Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 891
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हमाम ( ८८५ ) हाम-पु० [म. हम्माम] १ स्नानघर, स्नानागार, नहाने | हयथट्ट-पु. १ अश्व, समूह, प्रश्वदल । २ अश्व सेना। . का कक्ष । २ अंधेरा तल गृह जहाँ अपराधियों को रखा | हयबळ-पु. [सं. हयदलः] प्रश्वदल, अश्वसेना । जाता था। ३ कोई कक्ष विशेष । [अ०हमामः] ४ कपोत, हयनाळ-स्त्री० [सं० इय-नालः] १ घोड़ों द्वारा खींची जाने कबूतर । ५ गले पर बनी कण्ठी वाला पक्षी। | वाली या पीठपर लादी जाने वाली तोप । २ घोड़ों की हमामवस्ती-पु० [फा० हावनदस्त] लोहे की पोखलोच मूसली।। ____टाप, खुरताल। हमाऊ-पु. सुरखाव नामक पक्षी विशेष । हयवर-पु० [सं०] १ बेष्ठ घोड़ा, उत्तम जाति का घोड़ा। हमार-स्त्री. ध्वनि विशेष । . २ कोई घोड़ा, प्रश्व । हमायचो-पु. एक माप या परिमाण विशेष । हयतरि-पु० पीले रंग का घोड़ा। हमायु,हमायू-देखो 'हमाऊ' । हपाणी, हयांणीमा-स्त्री० [सं० हय-प्रनीक:] पश्व सेना, हमार-क्रि० वि० अभी, इसी समय । तत्काल । घुड़ सेना। हमारउ-देखो 'हमारी'। हयारणो-पु. एक जाति विशेष का घोड़ा। हमारू, हमारू-देखो हमार'। हयाराज-पु. [सं० हयराज] १ बड़ा घोड़ा, हयेन्द्र । हमारी-सर्व० (स्त्री० हमारी) हमारा, मेरा। २ घोड़ा। हमाल-पु. [म.] १ बोझा ढोने वाला मजदूर, भारवाहक, | हया-स्त्री० [प्र०] १ मान, प्रतिष्ठा, इज्जत । २ शर्म, लग्जा। कुली । २ संभालने वाला रक्षक -वि० समान, सदृश । ३ दया, करुणा । ४ भावुकता। हमासत- सहमारे अंसा। हयाऊत-पु. एक पक्षी विशेष । हमीरणी-सर्व हमारा। हयात-स्त्री० [अ०] जीवन, जिन्दगी । हमेल, हमेलबेग-पु० [५० हमाइल] १ बगल में लटकाने हयावार-वि० [अ० हया+फा० दार] १ लज्जालु, शर्मीला । की वस्तु । २ गले में लटकाने का छोटा कुरान । ३ घोड़े के २ दयावान, करुणाशील । ३ भावुक । ४ मान, प्रतिष्ठा गले का प्राभूषण । ४ स्त्रियों के गले का पाभूषण विशेष । व इज्जत वाला। हमेलिया-स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती । हयानन-पु० [सं० हय-प्रानन] विष्णु का एक अवतार; हयग्रीव । हमेळो-देखो 'हमिळौं'। हय्येक-स्त्री० [सं०] एक ही बात। हमेस, हमेसा-क्रि० वि० [फा. हमेशः] १ सदा, सर्वदा । २ प्रतिदिन, नित्य । ३ र समय, हरवक्त । ४ प्राय: हर-पु० [सं० हरः] १ शिव, महादेव । २ पग्नि, पाग । अधिकतर। ३ सूर्य, भानु । ४ एक दानव । ५ विभीषण का अमात्य हमैं, हम, हमो-क्रि० वि०१ पब । २ इस बार, इस समय । एक असुर । ६ राम की सेना का एक वानर । गणित हम्म-देखो 'इम'. ' में कोई भाजक संख्या । ८ छप्पय छन्द का एक भेद । हम्मर-पु० [सं० हयवर] घोड़ा। ९ तीन दीर्घवाले टगण के प्रथम भेद का नाम । १० पौत्र हम्माल-देखो 'हमाल'। वंशज । ११ पानी, जल । १२ गधा, गर्दभ । -त्री० [सं० हम्मीर-पु० १ रणथम्भोगढ़ का प्रसिद्ध चौहान राजा। स्मर] १२ उत्कृष्ट प्राकांक्षा, प्रबल इच्छा । १४ इच्छा, . २ योद्धा, वीर । ३ सम्पूर्ण जाति का एक राग । चाह । १५ माशा, उम्मीद। १६ ध्यान । १७ स्मरण, हम्मीरनट-पु० एक प्रकार की सकर राग । याद, स्मृति । १८ जिद्द, दुराग्रह, हठ । १९ ऊंट पर लदे हयं, हयंव, हयं-पु. [प्स० हय] १ प्रश्व, घोड़ा। २ तुषित एवं हुए बोझे का एक तरफ अधिक झुकाव । २० हरियाली । साध्य देवों में से एक। -क्रि० वि० हा । -साळा-स्त्री० -प्रव्य०१ एक विशेषण प्रत्यय । २ प्रत्येक, हरेक, एक-एक । अश्वशाला । ३ श्वेत, सफेद । ४ पूर्वकालिक क्रिया सूचक पव्यय । हयग्रंगीन-पु० [सं० हैयङ्गवीनम्] १ मक्खन, नवनीत । ५ देखो हरि' । ६ देखो 'हरी'। २पी. घृत । हरई-पु. एक प्रकार का शुभ रंग का घोड़ा। हयग्रीव-पु. १ विष्णु का एक अवतार । २ एक असुर जो | कश्यप एवं दिति के पुत्रों में से एक था । ३ एक दानव जो हरक-वि० [सं०] १ हरण करने वाला । २ ले जाने वाला; कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से था। पहुंचाने वाला । "पु०१ गणित में भाजक । २ प्रलयंकर हयग्रीवा-स्त्री० दुर्गा देवी का एक नामान्तर । रूप में शिव का एक नाम । ३ देखो 'हरस'। हयण-देखो 'हय'। हरकरण-देवो 'हरख'। For Private And Personal Use Only

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