Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 909
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हाथोनाळ - www. kobatirth.org गज, लंबी 'ड वाला प्रसिद्ध स्तनपाई चौपाया जानवर ज इस्ती । २ हरिजन, मेहत्तर, भंगी । ३ शतरंज का एक मोहरा । ४ एक प्रकार का कीड़ा - खांनी पु० हाथियों को बांध कर रखने का स्थान इस्तिशालायांत ५० हाथी के मुंह से बाहर निकले दांत बंध १० ऐसा व्यक्ति या -यांनपुं०] महावत घराना जहाँ हाथी रखने की क्षमता हो । डायोनाळ स्त्री० एक प्रकार की तोप हाथीपगी- पु० १ एक प्रकार का रोग । २ हाथी जैसे पांवों वाला । ( ९०३ ) हाथीवच स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती, तरकारी हाथोमती स्त्री० [साबरमती में गिरने वाली एक नदी । हाथी मूळ पु० एक प्रकार का ग्राम व इसका वृक्ष । हाथीमोगरी - पु० मोगरे की जाति का पौधा विशेष । हाथी हाथोयो-देखो 'हाथी'। हाथी- सिवाय १० राजान्यादबाहों द्वारा दिया जान बाला पुरस्कार, सिरोपाव । हापुड़ी (डी) - स्त्री० एक प्रकार की वनस्पती । हाथोहाथ कि०वि० १. एक हाथ से दूसरे हाथ प्रतिहस्त २ लगेहाथ तुरन्त शीघ्र - वि०३ प्रत्यक्ष ४ खुद स्वय । - पु० मिल-जुल कर काम को शीघ्र निपटाने की क्रिया । हाथी-पु० [सं० इस्तक] १ किमी घोज़ार या उपकरण का दस्ता, मूठ, बेंट । २ जुलाहों का एक उपकरण । ३ हाथ का चिह्न, निशान ४ देखो 'हात' हाथोहाथ देखो 'हाथोहाथ' । - । हावर वि० सुन्दर, मनोहर । हाबी स्त्री० जबड़ा । हाय स्त्री० [सं० हा ] १ जोर से रोने, चिल्लाने की क्रिया या भाव जाहि-त्राहि २ दुराशीष शाप व पाह हाथी - स्त्री० १ घृणित वस्तु, मल, विष्टा । २ घृणित वस्तु के प्रति बोला जाने वाला शब्द । हायणी - स्त्री० पचास से साठ वर्ष तक की प्रायु । (जैन) हायतराय, हापत्राय स्त्री० १ करुण क्रन्दन, विलाप । २ व्यग्रता, धातुराई ३ स्वधिक परिश्रम दौड़-भाग हायधाय स्वी० दु:कमरी मावाज | हायन पु० १ वर्ष, साल, संवत्सर । २ शोला, अंगारा । ३ एक प्रकार का चावल । वि० १ गुजरा हुआ, बीता हुप्रा, विगत २ छोड़ा हुम्रा, त्यागा हुधा, परित्यक्त । हालि हाली स्त्री० [सं० इस्त+लि] हाथ का एक प्राभूषण हाययोव स्त्री० १ फूकने की भावाज शोरगुल इला विशेष | हा वालइ २ विलाप, क्रन्दन । ३ प्रलाप, बकवास । हायहाय देखो 'हायत्राय' - । इ-देखो 'इथले वो' । हाये हाथ में २ में काबू में ३ हाथ से । ४ स्वत:, अपने प्राप । हाथोगळ - स्त्री० गले पर हाथ रख कर ली जाने वाली सौगंध, शपथ । हाथोड़ी-देखो 'थोड़ी। हाथोड़ी देखो 'हथोड़ी हार-स्त्री० [सं०] हार, हारि १ बुद्ध, बड़ाई खेल घादि में होने वाली पराजय शिकस्त, जीत का विपर्याय। २किसी कार्य या प्रयास में मिलने वाली एसफलता । ३ माला, स्वर्ण, चांदी आदि का माला जैसा प्राभूषरण । ४ लड़ाई, संग्राम । ५ एक दीर्घ या गुरु मात्रा का नाम । ६ प्रथम गुरु के गगरण का नाम ७ छन्द शास्त्र में ठगरण का चौथा भेद ८ अंक गणित का भाजक, विभाजन । ९ वन, जंगल । १० खेत । ११ राज्य द्वारा किया जाने वाला हरण, जन्ती । १२ पंक्ति । १३ देखो 'हारों' । हाफ हाफिजपु० [० हाफिज] वह ममान जिसे कुरान कंठस्य हो वि० [० मुधाजि] रक्षक 1 हापूस पु० एक प्रकार का श्राम। हाके, हाफ चि०वि० अपने धाप स्वयं सर्व० स्वयं युद हाव-गाव-वि० जिसका संतुलन बिगड़ गया हो, परिचर पित्त, उद्विग्न व्यय २ स्तभित, भयभीत 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हारणी हाबू - पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक प्रकार का कीड़ा । हायूब पु० रंग विशेष का घोड़ा हाबी पु० १ शोरगुल, हल्ला-गुल्या २ रोने की भावान चिल्लाहट । ३ करुण पुकार । हारक - पु० [सं०] १ चोर । २ हरण करने वाला, लुटेरा । धूर्त, कपटो ४ मुक्ताहार । ५ विभाजक - वि० हारने वाला । For Private And Personal Use Only हारणी - वि० (स्त्री० हारणी) १ हरण करने, नष्ट करने वाला । पापा। २ हारने वाला, पराजित होने वाला । १३ निराश होने या थकने वाला । हारणी (बी) कि० [सं० हु हारयति] १ बुद्ध लाई मुक दमा, खेल प्रादि में पराजित होना, शिकश्त खाना । २ प्रपना दांव गंवा देना, खो देना। ३ कार्य में असफल होना । ४] इतोत्साहित होना हारबान लेना ५ मूल्य 1

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