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सेखासाय
सावट
सेखासाय (यो)-पु० [सं० शेष-शायी] १ श्रीकृष्ण । २ विष्णु। सेज्जा-देखो 'सेज'। सेखा-स्त्री० दो भगण या छः गुरु का एक वर्णवृत्त । सेज्जासरण-पु० [सं० शय्यासन] शय्या का पासन । सेखामवतार (री)-पु० [सं० शेषावतार] १ दशरथ सुत लक्ष्मण। | सेझ-१ देखो ‘सेज' । २ देखो 'सहज'। २ बलराम ।
| सेझखांनो-देखो 'सेजखांनो' । सेखाक्षर-पु० सं० शेषाक्षर] परब्रह्म, ईश्वर ।
सेझड़ली, सेझड़ी-देखो 'सेज' । सखाटी, सेखावटी-स्त्री.राजस्थान के पूर्व का एक प्रदेश विशेष। सेमण-स्त्री. तलाश, खोज, शोध । सेखावत (त)-पु. १ कच्छवाहा क्षत्रियों की एक शाखा व | संझरी-देखो 'सेज'।
इसका व्यक्ति। २ भाटो वंश की एक शाखा विशेष । सेझवट-स्त्री० शय्या, बिस्तर, बिछावन । सेखी-स्त्री० [तु० शेखी] १ महकार, गवं, हेकड़ी, पक्कड़।। सेझवाळी (लो)-देखो 'सेजवाळी' ।
२ प्रहंकारमरी बात, डोंग। ३ प्रतिशयोक्ति । ४ झूठी- | सेझो-देखो 'सेजो'। शान-शौकत । ५ तारीफ, बड़ाई।
सेटो-पु. अच्छी नस्ल का सांड। सेखीबाज-वि०१ अहंकारी, घमंडी, अभिमानी। २ शेखी | संठ्ठि, सेठ,. सेठडो-पु. [सं० बेष्ठिन्] (स्त्री० सेठाणी) बगारने वाला, डींगबाज ।
| १ प्रतिष्ठित व श्रेष्ठ व्यक्ति। २ धनी व्यक्ति । ३ साहूकार, सेखू-पु. बादशाह ।
वणिक, व्यापारी। ४ व्यापारियों के लिये एक संबोधन । सेखो-पु. एक प्रकार का मांसाहारी पक्षी।
५ पोसवाल, माहेश्वरी, अग्रवाल जाति के लिये सामान्य सई-क्रि० वि०१ एक तरफ, एक भोर, परे । २ किनारे ।। संबोधनः। ६ दलाल । ७ व्यापारियों की पंचायत का ३ एकान्त में। ४ दूर ।
मुखिया। सेडो-पू० [फा० सरहद] १ सीमा, हद । २ किनारा, छोर। | सेठांसी-स्त्री० १ किसी व्यापारी या बरिणये की स्त्री। २ धनी सेवरलूण-पु० [सं० सोवर्चल-लवणं] एक प्रकार का नमक। | पौरत । सेज, सेजड़ली, सेजड़ी, सेजडी-स्त्री० [सं० शय्या-सज्जा] सेठाई, सेठायो-स्त्री. १ धनाढ्यता, मालदारी। २ सेठ होने
१ वह चारपाई या खाट जिस पर बिस्तर बिछा कर सोने की अवस्था या भाव । योग्य बनाया गया हो, शय्या, पलंग । २ बिस्तर, बिछावन । | सेठि, सेठियो, सेठो-देखो 'सेठ' । ३ देखो 'सहज'।
सेड-वि० [सं० शोण्ड] १ मदोन्मत्त, मस्त, नशे में चूर । सेजखांनो-पु. वह कक्ष जहां शय्या लगी हो, शयनकक्ष ।
२ निपुण, दक्ष । ३ अभिमानो, घमंडी। ४ शराबी, मद्यप । सेजड़ी-पु. १ विश्राम स्थल । २ देखो 'सेज'।
५ देखो 'सेठ'। सेजपंथ, सेजपथ-देखो 'सहजपथ' ।
सेडळ, सेडल (माइ, माता, माय)-स्त्री० चेचक रोग की सेजपाळ-पू० [सं० शय्या पालक] शयनागार का पहरेदार। | अधिष्ठात्री देवो विशेष । शीतला माता। से जबध-पु० [सं० शय्या-बन्धन] शय्या का बन्धन ।
सेडाउ, सेडाऊ, सेडावू-देखो 'सेढावू' । सेजबरवार-पु० शय्या बिछाने वाला कर्मचारी।
सेडा-स्त्री० [सं० चेटि] सखी, सहेली। सेजरी-देखो 'सेज'।
सेडो-पु० १ प्रायः जुखाम के कारण नाक से निकलने वाला सेजरीग्रोवरी-स्त्री. महाराणा के शयनकक्ष की व्यवस्था या | गाढ़ा मल, बलगम, श्लेष्मा युक्त मल, रेट । २ देखो सेहो। देख-रेख करने वाला महकमा ।
सेढ़ -स्त्री० । गाय, भैंस प्रादि का दूध दूहने की क्रिया। सेजलदेवी-स्त्री० एक देवी विशेष ।
२ दूध दुहते समय निकलने वाली धार । ३ स्तन । सेजवाळी, सेजवालो-पु०.१ परदानशीन स्त्रियों के बैठने की सेकढ़ियोड़ो सेढ़कढ़ियो-वि० तुरन्त का दूहा, धारोष्ण । (दूध)
परदादार गाड़ी, रथ, बग्घी आदि । २ पालकी होली। सेढाउ, सेढाऊ, सेढ़ावू -वि० तुरन्त दूहा, धारोष्ण । -पु. तुरन्त ३ परदा करने का वस्त्र विशेष ।
___ का दूहा हुवा दूध जो फैनिल व पौष्टिक होता है। सेजवदार-देखो 'सेजबरदार'।
सेढ़ितव पु० णितप (जैन)। सेजों-पु. हृदय ।
सेढी-स्त्री० सीढी, जोना। सेजो-पु० [सं०स्रोत] १ कूए का जल स्रोत । २ स्रोत या उद्गम । सेगारी-स्त्री० [सं० सेधकारी] १ तंत्र-मंत्र या. तांत्रिक ३ भूमिगत जल प्रवाह ।
विद्यामों से दूध-दही-धी प्रादि की चोरी करने वाली स्त्री। सेज्जातरदोख-पु० [सं० शय्यान्तरदोष] जिसके मकान में ठहरे २ इस प्रकार की चोरी।
उसक’ भोजन लेने पर लगने वाला दोष (जैन)। | सेढे, सेढे-क्रि०वि० १ समीप, निकट, पास । २ पापर्व में। .
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