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सुलेनामो
( ८२७ )
जा।
सुलेनांमो-देखो 'सुलहनामों।
सुवदना-स्त्री० [सं०] सुन्दर मुख वाली, सुन्दरी। सुलेमानी-पु. १ सफेद पांखों वाला घोड़ा। २ एक प्रकार का सुबद्द-पु० तीर, बारण । पत्थर । ३ एक प्रकार का नमक विशेष ।
सुवधि-स्त्री० अच्छा समय या अवधि । सुले-देखो 'सुलाई।
सुवन-पु. १ सूर्य, रवि । २ चन्द्रमा, शशि । ३ पग्नि, माग । सुलोक-पु० [सं०] १ स्वर्ग या वैकुण्ठ । २ अच्छा व भला | ४ पुत्र, बेटा, मुत। प्रादमी।
सुक्न -१ देखो 'सुवरण' । २ देखो 'सुवन'। सुलोचण, सुलोचन-पु. [सं० सुलोचन] १ मग, हरिन । | सुवप, सुवपि, सुवपी सुबपु-पु० [स० सुवपु] सुन्दर शरीर ।
२ रुक्मिणी के पिता का नाम । ३ अच्छे व सुग्दर मेत्र ।। -वि० सुन्दर शरीर वाला। -वि० पच्छे नेत्रों वाला।
सुववण-पु० [सं० सुवचन] १ उत्तम व बेष्ठ वचन । २ मधुर सुलोचना (ना)-स्त्री० [सं० सुलोचना] १ एक अप्सरा का | व मीठे वचन ।।
नाम । २ रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी । ३ अच्छे नेत्रों सुवर-वि० [सं०] सुन्दर व श्रेष्ठ। -पु. १ पति, खाविंद । वाली स्त्री।
२ बेष्ठवर, उत्तम वरदान । ३ सम्मुख या सामने करने सुलोमा-वि० [सं०] जिसकी रोमावली सुन्दर हो।
की क्रिया । ४ देखो 'सूवर' । सुलोह. सुलोहक, सुलोहित-पु० [सं० सुलोहकं] पीतल। सुवरजित-पु० ऐसा घोड़ा जिसके तीन पर सफेद व शिर में सुलोहिता-स्त्री० [सं०] अग्नि की सात जिह्वानों में से एक । तिलक हो। सुलोही-पु. एक ऋषि का नाम ।
सुवरण-पु० [सं० सु-वर्ण] १ प्रच्छा रंग-रूप । २ अच्छा कुल सुळी-पु. १ किसी लकही या अनाज में लगने वाला कीड़ा, या जाति । ३ काव्य में शुभ माने-जाने वाले वर्ण, पक्षर ।
घुन । २ इस प्रकार का धुन लगने की अवस्था । ३ शूल, ४ सुन्दर प्रक्षर । ५ राजा दशरथ का एक मत्री। ददं। ४ बीमारी, रोग। ।
६ कंचन, सोना । ७ एक वृक्ष विशेष । ८ धन, सम्पत्ति । सुल्तान-देखो 'सुल्ताण'।
सुवरणक-पु. एक प्रकार का भाला या सांग। सुल्लम (को)-देखो 'मुलभ'।
सुवरणकार-पु० [सं० स्वर्णकार] सुनार, स्वर्णकार । सुल्लह-देखो 'मुलह'।
सबरुणकेतकी-स्त्री० लाल केतकी। सुल्लो-पु. १ मास के योग से बना व्यंजन, विशेष। २ देखो सुवरणगिर (गिरि, गिरी)-पु० [सं० स्वर्णगिरि १ सुमेरु ___ 'सूळो'
पवत । २ लंका का पर्वत । जालौर के पर्वत का नाम । सुवक-वि० सुन्दर व मनोहर ।
सुवरणधेन, सुबरणधेनु-स्त्री० [सं० स्वर्णधेमु] दान के लिये सुवंछक-स्त्री० सखी, सहेली। -वि० शुक्तिक, शुभेच्छु । । बनवाई गई मोने की गाय ।। सुबंस-पु० [स० सुवंश] १ पच्छा व भेष्ठ वंश, उच्च कुल । सुवरणचूड (चूडक)-पु० सोने का एक पाभूषण विशेष । २ बसूदेव का एक पुत्र ।
सुवरणपंख-पु० [सं० स्वर्णपक्ष] गरुड़ । सुव-देखो 'सुत'।
सुवरणवार (वन)-पु. एक प्रकार का भाला, सांग । सुवक्ता-वि० [सं०] व्याख्यान देने में चतुर, वाक्पटु, अच्छा वक्ता। सुवरणा-स्त्री० [सं० सु+वर्णा] अग्नि की सात जिह्वानों सुवक्षा-स्त्री. १ विभीषण की माता का नाम । २ सुन्दर वक्ष- में से एक । स्थल वाली स्त्री।
सुरण्ण-देखो 'सुवरण'। सुवखस-स्त्री०च्छा समय शुभ अक्सर ।
सुवरणचूड (चूषक)-देखो 'सुवरणचूडक' । सुवग-पु० डिंगल का एक मोत (छंद) विशेष ।
सुबरन-देखो 'सुवरण। सुबह-पु० [स० सुवड़ क्ट वृक्ष ।
सुवराड़णो (बो), सुवराणी (बौ), सुवरावणी (बो)-क्रि० १ सुवच, सुवचन-पु. [सं० सुवचन, सुवचस्] अच्छा पचन, सत्य सुधरवाना, ठीक करवाना । २ बालों को कटाकर ठीक वचन ।
कराना या कंघी करके संवराना। ३ सजवामा, सज्जित सुवचनी-वि० १ अच्छा वक्ता, वाक्पटु । २ मृदुभाषी ।
कराना। ४ दाढ़ी बनवाना। ५ देखो 'संबराणो' (बी)। सुवष्टियो, सुवटी-देखो 'सूवो'।
सुवरिया-देखो 'सूधर'। सुवरण-देखो 'स्वर्ण'।
सुवस-पु० [सं०] अच्छा या बेष्ठ निवास, पावास । -वि० सुवरणी (बी)-देखो 'सूवणो' (बो)।
१ उत्तम, श्रेष्ठ । २ सीधा, सरल । ३ सुव्यवस्थित । सुवदन-वि० [सं०] जिसका मुख सुन्दर हो, सुमुख । | सुबह-वि० योद्धा, वीर।
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