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स्त्रीरासि
स्निग्धता
मारपद
स्त्रीरासि, स्त्रीरासी-स्त्री० [सं० स्त्रीराशि] ज्योतिष में, वृषभ, | स्थावरता-स्त्री० स्थावर होने की अवस्था या भाव ..
कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर प्रौर मीन राशियां। स्थित-पु० [सं०] १ निकास, अवस्थान । २ चल । ३ उपस्थित, स्त्रीवार-पु० [सं०] ज्योतिष में चन्द्र, बुधः मोर शुक्रवार जो मौजूद। ४ दृढ़, पक्का । ५ बसा हुमा । ६ वर्तमान । स्त्री जाति के माने जाते हैं।
७ तैयार। स्त्रीवत-पु० [सं०] १ अपनी पत्नी के अलावा अन्य स्त्रा का स्थिति-स्त्री० [सं०] १ स्थित होने की अवस्था या भाव ।
इच्छा न रखने का भाव, व्रत या संकल्प । २ ऐसा संकल्प २ टिकाव, ठहराव । ३ हालत दशा । ४ पद, मर्यादा धादि रखने वाला पुरुष।
के अनुसार मिलने वाला स्थान । ५ ढंग, तरीका । स्थंभ-पु० [सं० स्तम्भ खंभा, स्तंभ ।
६ सीमा, हदः।। स्वंमणी-पु० पाश्वनाथ का एक नाम ।
। स्थिर-वि० [सं०] १ स्थायी। २ सदा एकसी दशा में रहने स्थग-वि० [सं०] १ तं, कपटी। २. ढीठ, लापरवाह । ३ गुण्डा,
वाला, निश्चल । ३ शान्त, प्रचंचल । ४ निश्चित, पक्का । बदमाश ।
५ बढ़, मजबूत । ६ निर्दय, निष्ठुर । -पु०[सं०] १ ज्योतिष स्पपत, स्थपति, स्थपती-पु० [सं० स्थपति] १ राजा, शासक ।
के २८ योगों में से एक । २ फलित ज्योतिष में तिथि व २ कारीगर । ३ रथ होकने वाला, सारथी। ४ कुबेर ।
नक्षत्रों संबंधी तृतीय योग । ३ वृष, सिंह, वृश्चिक पौर ५ बहस्पति । ६ अन्तःपुर का रक्षक।
कुभ राशियो । ४ एक क्षेत्रपाल । ५ शनिग्रह । ६ देवता। स्थळ-पु० [सं० स्थल] १ भूमि, जमीन। २ भू-भाग । ३ जल
७ पर्वत, पहाड़। ८ वृक्ष, पेड़। ९ शिव, महादेव । रहित भूमि वा वह भू-भाग जहां पानी की कमी हो। १० स्थामिकात्तिकेय। ११वष, सोड १२ देखो "थिर। ४ मरुभूमि । ५ पुस्तक का अध्याय या परिच्छेद ।
स्थिरता-स्त्री० [सं०] १ स्थिर होने की अवस्था, भाव या स्थळकाळी-स्त्री० [सं० स्थलकाली] दुर्गा की एक सहचरी
स्थिति । २ दृढ़ता। का नाम।
स्थिरासण (न)-पु०. [सं० स्थिरासन] योग के चौरासी प्रासनों स्थांण-पू० [सं० स्थाणु] १ शिव, महादेव । २ ग्यारह रुद्रों में से में से एक
एक एक प्रजापति का नाम । ४ घोड़ों का एक रोग स्थल स्थल-देखो 'थळ' । विशेष । ५ एक प्राचीन तीर्थ । ६ एक प्राचीन ऋषि ।
स्मूळपाद -पु० [सं० स्थूलपाद] हाथी, गज । स्थान-पु० [सं० स्थान] १ जगह, स्थान । २ भू-भाग, जमीन ।
स्थळहसत (हस्त)-स्त्री० [सं० स्थूलहस्त] हाथो की सूड । ३ घर, मकान; रहने का स्थान । ४ किसी के लिये प्रतिदिन
| मूळा-स्त्री० [सं०स्थूला] १ सौंक । २ इलायची । ३ मुनक्का। या प्रायः बैठने का स्थान। ५ कार्य स्थल । ६ मंदिर,
४ कपास । ५ ककड़ी।। . देवालय । ७ पद, मोहदा ! ८ महत्व, मान्यता या गणना की स्थिति । ९ उदासीन हो बैठने की क्रिया या भाव।
स्पूळाक्ख, स्पूळाक्ष, स्मूळाख-पु० [सं० स्थूलाम] १ एक महर्षि
का नाम । २ एक राक्षस । स्थानक-देखो यांनक' ।
स्नान-पु० [सं० मान] । पानी से शरीर को धोने की क्रिया, स्पांनजफ-पु० मुपलमानों का एक तीर्थ स्थल ।
पानी में शरीर डुबा कर नहाना क्रिया, मज्जन । २ धूप, स्थापन-देखो 'थापन'।
वायु प्रादि के सामने बैठना क्रिया ३ पानी या तरल स्थापननिक्षेप-पु० महत् की मूर्ति का पूजन । (जैन)
पदार्थ में भिगोना क्रिया। -प्रागार-पु. गुसलखाना। स्थापना-देखो 'थापना'।
-ग्रह, घर-पु० गुसलखाना, नहाने का कक्ष । -जातरा, स्थायी-वि० [सं०] १ हमेशा बना रहने वाला. नित्य । २ दृढ़,
जात्रा, यात्रा-स्त्री० ज्येष्ठ की पूर्णिमा को विष्णु की मूर्ति मजबूत, पक्का । ३ नोकरी या पद पर पक्का । -पु० गीत को स्नान कराने का एक उत्सव विशेष । -साळ, साळाका पहला चरण, पंक्ति, टेक।
स्त्री० स्नानघर। स्थायीभाव-पु० [सं०] मनुष्य के मन में सदा रहने वाले मूल
स्नायु-पु. नहरुमा। भाव । (साहित्य)
स्नायुवरम-पु. [स० स्नायुवर्मन् ] पोख का एक रोग विशेष । स्थाळ-देखो 'याळ'।
स्निग्ध-वि० [सं०] १ चिकनाहर युक्त, चिकना । २ कोमल, स्थावर-पु. [स०] १ प्रचेतन पदार्थ। २ पहाड़, पर्वत। मुलायम । ३ प्रिय, प्यारा। ४ तर, नम । -पु० १ तेल ।
३ स्थूल शरीर । ४ अचल सम्पत्ति । -वि०१ स्थिर, २ मोम । ३ मित्र, दोस्त । पचल । २ जंगम का विलोम ।
स्निग्धता-स्त्री० [सं०] स्निग्ध की अवस्था या भाव ।
मुलायम
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