Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 914
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिचरणो हिंसाकरम ( ९०८ ) ३कियो के लिये कष्ट या पीडादायक कार्य । ४ कष्ट ३ परस्पर, प्रापस में । पीड़ा। ५ विनाश। ६ अनिष्ट, बुराई। ७ उत्पात, हिक्कली-वि० अकेली। लूट-पाट । हिगमत-देखो 'हिकमत'। हिसाकरम-पु० [सं० हिंसा-कर्म] १ ऐसे कार्य जो हिंसा की | हिगुळ प्रो-वि० 'हिंगलाज' देवी का दर्शनार्थी। घेणी या संज्ञा में पाते हैं। २ वध, हत्या। ३ कष्ट, हिगैमिग-पु० हर्षोल्लास । पीड़ा। हिड़कणो-वि० पागल । --पु० पागलपन के रोग वाला कुत्ता, हिंसात्मक-वि० [सं०] १ जिसमें हिंसा निहित हो, हिसायुक्त । पशु या मनुष्य। २ हिंसा संबंधी। हिडकरणो (बो)-क्रि० १ काटखाने के लिये दौड़ना, दौड़ कर हिसाधरमी-वि० [सं० हिंसा-धर्मी] हिंसात्मक कार्य करने वाला भाना, टूट पड़ना । २ पागल होना । ३ किसी पर प्रकारण या ऐसे कामों में विश्वास करने वाला। चॅटना, नाराज होना, लडाई करना । हिसावांन-वि० हिंसा की भावना रखने वाला, हिंसक, हत्यारा । हिडकवा, हिडकाव, हिडकियाबाव-स्त्री. १ पागल कुत्ते, पशु हिस्या-देखो "हिंसा'। या गीदड़ प्रादि के काटने से होने वाला रोग । २ पागलहिस्र-वि० [सं०] १ हिंसात्मक प्रवृत्ति वाला, हिंसालु । पन का रोग । ३ शैतानी। २ खूखार, खतरनाक, भयानक । ३ अनिष्टकर, घातक । हिडकियो, हिडक्यौ-पू० १ पागलपन के रोग वाला कुत्ता। ४ निष्ठुर । ५ उपद्रवी, उत्पाती। -पु. १ हिंसक पशु या| २ पागल । प्राणी । २ शिव । ३ भीम (पांडव) का एक नामान्तर । हिडदौ-देखो हिरदो'। हि-स्त्री० [सं०] १ एक प्राचीन विभक्ति। २ टिटहरी । -पु० हिडमच-स्त्री० [अ० हिरमिजी] १ एक प्रकार की लाल मिट्टी। [सं० हव] ३ अश्व, घोड़ा। ४ खेद, अफसोस । ५ सर्प, २ इस मिट्टी को पानी में घोलने से बनने वाला रंग । सांप । ६ मोर, मयूर। ७ हाथ, पाणि। -वि० १ हरा। हिउमची-वि० उक्त मिट्टो के अनुरूप लाल रंग का । -पु. इसी २ देखो 'ही'। रंग का घोड़ा। हिन (प्रो)-देखो 'हिरदौ' । हिचक-स्त्री. १ मन को झिझक, संकोच । २ असमजम । ३ भय, हिसकाम-देखो हितकाम'। डर । ४ लचक । ५ धक्का । ६ अनिच्छा, उदासीनता। हिमाउ, हिआव-पु० [स० हृद] साहस, हिम्मत । हिचकणो (बो), हिचकिचाणो (बो)-कि० १ कोई काम करते हिएसी, हितेसो-देखो 'हितैसी' । समय मन में झिझक होना, सकोच करना, पागा-पीछा हिक-वि० [स० एक] एक । सोचना । २ अनिच्छा या उदासीनता दिखाना। ३ पीछेहिकमत-स्त्री० [अ० हिकमत] १ बुद्धि, अक्ल, बुद्धिमानी। पीछे हटना । मुह मोडना । कतराना। ४ डरना, भय २ उपाय, तरकीब, युक्ति। ३ विद्या, ज्ञान । ४ कला, खाना । ५ लचकना । ६ हिलना-दुनना । कारीगरी, कौशल । ५ चतुराई, चालाकी । ६ नीति, चाल। हिचकिचाट, हिचकिचाहट-देखो 'हिचक' । ७ यूनानी चिकित्सा । ८ चिकित्सा शास्त्र, प्रायुर्वेद । हिचकी-स्त्री० [स० हिक्का | १ उदरस्थित एक प्रकार की ६ विज्ञान। वायु जो गले में झटका मार कर निकलती है, इमसे 'हुक्क' हिकमति, हिकमती-वि० [अ० हिक्मत] १ अपने काम में की प्रावाज होती है । २ एक प्रकार का वात रोग जिससे कुशल, चतुर, बुद्धिमान । २ सभ्य, व्यवहार कुशल । उक्त क्रिया बार-बार होती है। ३ सिसकने का शब्द, ३ ज्ञानवान, पंडित। ४ चालाक । ५ नीतिज्ञ । -पु. सिसकी। ४ चिबुक, ठोडी। ५ रहट को उल्टा धूमने से १ वैद्य हकीम । २ देखो 'हिकमत'। रोकने के लिये लगाई जाने वाली लकड़ी। ६ ऊट का हिकमन्न-पू० १ एकता, एकमत होने की अवस्था या भाव।। एक रोग । २ एक मन । -वि० एकाग्रचित्त, दत्तचित्त । हिचको-पु. १ धक्का। २ लचका । ३ कष्ट, पीड़ा। हिकरंगी-वि० १ जिसका रंग कभी बदलता नहीं, एक ही रंग ४ परिश्रम, जोर । में रहने वाला । २ पाचरण एवं विचार से दृढ़ । ३ मिलते-हिचडगौ-पु. बडो-बडी टांगों वाला एक प्रकार का कीड़ा । जुलते रग का । ४ समान दशा वाला। हिवण-पु० १ युद्ध, लड़ाई । २ देखो 'हीचरण' । हिकरदन-पु० [स० एक-रदन:] गणेश, गजानन । हिचणी (बौ)-कि० १ युद्ध करना, लड़ाई करना । २ टक्कर हिके-क्रि०वि० पास में । अधिकार में । लेना, मामना करना, भिड़ना। ३ युद्ध में वीरगति प्राप्त हि कोहिक-क्रि०वि० १ सब के सब, सभी। २ एक-एक करके ।। करना। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939