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सेरि
संव
सेरि-देखो 'सेरी'।
सेलार, सेलारी-पु. १ पहाड़ी घोड़ा। २ भाला, बरछा । सेरियो-पु० खेतों की मेंढ के बीच का तंग रास्ता।
३ डिंगल का एक मात्रिक छन्द विशेष । ४ तीन संगण सेरी-स्त्री०१ वीथिका, गली, तंग रास्ता । २ मार्ग, रास्ता ।। और अन्त में लघु वर्ण का एक अन्य छन्द विशेष ।
३ गुप्त रूप से भागने का छोटा मार्ग। ४ कंटीली बाड़ या ५ प्रत्येक चरण में चौदह मात्रा का एक छन्द । दीवार को तोड़कर बनाया छोटा रास्ता । ५ छेद, सूराख, सेलारसी-पु. एक भक्त का नाम । दरार । ६ मुख्य द्वार के बगल में बना छोटा फाटक। सेलारियो-पु० बबूल वृक्ष की फली।
७ स्थिति । दो अंगों के बीच का अवकाश, अंतर। सेलाळ-वि० माला धारी वीर, योद्धा । सेरीणी-पु. एक प्रकार का कर ।
सेलि-देखो 'सैली'। सेरुराह, सेहराह-देखो 'सेगह।
सेलिया-स्त्री० १ घोड़ों की एक जाति । २ पीलू नामक लाल सरे'क-वि० एक सेर के लगभग ।
रंग का एक फल विशेष । सेरो-पु. १ खेत का किनारा । २ सूराख । ३ बाड़ या दीवार | सेली-स्त्री० घोड़े की बागडोर में कान के पास लगाया जाने ___ के बीच बना छोटा मार्ग।
वाला एक उपकरण। सेलंग-पु० रहट के खड़े चक्र के गड्ढे के किनारे पर लगी लकड़ी | सेली-स्त्री० १ ऊन, सूत, रेशम या बालों की बनी एक मोटी
या पत्थर जो उसमें खाद पादि गिरने से रोकता है। डोरी जिसे नाथ योगी गले में डालते हैं । २ स्त्रियों के शिर -क्रि०वि० १ लगातार, एक साथ, निरंतर । २ शृखला- का एक प्राभूषण । ३ पगड़ी पर बांधने का एक प्राभूषण । बद्ध । ३ देखो 'संलग्न'।
४ छोटा भाला, बरछो। ५ देखो 'सर'। सेल-पु० [स. शल:] १ भाला, बरछा, सांग। [५० शेल] सेलीसंद, सेलोसमंद (ध)-पु. एक प्रकार का उत्तम जाति का .२ तोप का वह गोला जिस में गोलियां प्रादि भरी रहती घोहा । हैं । ३ बज्र। ४ छिद्र, सूराख, बिल । ५ दर्द, टीस, सेलीहालो-वि० जिसको पगड़ी पर सेली बंधी हो । पोड़ा । ६ देखो 'सर'।
सेलुत-पु. एक वर्ग विशेष । । सेलक, सेलक्क-पु० भाला, बरछा।
सेलुस-पु० [सं० शेलुष] एक प्रकार का लिसोड़ा। सेलखड़ी-स्त्री. १ खरिया मिट्टी। ९ एक प्रकार का चिकना व सेट-क्रि०वि० चिता में।
मुलायम पत्थर जो बरतन बनाने के काम प्राता है। सेलोट-देखो 'सलोट'। सेलड़ी-स्त्री. १ ईख, गन्ना । २ बांस के शिरे पर लगा लोह | सेलोत-पु० गरासिया जाति का मुखिया या प्रधान । ___ का हासिया जिससे वृक्ष की टहनियां काटी जाती हैं। | सेळो-पु. १ कांटेदार रोमावली वाला एक छोटा जीव जो सेलड़ी-पु० १ स्त्रियों की वेणी में गुथा जाने वाला एक रोप्य | अपना मुख व पांव छुपाकर गेंदनुमा बन जाता है। २ गाय प्राभूषण । २ देखो 'सेल'।
दूहते समय उसके पिछले पैरों में बांधने की रस्सी।। सेलणी (बी)-क्रि० १ चुभाना, घुसेड़ना। २ भाले, बरछे या सेलो-पु० १ एक उत्तम कोटी का वस्त्र । २ लाल रंग का
तीक्ष्ण शस्त्र से प्रहार करना। ३ कष्ट देना, दुःख देना । साफा । ३ अश्लेषा नक्षत्र का एक नाम । ४ सीधा-सादा ४ देखो 'सालणो' (बी)।
व्यक्ति । ५ देखो 'सेल'। सेलपी-स्त्री. बनस्पति विशेष ।
सेल्लि-स्त्री. प्रस्तर पट्टिका, सिल्ली । सेळमेळ, सेळमेळ पु. १ मिश्रण । २ गिल-मिल ।
सेल्ह-देखा 'सेल'। सेलवण-स्त्री० एक प्रकार का क्षुप विशेष ।
सेल्हय-देखो 'सेलहय'। सेलवरणी-स्त्री० नदी, सरिता ।
सेल्हा-स्त्री० चावलों की एक किस्म । सैलसुत-देखो ‘सैलसुत' ।
सेल्हारस-स्त्री० केसर या चंदन ।
सेल्ही-देखो 'सेली'। सेलहत्य, सेलहय-वि० १ योद्धा, वीर। २ जिसके हाथ में
सेल्ही-१ देखो 'सेलो'। २.देखो 'सेळो' । ___ भाला हो।
सेवति, सेवंती, सेवत्री-देखो 'सेवतो'। सलाणी-स्त्री. १ कोल्हू में पिले हुए प्रध-कचरे तिल, कच्चर । सेव-स्त्री० [सं० सेविका] १ बेसन में मिर्च-मसाले मिलाकर, तिल का दलिया । २ देखो 'सेनापी' । .
घाटे की तरह गूद कर, झारे के माध्यम से गर्म तेल में सेला-वि० शीतल, ठण्डा ।
तलकर तैयार किया नमकीन विशेष । २ प्राटे या मैदे को सेलाक-वि० भाला धारण करने वाला योद्धा, वीर!
गूद कर डोरों की तरह बनाया पदार्थ जिसको पानी में
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