Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 893
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हरणी । ८८७ ) हरलोयण हरणो (बो)-क्रि० [सं० हरणम्] १ दूसरे की वस्तु को उसकी हरफ-पु० [अ०६६] १ प्रक्षर, वर्ण। २ शब्द, भावाज । . इच्छा के विपरीत या उसको जानकारी के बिना ले लेना, ३ दोष, ऐब, बुराई । ४ लक्ष्य, निशान । कब्जे में कर लेना, चोरी करना । २ हटाना, दूर करना, हरफनीर-वि० [प्र. हर्फ गीर] १ बहुत बारीकी से प्रक्षर, मिटाना। ३ किसी को बलपूर्वक, चोरी या धोखे से उड़ा अक्षर का गुण दोष निकालने वाला। २ ऐब या गलती लेना, अपहरण करना । ४ अपनी पोर खींचना, प्राकर्षित निकालने वाला, छिद्रान्वेषी। ३ मालोचक, निंदक । करना । ५ पकड़ना । ६ पूर्ण करना, पूर्ति करना। हरफगोरो-स्त्री० [अ० हफंगीरी] १ हरफमोर का कार्य या ७ संहार या नाश करना। ८ विभाजन करना । ९ वहन । धर्म । २ छिद्रान्वेषण । ३ पालोचना, निदा।। करना। हरफोवड़ी-स्त्री० कमरख की जाति का एक सुन्दर वृक्ष । । हरत-देखो 'हरित' । हरफी-पु० कटा हुमा चारा या भूसा रखने का घर या कक्ष हरतणु-(रा. नु, नू)-पु० [सं० हरतनुः] प्रोस-कण। जिसके चारों ओर लकड़ी का घेरा बना होता है। हरता-वि० [सं० हा, हत] १ हरण करने वाला, चोर। हरबड़ाहट-पु. १ ध्वनि विशेष । २ भूचाल । २ जबरदस्ती छीनने वाला, डाकू, लुटेग। ३ संहार व | हरबळ-देखो 'हरावळ' । . नाश करने वाला। मारने वाला । ४ दुख, शोक, पीड़ा हरबांम, हरबांमा-१ देखो 'हरवांम' । २ देखो 'हरिवांमा' । प्रादि मिटाने वाला, दूर करने वाला। ५ प्राकर्षित करने | हरबी-पु. एक वृक्ष विशेष । वाला । ६ उड़ाकर ले जाने वाला। ७ विभाजक। हरय-देखो 'डबू'। -पु० सूर्य। हरभात (भांति)-क्रि०वि० हर तरह से, हर प्रकार से, तरहहरतार-वि० [सं० हत्तरि] हरण करने वाला, हर्ता । तरह से, येन-केन-प्रकारेण । हरताळ, हरताल-स्त्री० [सं० हरिताल] १ संखिया व गंधक हरभू (भौ)-देखो 'हडबू'। के योग से बना एक खनिज पदार्थ । २ एक उप धातु, हरम-पु० [अ०] १ राज प्रासाद का रनिवास, अन्त:पुर, गोदंत । -वि० १ पीला, पीत से । २ देखो 'हाताल'। जनानखाना । २ अन्तःपुर में रहने वाला स्त्री समाज । हरतेज-पु० [सं० हरतेजस्] पारद, पारा : [सं० हh] ३ बड़ा महल, अट्टालिका । ४ जीव हिंसा के हरत्ता-देखो 'हरता'। लिये सर्वथा वजित मक्के के पास-पास का क्षेत्र । ५ गुबद । हरयानक-पु० [सं० हर-स्थान] १ शिव मन्दिर, शिवालय। ६ बुढ़ापा । -स्त्री०७ पत्नी, स्त्री। ८ बादशाह की बेगम । २ हिमालय पर्वत। [सं० हरि-स्थान] ३ विष्णु का ९ उप पत्नी रखैल । १० दासी, चेरी-खांनो-पु. अन्त:मन्दिर। पुर, जनान खाना । हरद-देखो 'हल्दी'। हरमजदगी-देखो 'हरामजादगी'। हरदम-क्रि०वि० [फा०] १ प्रतिक्षण, हरक्षण, हर समय । हरमजादो-देखो 'हरामजादौ'। (स्त्री हरमजादी) २ निरन्तर, लगातार। ३ सदा, सर्वदा । हरमज्जि-पु० एक प्रकार का प्रनार । हरदास, हरदासियो-देखो 'हरिदास'। हरमल-स्त्रो० एक प्रकार की झाड़ी। हरवासी-देखो 'हरिदासी'। .. हरमीखजूर-पु० एक प्रकार का खजूर, छुहारा । हरवी-देखो"हळदी'। हरमीजीसीरू-पु. एक प्रकार का फल । हरमेखलिक-वि. जिसके पास कोई सिद्धि हो, सिद्ध । हरदोखी, हरदोसी-पु० [सं० हर-दोषी] कामदेव, मदन। हरम्म (म्य)-पु० [सं० हयं] १ राजभवन, महल । २ बड़ा हरदो-देखो 'हिरदो'। भवन, हवेली । ३ देखो 'हरम'। हरद्वांन-पु० एक स्थान विशेष जहां की तलवारें प्रसिद्ध हैं। हरयंदुदर-देखो 'हरियंदुदर'। हरधम-देखो 'हरदम'। . हररथ-पु० १ शिव का नन्दी । २ वल । ३ देखो 'हरिरथ' । हरन-१ देखो 'हिरण्य' । २ देखो 'हरण'। हररांणी-स्त्री० [सं० हर+राज्ञी] १ मा, पार्वती । २ देखो हरपुर-पु० [सं०] १ शिवधाम, कैलाश । २ देखो 'हरिपुर'। ___'हरिराणी' । हरप्रि, हरप्रिय-पु० [सं०. हर-प्रियः] १ धनपति, कुबेर । | हरराया-पु. विष्ण । २ देखो 'हरिप्रिय' । हररोज-क्रि० वि० प्रतिदिन, रोजाना, नित्य । हरप्रिया-स्त्री० [सं०] १ उमा, पार्वती। २ दुर्गा, भवानी। हरलोयरण-पु० [सं० हर+लोचनम्] १ शिव का नेत्र । ३ देखो 'हरिप्रिया'। तिकोनो वस्तु ।-वि० त्रिकोण *। For Private And Personal Use Only

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