Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 866
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सौहड़ सोहड़ - देखो 'सुभट' | सोहतो-देखो 'सोहितो' । सौहर ०१ प्रसिद्धि स्वाति र कीर्ति य सोहागरण - देखो 'सुहागरण' । कव पु० [सं०] १ स्वामिकार्तिकेय www.kobatirth.org ( ८६० २ शिव, महादेव ३ राजा, नृप । ४ विद्वान पंडित । ५ शरीर । ६ बालकों के नौ प्राणपातक यहाँ वा रोगों में से एक। जननी, जननी, मात, मातरी, माता, मात्री स्त्री० पार्वती, उमा नव दुर्गानों में से एक । स्कंदजित ( जीत ) - पु० [सं०] भगवान विष्णु । स्कंदधर - पु० [सं०] भगवान विष्णु । स्कंध १० [सं०] स्कन्धः] १२ शरीर बदना ४ राजा नृप । ५ नारियल । ६ शाखा, डाल । ७ पार्या छन्द का एक भेद ८ एक नाग विशेष । ९ राम की सेना का एक वानर । वृक्ष 1 स्कंधतर (तरु) - पु० [सं० स्कन्ध + तरु ] नारियल का पेड़ । फळ, धफल पु० [सं० स्कन्ध + फल] १ नारियल का पेड़ या नारियल । २ बिल्व स्कंधम स्कंधमणि (मल)- पु० [सं० [म] एक प्रकार का मंत्र या ताबीज । स्कंधार, स्कंधाक्ष, स्कंधाख पु० [सं० स्कंधाक्ष ] देवताओंों के एक गरण का नाम । स्कंधावार - पु० [सं० स्कंधावार ] १ सेना, फौज २ सेना का पड़ाव | ३ शिविर । स्कूल पु० [सं० स्थल ] पतन स्तंब पु० [सं०] १. भुट्टा, बाल । २ झाड़ी । ३ गुच्छा ४ स्वरोचिष मन्वन्तर के सप्त ऋषियों में से एक। स्तंबतरण, स्तंयंत्रण स्तंत्रि-पु० [सं०] स्तंव-तुरा ] पास झाड़ी। स्तंबबन - पु० [सं०] १ खुरपी । २ इंसिया । स्तंभ - ० [सं० स्तम्भ: ] १ खम्मा २ मूर्खता । ३ रोग यादि के कारण होने वाली मूर्च्छा । ४ गतिहीनता । ५ सुन्नता, संज्ञाहीनता न ७ प्रतिबंध, रुकावट साहित्य में एक सात्विक भाव । ९ स्वरोचिष मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । तं वि० [सं०] रोकने वाला, वीर्य का स्तंभन करने वाला । स्तंभी त्री० [सं०] स्तंभकिन एक देवी स्तंभण पु० [सं० तंमनम्] १ रुकावट, अवरोध २ काम के पांच बारणों में से एक। ३ वीर्यपात रोकने वाली दवा । ४ संभोग के समय वीर्य को रोक रखने की क्रिया, धवस्था या क्षमता ५ देखो 'थंभण' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्रीधन स्वम पु० [सं०] स्वन] १ किसी स्त्री का उरोज, कुप, चूंची। २ मादा पशु या जानवरों के थन । स्तनय पु० [सं०] स्तनद्ययः] बालक, शिशु स्तनांतर - पु० [सं०] १ हृदय, दिल । २ स्त्रियों के स्तन पर होने वाला एक प्रकार का सामुद्रिक चिह्न । स्तव, स्तवण, स्तवन- पु० [सं० स्तवः स्तवनम् ] १ स्तोत्र, स्तव । २ प्रशंसा, स्तुति, गुणगान । स्तुति, स्तुती - स्त्री० [सं० स्तुति स्तोत्री० [सं० स्तुति:] १ प्रशंसा, तारीफ | २ विरुदावली । ३ चापलूसी । ४ देवी-देवताओंों के गुणों का सादर पाठ, जाप प्रार्थना । ५ देवी का एक नाम । - पु० ६ शिव का एक नामः । स्लोक-वि० [सं०] स्तोe] १ तनिक, थोड़ा। २ ३ कुछ । ४ निम्न । 1 स्तोतर, स्तोत्र स्त्री० [सं० स्तोत्र ] १ प्रशंसा, तारीफ २ विह दावली । ३ प्रशंसा या विनय संबंधी श्लोक, छंद या कविता | [सं० तृण-सस्तर] [सं० स्त्रींद्रिय ] योनि, भग 1 स्तोम पु० [सं० स्तोमः] १ यश इथन होम २ संग्रह ३ विश्वावली प्रशंसा ४ धन दौलत | स्त्रणतर स्त्रराण, स्वस्तर, स्वस्त्र पु० तृरण शय्या । स्त्रींद्रिय, स्त्रींद्री - स्त्री० स्त्री - स्त्री० [सं०] १ नारी, धौरत । २ पत्नी, भार्या, जोरू । ३ व्याकरण में स्त्रीलिंग का संक्षिप्तरूप ४ मादा जन्तु या प्राणी । करण पु० संभोग, मैथुनकांम-स्त्री० स्त्री या भार्या की कामना, काम वासना मरण, गमन - पु० स्त्री से संभोग, मैथुन - चिन चिह्न पु० स्त्री के लक्षण; स्त्रियोचित चिह्न निशान। योनि । धरम- पु० स्त्रियों का कर्त्तव्य, पत्नीव्रत । स्त्री का मासिक धर्म, राजस्वला प्रवधि। मैथुन संभोग - घरपणी, घरमिणी-स्त्री० रजस्वला स्त्री । — परसंग, प्रसंग, भोग-पु० स्त्री के साथ संभोग, मैथुन । - लवखण, लक्षण, लखण पु० पुरुषों की ७२ कलाओं में से एक स्त्रियोचित छ।पु० व्याकरण में एक लिंग योनि, भग। - बास-पु० स्त्री संभोग के समय उपयुक्त वस्त्र । स्त्री संभोग का उचित स्थान | स्त्री के साथ सहवास । विसय, विर्स - पु० संभोग-संग संभोग समागम पु० संभोग मैथुन सुख पु० बृहस्थाश्रम का सुख, स्त्री के मिलन का सुख, संभोग - सेवरण, सेवन - पु० संभोग, मंथुन । स्वीप ० श्योतिष में बुध, चन्द्र और शुक्र ग्रह जो स्त्री जाति के माने जाते हैं। For Private And Personal Use Only स्त्रीधन- पु० स्त्रियों के छः प्रकार के धन, जिन पर स्त्रियों का पूर्ण अधिकार हो ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939