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सोखी
। ८५२ )
सोणी
सोखी-वि० १ मित्र, दोस्त, हितैषी । २ शोकीन ।
सोमण-स्त्री० शुद्ध करने या संशोधन करने की क्रिया। सोखीन-देखो 'सौखीन'।
सोमणी (बी)-देखो 'सोधणों' (बो)। सोखीनाई-देखो 'सौखीनाई।
सोट, सोट-पु० १ गोडवाड़ में, बच्चे के जन्म के बाद प्रथम होली सोगंध-स्त्री० शपथ ।
.पर बांटा जाने वाला एक प्रकार का खाजा । २ देखो सोग-देखो 'सोक'।
'सोटो'। सोगटाबानी-स्त्री. शतरंज यो चौसर का खेल ।
सोटण, सोटी-स्त्री० लंबी लाही या लाठी, तड़ी। सोगटी, सोगट्ठी-देखो ‘सोगटी'।
सोटो-पु. १ मोटी लकड़ी का मजबूत डंडा, लाठी, लट्ठ । सोगटो, सोगठौ-पु० शतरंज या चौसर की गोट, गोटी।
२ भैसा सांड । ३ देखो 'सोठी'। सोगन-१ देखो 'सोगंध' । २ देखो 'सुगनी' ।
| सोठागारो-वि० (स्त्री० सोठागारी) १ मितव्यया । २ कृपण, सोगरी, सोगरौ-पु० बाजरे की मोटो रोटी।
कजूस ।। सोगात-देखो 'सौगात'।
सोठो, सोठी पु० १ तंगी प्रभाव । २ मितव्ययता। कृपणता । सोगियो-वि०१ भेद लेने वाला । २ देखो 'सोगी' ।
४ देखो सोटो। सोगी-वि० [सं० शोक+रा प्र.ई.] १ शोकसंतप्त, दुःखी, | सोडस-वि सोलह । -पु. सोलह की संख्या। ___ चितित । २ देखो 'सुहागो' । ३ देखो सोखी'।
सोडसाळा-स्त्री० [सं० षोड्श-कला] चन्द्रमा की सोलह सोड़-स्त्री. १ रजाई, सिरख । २ देखो 'मसोड़।
कलाएं जिससे वह क्रमशः घटता-बढ़ता है । सोड़क-पु. ल.व के साथ घूमने वाले चक्र में लगने वाला लोहे | सोडसगरण-पु० [सं० षोडश-गण] पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच का डंडा।
कर्मेन्द्रियां, पांच भूत व एक मन का समूह । सोड़स-देखो 'सोडस'।
सोडसमात्रका-स्त्री० [सं० षोडश्-मातृका] सोलह मातृकापों सोच-पु. १ चिता, फिक। २ पश्चाताप, पछतावा । ३ दुःख | का समूह । _ रंज । ४ प्राश्चर्य, विस्मय । ५ देखो 'सोच' ।
सोडसबारखी-वि० [सं० षोडश्-वार्षिका] सोलह वर्ष की, सोचक-पु० [स० सूचिक] दरजी ।
षोडशी। सोचकेस-देखो सोचीकोस' ।
सोडसी-वि० [सं० षोडशी] १ सोलह वर्ष की वायु वाली। सोचरणो (बी)-कि० १ चिता या फिक्र में पड़ना, चितित होना । २ युवा, युवती -स्त्री० १ सोलह वर्ष की युवती ।
२ किसी बात या विषय पर विचार करना, मनन करना, २ दश महाविद्यानों में से एक । ३ सोलह तत्त्वों का कल्पना करना। ३ निश्चय करना, इरादा करना, विचार | समूह। करना । ४ विशेषतः किसी कार्य के परिणाम या प्रणाली सोडो-पु. एक प्रकार का क्षार । पर विचार-विमर्श करना। ५ किसी कार्य में उचित- | सोढांए, सोढायण -पु. ऊमरकोट प्रदेश का प्राचीन नाम । अनुचित का विचार करना । ६ अनुमान या अंदाज करना । | सोरण-पु० [सं० शोण] १ प्रत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । ७ असमंजस में पड़ना, पशोपेश में पड़ना ।
२ देखो मोरिणत' । ३ देखो 'सुगन' । ४ देखो 'सोग भद्रा' । सोचिकेस-देखो 'सोचीकेस' ।
सोरणक-वि. लाल । सोची-स्त्री० [स. शोचिस्] १ प्रकाश, ज्योति । २ प्राभा, सोणगिर (गिरि, गिरी)-देखो 'स्वरणगिर'। ___कांति, चमक । ३ अग्नि, प्राग।
सोणत-देखो 'सोणित' । सोचीकेस-पु० [सं० शोचिष्केशः अग्नि, माग ।
सोणभद्रनव-पु. [सं० शोभदनद] विध्याचल से निकल कर साज-स्त्री० १ तैयारी। २ देखो 'सोच'।
पटना के पास गंगा में गिरने वाला एक नद । सोजणी (बी)-देखो 'सोधणी' (बी)।
सोरणभद्रा-स्त्री० [सं० शोरण भद्रा] पंजाब को सोन नदी। सोजतियो, सोजती-वि० सोजत का, सोजत संबंधी । -पु० सोजत सोपहर-पु० शयनघर शयनकक्ष । ___ की भूमि में उत्पन्न प्रजवायन विशेष ।
सोरिणत-पु० [सं० शोणित) १ रुधिर, खून, रक्त। २ सिंदूर । सोजाक-देखो 'सूजाग'।
___३ केसर । ४ तोबा । -वि० लाल, रक्त वसे। सोजि, सोजी, सोजी स्त्री० १ विवेक शक्ति, बुद्धि, ज्ञान । सोणितचंदण (न) पु० [सं० शोणितचंदन | लाल चंदन ।
२ ध्यान, पक्षा, जानकारी । ३ अक्ल, बुद्धि, विचार शक्ति। सोणितपुर-पु० [सं० शोणितपुर] १, सोजत नगर का प्राचीन ४ देखो 'सोजो।
नाम । २ वाणासुर की राजधानी का नाम । सोजो, सोजो-पु. सजन शोथ ।
| सोरणी-१ देखो सोरिणत'। २ देखो 'साणी'।
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