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सेवक
सेवार
उबाल कर खाया जाता है (रक्षाबंधन, ईद)। ३ कुशल संवति सेवती-स्त्री० [सं० सेमती] १ एक प्रकार का सफेद क्षेम, सुख-शांति, खुशहाली। ४ एक प्रकार का वृक्ष । गुलाब का फूल । २ इस फूल का पौधा । ५ देखो 'सेव'।
सेवन-पु० [सं०] १ सेवा करने की क्रिया या भाव । २ उपासना, सेवक (सेवकर)-पु० [सं०] (स्त्री० सेवकरण, सेवकांरणी) १ सेवा प्राराधना, भक्ति । ३ उपभोग, भोग, इस्तेमाल । ४ स्त्री
उपासना, माराधना करने वाला भक्त, दास व्यक्ति । संभोग, मैथुन क्रिया । ५ टहल, चाकरी, ६ सानिध्य, २ नौकर, चाकर, अनुचर । ३ पुजारी। ४ सिलाई करने संसर्ग । ७ संरक्षण, रक्षा। ८ मादा पक्षियों द्वारा प्रण्डों वाला दर्जी। ५ बोरा। -वि० १ सेवा शुश्रूषा करने वाला। का पोषण । ९ पौषधि प्रादि का खान-पान । १ २ पूजा, उपासना करने वाला, अनुयायी। ३ नोकरी- सेवनी-स्त्री. १ सिलाई, सोवन । २ टांका। ३ सूई । ४ संधिचाकरी करने वाला। ४ पगधीन । ५ सेवन करने वाला, स्थान । ५ दासी, सेविका । उपभोक्ता । ६ सहायक, मददगार।
सेवभद्र-पु० कुशलता। सेवकरण, सेवकरणी-स्त्री० दासी, नौकरानी, सेविका ।
सेवमाण-वि० सेवन करने योग्य । सेवकाइ, सेवकाई-स्त्री० १ सेवक का कार्य, सेवा, चाकरी सेवर, सेवरडो, सेवरियौ, सेवरी-पु० [सं० शिखर] १ विवाह शुश्रूषा । २ धाव भगत । ३ नौकरी। ४ भक्ति ।
की एक रश्म जो विवाह मण्डप में कन्या के भाई या मामा .सेवक-देखो 'सेवक'।
द्वारा वर के सामने 'सरवा' घुमाकर अदा की जाती है। सेवग-पु० [सं० सेवक] (स्त्री० सेवगण, सेवगरणी, सेवाणी) २ विवाह में भोवर के समय गाया जाने वाला मांगलिक
१ ब्राह्मणों का एक वर्ग, शाकद्वीपी ब्राह्मणा । २ इस वर्ग | लोक गीत । ३ विवाह के समय शिर पर बांधा जाने वाला का व्यक्ति। ३ देखो 'सेवक' ।
सेहरा, शिर मौर। ४ पगड़ो में बांधकर मोर के नीचे दूल्हे सेवगर-देखो 'सेवक'।
के मुह के धागे लटकाई जाने वाली फूल मालायें । सेंवगसाधार-पु. १ भक्तों का परिपालक ईश्वर, विष्णु | (मुसलमान) ५ माला, हार, विशेषकर रेशमी माला ।
श्रीकृष्ण । २ अपने चाकर या अनुयायियों का रक्षक । ६ द्वार के ऊपर लगाया जाने वाला एक कलात्मक पत्थर । स्वामी।
-वि०१ उत्तम, श्रेष्ठ । २ शिरोमरिण। सेवगी, संवग्ग-देखो 'सेवक' ।
सेवलण (नी)-स्त्री० [सं० शैवलिनी] नदी, सरिता, तठनी। सेवग्रह-स्त्री० मेवा चाकरी, टहल बंदगो।
सेवळो-देखो 'सेही'। सेवड़-पु. १ राजगुरु पुरोहितों का एक गोत्र । २ इस गोत्र का सेवळी-पु० १ सेमल वृक्ष । २ कलई पर धारण करने की एक - पुरोहित । ३ देखो 'सेवड़ो'।
प्रकार की बलदार चूड़ी। ३ देखो 'सेळो'। सेवड़ा-स्त्री० दशनामी संन्यासियों की एक शाखा ।
सेवांजळि (ळी)-स्त्री० [सं० सेवा जलि] १ दोनों हथेलियों को
जोड़कर प्यालानुमा बनाई एक मुद्रा । २ ऐमी मुद्रा बना सेवड़ो-पु० [सं० श्वेत-पट] १ जैन साधुनों का एक वर्ग व इस |
कर अपने उपास्य को कुछ अर्पण करने की क्रिया। वर्ग का साधु । २ एक ग्राम्य देवता ।
सेवा-स्त्री० [सं०] १ देवतानों की पूजा, अर्चना । २ सेवासे वज-देखो 'सेवज'।
शुभषा, तीमारदारी, टहल । ३ नौकरी। ४ प्रादरसेवट-क्रि०वि० [सं० सीमट्ट] अन्त में, प्राखिर, अन्ततोगत्वा : | सत्कार, प्रावभगत । ५ उपासना, माराधना, भक्ति । सेवरण-स्त्री० १ एक प्रकार की घास । २ उपासना, भक्ति या ६ प्रेम, प्रासक्ति । ७ माश्रय, शरण। ८ उपभोग, भोग । माराधना करने की क्रिया । ३ सेवा-चाकरी या टहल करने
९ श्रम, परिश्रम । १० समाज सुधार का कार्य, समाज को क्रिया । ४ मादा पक्षियों की प्रण्डे पकाने की क्रिया या
सेवा । ११ चापलूसी, जी-हजूरी। भाव । ५ सेवन ।
सेवागर-देखो 'सेवक'। सेबग्गी (बी)-क्रि० [सं० सेवनं] १ पूजा करना, अर्चना करना ।
सेवाधरम-पु० [सं० सेवा-धर्म] सैवक का धर्म या कर्तव्य । २ वंदना करना, नमस्कार करना। ३ उपासना या भक्ति ।
संवाधारी-पु० [सं० सेवा-धारिन् पुजारी, सेवक । -वि० जिसके करना । ४ सेवा-शुश्रूषा करना, चाकरी करना। ५ उपभोग
1. मूर्ति पूजा या माला का नियम हो। करना, भोगना । ६ सानिध्य करना, संसर्ग करना । ७ मादा सेवापण (पणी)-पु. १ मेता वत्ति, टहल-बंदगी। २ नोकरीपक्षी का अण्डे पकाने के लिये बैठना। पोषण करना। चाकरी। ८ रहना, बसना । ९ कोई औषधि या पथ्य लेना। सवार, सेवाळ, सेवाल-स्त्री० [सं० शैवाल] १ पानी पर जमने १० लिप्त होना । ११ पालन करना ।
वाली चील, काई। २ जलाशयों के पानी पर जाल को
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