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सूस पु० १ शपथ, सौगन्ध, कसम । २ संकल्प, प्रेरण । ३ त्याग । ४ वादा, कौल । ५ एक जानवर जिसके चमड़े की ढाल | बनती है । ६ व्हेल मछली ।
सती [वि० (बी० [सूसी) समर्थ, शक्तिमा
सूसर - पु० मगर विशेष ।
सू' हरी-देखो 'सू'री' (स्त्री० सू हरी) हाळी- पु० एक प्रकार का व्यंजन । सू-देखो 'मू'
( ५३३ )
सरसरी-देखो 'सुरों'।
सू साड़ सूसाड़ी - पु० १ तीव्र गति से चलने या फेंके जाने के कारण होने वाली सू सू की प्रावाज । २ क्रोधावस्था या तेज़ चलने-दौड़ने के कारण श्वास की तेज श्रावान। शब्द । ३ तेज हवा या प्रांधी की ध्वनि । ४ फुफकार । सीबी) नौ (बी) क्रि० १ पत्यन्त ती गति से फेंकना या चलना जिससे सू सू ध्वनि हो । २ सू सू की
प्र'वाज करना ।
सू' सो-देखो 'सुसी' |
सुहगो-देखो 'सु'बी' (स्त्री० 'डमी) सुहणौ- पु० सोहणी नामक गीत (छन्द) ।
सूअ. सुप्रउ, सूटो- पु० [सं० शुक] तोता, कीर, सुग्गा । सूण ( ब ) - देखो 'सूवरणी' (बी) ।
सूबर, सूअरड़ो-देखो 'सूर'
सूरवंत - देखो 'सुधरदंती' ।
चूड़ी स्त्री० स्त्रियों के हाथ के कंगन, सौभाग्यचिह्न । सूत्राणो (बी) - देखो 'सुहाणी' (बौ)। सूधार - पु० रसोईया ।
सूधारोग पु० मूर्तिका रोग।
सुप्रावडि, सूनावड़ी - १ देखी 'सुवाड़ी' । २ देखो सुवावड़' । सूद सूई [स्त्री० [सं० [सूची] १ पक्के लोहे के पहले तार का नोकदार उपकरण जिसमें होश पिरोने का छेद होता है डोरा और कपड़े सिलने बाद के काम आता है। २ परके तार का नोकदार खण्ड जो ग्रामोफोन बजाने के काम घाता है।
३ सूई की तरह बनी सोह की नलिका जो रोगी के शरीर में (नाही या मांत में दया पहुंचाने के काम प्राती है ) इंजक्शन |
।
- देखो 'वो' ।
सुकंड़ि, सूकड़ी, सूकड़ी (डि. डो) - पु० १ चंदन । २ एक पौधा । विशेष । ३ एक खाद्य पदार्थं विशेष स्त्री० ४ मारवाड़ की एक नदी - वि० शुष्क, सूखा । सूकरणी (बी) - देखो 'सूखणी' (बो) । सुकनं व पु० [सं० शूकनंद ] ४९ क्षेत्रपालों में से ४६ वा क्षेत्रपाल ।
सूकर - १ देखो 'सूत्र' । २ देखो 'सूवर' सूकरक्षेत्र (खेत) - पु० [सं० सूकरक्षेत्र ] एक प्रार्थन तीर्थ !
सूकरी - स्त्री०
० मादा सूवर 'भू डग' ।
सूकरमुखी स्त्री० सूंवर के मुख के प्राकार की बनी एक तोप विशेष |
सूकरो- पु० [सं० शूकर ] सूअर, वराह 1 सूकळ - पु० प्रशिक्षित घोड़ा ।
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सूखी
(स्त्री० सूकरी ) मथुरा जिले में स्थित
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सूकविक पु० एक प्रकार का पक्षी ।
(स्त्री० सूकी)
कालो (बो), कावली (बी) देखो 'खाणी' (दो) सूकोड़ो-वि० (स्त्री० [कोड़ो शुल्क, सूखा धा को देखो 'सूखी' सूक्षम, सूक्ष्म वि० [सं० सूक्ष्म] १ प्रत्यन्त लघु बहुत छोटा । २ बहुत कम प्रत्यन्त पोहा ३ बहुत बारीक महोन ४] पतला, शीख ५ तोह नुकीला ६ नाजुक, कोमल । ७ विलक्षण, प्रद्भुत । ८ उत्तम श्रेष्ठ । ९ ठीक, सही। १० गूढ, गहरा । ११ चालाक, धूर्त पु० [सं० सूक्ष्म ] १ सर्वव्यापी परमात्मा ब्रह्मा २ प्रात्मा । ३ अणु परमाणु । ४ शिव का एक नामान्तर । ५ सूक्ष्मता I ६ केतक वृक्ष । ७ शिल्प कौशल ८ धूर्तता, कपट, फरेब । ९ महीनडोरा, धागा । १०. लिंग, शरीर । ११ योग द्वारा प्राप्त एक शक्ति । १२ एक काव्यालंकार विशेष । १३ देखो 'सूक्ष्मभूत' ।
सूक्ष्मद्रस्टि श्री० [सं०] सूक्ष्म दृष्टि ] १ स्यन्त सूक्ष्म वस्तु देखने
की ज्योति । २ विषय की गूढ़ता या सूक्ष्मता को समझने की बुद्धि । - वि० जिसकी ऐसी दृष्टि या बुद्धि हो । सूक्ष्मभूत पु० [सं०] पंच तन्मात्रा का नाम । सूक्ष्मसरीर - पु० [सं०
सूक्ष्मशरीर ] पांच प्रारण, पांच ज्ञानेंद्रिय, पांच सूक्ष्मभूत, मन और बुद्धि इन सत्रह तत्त्वों का समूह । सूक्ष्मा स्त्री० [सं०] विष्णु को नौ शक्तियों में से एक। बड़िया ० एक वर्ग विशेष सूखड़िया - खड़ी देखो 'मी' । -
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"
सूखड़ी (डी. डी) देखो - 'सूखड़ी' ।
सूची (बी)-क्रि० [सं०] शुष्क] १ किसी पदार्थ का गीलापन, भद्रता या तरावट समाप्त होना, सूकना । २ वृक्ष, पौधों आदि का जल के प्रभाव में नष्ट हो जाना, जीवन शक्ति न रहना। ३ नदी, जलाशयों का जलहीन होना । ४ रस विहीन होना, नीरस होना ५ दुर्बल होना, सीए होना । सूखन देखी 'सूक्ष्म' सरीर सरीर' सुखमा स्त्री० [सं० सुषमा] १ शोमा छवि धामा, कांति २ एक प्रकार की वृक्ष । ३ देखो 'सूक्ष्मा' । सूखाणी (बी), सूखावलो (बो) - देखो 'सुखाणी' (बौ),
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