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स्वररणजात
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( ८७२ )
स्वरणपत्र ( पक्ष, पख ) - पु० [सं० स्वर्णपक्ष ] गरुड़ । स्वरभूख (भूषण) - पु० [सं० स्वर्णं भूषण] १ सोनागेरु । २ सोने के प्राभूषरण 1
स्वरस्था स्त्री० [सं०] स्वश्या] प्रा
स्वरसंक्रम पु० [सं०] संगीत में स्वरों का उतार-चढ़ाव । स्वरसंधि - स्त्री० [सं०] व्याकरण में दो या अधिक स्वरों का एक साथ मिलन, योग ।
स्वरगजात ( जाति, जाती) - स्त्री० [सं० स्वर्णजाति] पीली, स्वस्ति स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मा की तीन पत्नियों में से एक । चमेली । २ पत्र या किसी लेख के प्रारम्भ में लिखा जाने वाला मंगलकामना सूचक शब्द । प्रव्य० १ मंगल हो, भला हो । २ ठीक है, मान्य है । ३ कुशल है, क्षेम है, कल्याण है ४ देखो 'स्वस्तिe' । स्वरमाण (भांगु, भांतु भांतू) - पु० [सं० स्वरभानु] १ श्रीकृष्ण स्वस्तिक - १० स्वस्तिक १० [सं०] १ एक प्रकार का मांगलिक चिह्न, व सत्यभामा का एक पुत्र । २ राहु नामक ग्रह । साखिया २ साखिया जैसा सामुद्रिक चित्र ३ भीगे हुए स्वरमंडळ-१० [सं०] स्वरमंडल] एक प्रकार का बाह्य विशेष चावलों को पीसकर, विवाहादि के अवसर पर बनाया जाने स्वरलोक देखो 'स्वगजोक' वाला मांगलिक द्रव्य । ४ सथिया जैसा चिह्न । ५ एक विशेष प्रकार का राजप्रासाद । ६ चौराहा । ७ एक प्रकार का पकवान ८ एक प्रकार का प्राचीन यंत्र जो शरीर में गड़ शत्यादि निकालने के काम प्राता था । ९ सांप के फन पर की नीली रेखा । १० एक विशेष प्रकार का मकान जिसके पश्चिम व पूर्व में दालान हो । ११ लहसुन १२ मूली । १३ रतालू । १४ रसिया, लंपट । १५ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ५८ वां ग्रह । १६ एक प्रकार का योगासन |
स्वरस - पु० प्रौषधि का रस । स्वरा - स्त्री० [सं०] १ ब्रह्मा की पत्नी, गायत्री की सपत्नी । २ राजा उत्तानपाद की एक कन्या । स्वराज्य पु० [सं०] १ अपना राज्य या शासन । २ अपना देश या वतन । ३ विदेशी शासन से किसी देश या राज्य की मुक्ति
स्वस्तिका - स्त्री० घमेली ।
स्वस्तिकासा (न) - ० योग के चौरासी ब्रासनों में से एक स्वराट-पु० [सं०] १ इन्द्र, देवराज । २ ब्रह्मा । ३ परमेश्वर, स्वस्तिमत (ति, ती ) - स्त्री० [सं० स्वस्तिमति ] स्वामिकार्तिकेय ईश्वर |
की एक मातृका का नाम ।
स्वास्तिस्री- पु० पत्र प्रादि के प्रारम्भ में लिखा जाने वाला मांगलिक शब्द |
स्वांग-पु० [सं०] १ किसी का नकली वेश । २ बहाना, झूठा नाटक | ३ मनोरंजन या किसी को डराने के लिये बनाया गया हास्यास्पद या भय नक वेश । ४ ख्याल या नाटक के पात्र के रूप में धारण की जाने वाली वेशभूषा विशेष । ५ ढोंग, प्राडंवर । ६ देखो 'सांग' ।
स्वरूप-पु० [सं०] १ प्राकार, बनावट, श्राकृति । २रूप, शक्ल सूरत । ३ सौन्दयं, सुन्दरता । ४ मूर्ति या चित्र । ५ किसी चीज का ढंग या पद्धति ६ स्वभाव, प्रादत, प्रकृति । ७ आत्मा । ८ विद्वान पंडित । ईश्वर, भगवान् । १० पांच प्रकार की मुक्तियों में से सारूप्य नामक मुक्ति । वि० १ मनोहर, सुन्दर, रूपवान । २ तुल्य, समान । ३ देखो 'सरूप' । मांन, वान- वि० सुन्दर, खूबसूरत ।
स्वरूपी - वि० स्वरूप वाला, स्वरूपवान । स्वरे (सु) स्त्री० सूर्य की पत्नी संज्ञा का नामान्तर स्वरोदय पु० [सं०] दायें-बायें नथूने से निकलने वाली श्वास विशेष से शुभाशुभ फल जानने का ज्ञान या विधि । स्ववस - वि० [सं० स्ववश ] अपने वश या काबू में, अपने नियंत्रण में ।
स्वसरिता स्त्री० [सं०] स्वः सरित्] गंगा स्वसा स्त्री० [सं०] स्वसू] बहन
स्वसाव- पु० एक सूर्यवंशी राजा शशाद । स्वसुंदरी स्त्री० [सं० स्व: सुन्दरी] प्रप्सरा ।
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स्वामी
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स्वांगी- वि० ० १ ढोंगो । २ नकल करने वाला, नकलची । ३ बहुरूपिया ।
स्वांत, स्वाति पु० १ अपना अंत, मृत्यु । २ मन, धन्तःकरण | ३] देखो 'स्वाति' ।
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स्वान पु० [सं०] श्वान] १ कुत्ता । २ दोहा नामक छन्द का एक भेद । ३ छपय छन्द का एक भेद [सं० स्वान] ४ शब्द, ध्वनि, आवाज । - वि० क्रूर ।
स्वसन - पु० [सं०] श्वसन] १ हवा, पवन । २ धृतराष्ट्र कुली स्वाननिद्रा-स्त्री० मामूली ग्राहट से खुल जाने वाली हल्की निद्रा,
त्पन्न एक नाग का नाम ।
अल्प निद्रा ।
स्वांग स्वामि-देखो 'सांमी'
स्वमिधरम ( धरम्म म प्रम्म) देखो 'स्वामीधरम' | स्वामिधरमी ( धरम्मी, धमी, धम्मी) - देखो 'स्वांमीधरमी' । स्वामी-देखो 'सामी' |