार में लिया हुआ, इस्तेमाल नियुक्त, नामजद किया हुआ ।
किया हुआ २ संलग्न
४ प्रेरित उकसाया हुआ ।
प्रयुत वि० [सं०] दश लाख पु० दश लाख की संख्या । प्रयोग पु० [सं०] १ किसी कार्य में लगना क्रिया २ अभ्यास
प्रयास । ३ इस्तेमाल, काम में लेना क्रिया । उपभोग । ४ वैज्ञानिक अनुसंधान के पश्चात् नवीन भाविष्कार का परीक्षण ५ इस परीक्षण से सिद्ध वस्तु को समझाने की क्रिया । ६ प्रौचित्य जानने की क्रिया । ७ राजनीति में साम-दाम आदि का अवलंबन । ८ उचित रूप से कार्य करने की विधियां ढंग । ९ तांत्रिक उपचार । १० व्याकरण में क्रियापद का नाम । ११ अभिनय, नाटक । १२ श्रोषध योजना, उपचार । १३ उपकरण, श्रौजार । १४ कार्य का अनुष्ठान प्रारंभ । १५ तरकीब, युक्ति, उपाय । १६ परिणाम प्रतिफल | १७ घोड़ा । १५ प्रथा -साळा स्त्री० वैज्ञानिक परीक्षण सिद्ध करने का विभाग । प्रयोगी- वि० [सं० प्रयोगिन् ] १ व्यवहार में लेने योग्य । २ प्रयोग करने वाला, प्रेरक 1
प्रयोजक- वि० [सं०] १ प्रयोग या अनुष्ठान कर्त्ता । २ काम में लगाने वाला, प्रेरक ।
प्रयोजन पु० [सं०] १ मतलब, आशय, अभिप्राय २उद्देश्य
लक्ष्य ।
परम पु० [सं० प्रथम वेग, गति
प्ररहा - पु० [सं० प्रहार] युद्ध, लड़ाई, श्राघात । प्ररूढ़ - वि० [सं०] १ भागे या ऊपर उठा हुआ । २ उगा हुआ । प्ररूप- पु० [सं०] १ प्रादर्श वस्तु, व्यक्ति या प्रांणी ।
२ व्याख्या ।
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प्ररूपक - पु० [सं०] व्याख्याकार । प्रतिपादक । समझाने बाला । प्ररूपणा स्त्री० [सं०] कथन, वक्तव्य । प्रतिपादन । प्ररूपण (बी) - क्रि० [सं० प्ररूपणम् ] १ कथना । २ प्रतिपादन, व्याख्या करना । ३ समझाना । ४ स्थापित करना,
स्थापना ।