Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 864
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सौडिक ( ८५८ ) सोनचिड़ी ५ खाना, भण्डार। ६ विशिष्ट कार्य या क्रिया । ७ कोई सौखी-१ देखो 'सोखी' । २. देखो 'सौखीन'। पूजनीय चित्र या वस्त्र । -वि० सब, समस्त । सौखीन-वि. [५० शौकीन] १ किसी वस्तु, कार्य, कला, खेल सौडिक-पु० [सं०] शराब बनाकर बेचने वाली एक जाति व इस धादि का विशेष चाव या रुचि रखने वाला । २ हर समय जाति का व्यक्ति। बना-ठना रहने व सैर-सपाटे करने वाला। ३ अय्याश, सौंण-१ देखो 'सुगन' । २ देखो 'सयन' । रंडीबाज । ४ नशाबाज । सौगहर-पु० [सं० शयनगृह] शयनागार । सौखीनाई-स्त्री. १ शौकीन होने की अवस्था या भाव । सौणी-देखो 'सुगनी'। २ सजने-संवरने व सैर-सपाटे की प्रवृत्ति । ३ रंडीबाजी, सौधाखानी-पु० इत्र, तेल प्रादि सुगंधित द्रव्य रखने का कक्ष । मथ्याशी। सौंधौ-पु. १ राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में पाया जाने वाला | सौखीनी-१ देखो 'सौखीनाई'। २ देखो 'सौखीन'। ३ देखो एक पौधा या घास जिससे सुगंधित तेल या इत्र धादि | सोखी'। निकलता है, रोहिष । २ इस घास से निकला सुगंधित तेल | सोगंव, सौगंध, सौगन-देखो सोगंध' । या इत्र । ३ इत्र मादि सुगंधित द्रव्य । सौगात-स्त्री० [तु.] किसी के यहां उपहार या भेट-स्वरूप भेजी सॉन-देखो 'सुगन'। ___जाने वाली वस्तु विशेष । सौंपणो (बी)-देखो 'सूपणो' (बी)।.. | सौगाळो-पु० [सं० शोक-मालुच] मृतक के पीछे की जाने वाली सौंफ-स्त्री०१ पांच छः फुट ऊंचा एक पौधा । २ इस पौधे के एक रश्म (मेवाड़)। बीज जो पान मसाला या औषधि में काम पाते हैं। सौड़-देखो 'मोड़। सौंलो-देखो.'संवळी'। सौच-पु० [सं० शौच] १ प्रात: उठते ही की जाने वाली मल सास-देखो 'सूस'। त्याग प्रादि नित्य क्रिया । २ शारीरिक शुद्धिकरण, सौ-पु० १ शंख । २ बालक । ३ शनि । ४ सूर्य । ५ बुध ।। शुचिता । ६ भाई। ७ मित्र । ८ जप। अच्छा वाक्य । -स्त्री० सोरण, सौणी-१ देखो 'सुगन' । २ देखो 'सोणित' । १० धरती पृथ्वो। ११ क्षुधा, भूख । १२ उपासना, | सौतेली-पु० (स्त्री० सौतेली) विमाता का पुत्र । -वि० सपत्नी पाराधना । १३ सो की संख्या, १००। -वि० १ बलवान, | या सौत का। पराक्रमी। २ शुद्ध, पवित्र । ३ सब, समस्त, सम्पूर्ण। | सौदरा-१ देखो 'सुभद्रा' । २ देखो 'मोदरा'। [सं० शत] ४ नब्बे और दश, पचास का दुगुना। सौदामपी, सौदामनी, सौदामिणो-स्त्री० [सं० सौदामिनी ५ देखो 'सो'। विद्युत, बिजली। २ एक अप्सरी। ३ कश्यप ऋषि को सौक, सोकर, सौकड़ली, सोकरण-स्त्री. १ सौत । २ पक्षियों की एक पुत्री। तेज उड़ान या विमान प्रादि की तेज गति से उत्पन्न ध्वनि | सौदागर-पु० [फा०] १ व्यापारी, व्यवसायी २ घोड़ों का विशेष । ३ तीव्र गति, रफ्तार। ४ तेज भागने की क्रिया। व्यापारी। ५ देखो सौख'। सौदागरी-स्त्री० सौदागर का कार्य, व्यापार, व्यवसाय । सौकरड़, सोकरड़ी-पु०१ तेज वर्षा की ध्वनि । २ तेज व शीघ्र सौदो, सौदी-पु० [अ० सौदा] १ क्रय-विक्रय का कार्य, व्यापार, प्रहार की ध्वनि । लेन-देन । २ क्रय-विक्रय की वस्तु, व्यावसायिक सामान । सौकलटी-स्त्री० स्त्रियों के शिर के बाल जो लट के रूप में प्रागे ३ शरीर को एक धातु । ४ कार्य। ५ मस्तिष्क-विकार, निकले रहते हैं। पागलपन । ६ प्रेम, इश्क । ७ वस्तु-विनिमय । ८ पशुपों सौकातिसार-देखो 'सोकातिसार। का क्रय-विक्रय, प्रादान-प्रदान, सट्टा । -वि० चालाक । सौकिया-क्रि०वि० शौक या मनोरजन के लिये । -पु० शौक | .. पूरा करने या दिल बहलाने के लिये किया गया कार्य। सौध-पु. भवन, महल, अट्टालिका। सौकीन-देखो 'सौखीन'। सोनंद, सौनंद-पु. १ बलराम का एक नाम । २ बलराम का सौतरौ, सौफूतो-देखो 'साकूतरों'। मूसल । सौख-पु. [पशोक] १ किसी पदार्थ की प्राप्ति या निरन्तर | सौनइयो-देखो 'सोनइयो'। भोग या मन की इच्छा पूर्ति के लिये लगातार किया जाने | सौनक-पु० [सं० शौनक] एक प्रसिद्ध वैदिक प्राचार्य ऋषि । वाला कार्य। २ इच्छा, प्राकांक्षा, लालसा। ३ व्यसन, | सौनचिड़ी-स्त्री०१ कलाबाजी दिखाने में प्रत्यन्त निपगा नटी। चसका । ४ प्रवृत्ति, झुकाव । ५ देखो 'सोक' । २ देखो 'सोनचिड़ी। For Private And Personal Use Only

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