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सिंहनिकोलिऊ
( ७७६ )
सिकारबंद
सिंहनिकोलिऊ-स्त्री० एक प्रकार की तपस्या या प्रायश्चित । २ महान् । ३ प्रच्छा, श्रेष्ठ । सिंहफलंग-पृ० डिंगल का एक गीत विशेष ।
सिक-देखो 'सिख'। सिंहरासि (रासी)-स्त्री० [स०सिंहराशि] ज्योतिष की एक राशि । | सिकटासुर-देखो 'सकटासुर'। सिंहल(दिव, बीप, द्वीप)-पु० [सं० सिंहलद्वोप] भारत के दक्षिण | सिकरणो (बो)-क्रि० १ रोटी पादि का पाग पर पकना, में स्थित एक प्राचीन जनपद, द्वीप, लंका।
सेका जाना । २ भुना जाना, तला जाना। ३ तेज धूप में सिंहळी-पु. १ शृगाल । २ सिंहलद्वीप का निवासी।
या अंगीठी प्रादि स ताप लेना, तापना, गर्म होना। सिंहलोक-पु० सिंह समुदाय ।
सिकता-स्त्री० [सं०] १ बालू रेत, धूलि। २ रेतीली भूमि । सिंहबाहरणी-देखो 'सिंघवाहणी' ।
सिकताव-पु. अंगीठी धूप प्रादि से शरीर या अंग को दिया सिंहविक्रम, सिंहविक्रमांक-पु० [सं० सिंहविक्रम] घोड़ा, प्रश्व । | जाने वाला ताप । सिंहविक्रांत-पु० १ सिंह की चाल । २ घोड़ा, अश्व ।
सिकदार-पु० [फा० शिकदार] १ किसो क्षेत्र का पदाधिकारी। सिंहसत, सिंहस्थ-देखो "सिंगसट'।
(मध्य काल) । २ टकसाल का अधिकारी। सिंहांण-देखो 'सिंह'।
सिकवारी-स्त्री. १ सिकदार का पद या कार्य । २ एक सिंहार-देखो 'संहार'।
प्रकार का कर। सिंहारो (बी)-देखो 'संहारणो' (बो)।
सिकम-पु० [फा० शिकम] उदर, पेट । सिंहालय-पु० [सं० सिह-पालय] सिंह की मांद, गुफा । सिकमी-वि० १ पेट सम्बन्धी। २ जन्म सम्बन्धी, पैदाईशी। सिंहावलोकरण (न)-पु. १ सिंह की तरह देखना क्रिया।। ३ भीतरी, प्रांतरिक ।
२ सिंह की तरह रष्टिपात । ३ एक मात्रिक छन्द विशेष । सिकमीकास्तकार-पु० [फा० शिकमीकाश्तकार] अन्य काश्तकार सिंहासण (न)-पु. [सं. सिंहासन] १ कुर्सी की तरह बना एक | का खेत जोतने वाला कृषक।
पासन जिसके दोनों पोर सिंह की प्राकृतियां बनी हों। मिकर-देखो 'सिखर'। राजसिंहासन । २ योग के चौरासी पासनों में से एक। सिकरवार-पु. क्षत्रियों की एक शाखा । ३ कामशास्त्र में एक रतिबंध ।
सिकल-देखो 'सकल'। सिंहासनचक्र-पु. मानव प्राकृति का, ज्योतिष का एक चक्र। सिकलात-पु० बहुमूल्य ऊनी वस्त्र की बनी बनात । सिंहिका-स्त्री० संका के समीप समुद्र में रहने वाली एक | सिकळी-स्त्री० [म. संकल] धारदार हथियारों को मांजने राक्षसी।
और उन पर शान चढ़ाने की क्रिया। -गर, घर-पु० हथियारों सिंही-स्त्री०१पार्या नामक छन्द, गाथा। २ देखो 'सिंहणी'। पर शान चढ़ाने वाला कारीगर, हिन्दू लुहारों का एक भेद। सि-पु० [सं०शि] १ शिव, महादेव । २ शिखर, चोटी। ३ शुक, | सिकसा-देखो 'सिक्षा' ।
तोता। ४ सुख। शुभ-लाभ। ६ सौभाग्य । ७ शील। | सिकस्त-स्त्री० [फा० शिकस्त] हार, पराजय । -स्त्री०८ शिखा । ९पग्नि । १० माशीष । ११ स्वस्थता। सिकायत-स्त्री० [अ० शिकायत] १ अपराधपूर्ण या पनियमित
१२ शान्ति । -वि०१ हितैषी, शुभेच्छु । २ सब, समस्त । कार्यों के प्रति शासन को दी जाने वाली सूचना । २ उद्दण्डता सिआर-स्त्री. १ लड़की में छेद करने का उपकरण, वर्मी। या प्रन्याय के विरुद्ध उठाई जाने वाली मावाज । ३ चुगली। २ देखो 'स्याळ'।
४ निदा, बुराई। ५ उपालंभ, उलाहना । ६ शरीर में सिमाल, सिमालक-देखो 'स्याल, स्यालक' ।
उत्पन्न होने वाला रोग का उठान, प्रभाव । सिमाळी-देखो 'सियाळो' ।
सिकार-पू० [फा० शिकार) १किसी पशु-पक्षी को तीर-गोली सिउं-देखो 'स्यू'।
प्रादि से मारना क्रिया, पाखेट । २ पाखेट में मारा जाने सिकंजी-पु० [फा० शिकंजः] १किसी को कसकर दबाने का वाला जीव । ३ मांस का पाहार । -खांनो-पु. शिकार
एक यंत्र, उपकरण । २ ऐसा ही एक अन्य उपकरण को संबंधी कार्य की देखभाल करने वाला विभाग । -गाह-स्त्री. पुस्तकों की जिल्दबंधी में काम पाता है। अपराधियों का शिकार खेलने का स्थान ।। पांव फंसाकर यंत्रणा देने का एक उपकरण। ४ वह तागा | सिकारणी (बो)- कि० स्वीकार करना । जिससे जुलाहे घुमावदार बन्द बनाते हैं। ५ ऊख, तेल | सिकारपुरी-पु. १ घोडों की एक जाति विशेष । २ इस प्रादि पैरने का कोल्हू ।
जाति या नस्ल का घोड़ा। सिकंदर-पु० [फा०] विश्व प्रसिद्ध एक यूनानी सम्राट जो सिकारबंद-पु० [फा० शिकारबंद] घोड़े की दुम के पास
दार्शनिक अरस्तू का शिष्य था। -वि० १ तीव्र, लेज. चारजामे के लगाया जाने वाला एक तस्मा विशेष ।
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