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सिरपार
( ७८७ ।
सिरीसौ
सिरपाउ, सिरपाव-पु० १ शिर से पर तक पहनने के वस्त्रादि | सिरहार-पु० मुडमाल ।
जो राजा, बादशाह द्वारा सम्मान में दिये जाते थे। २ पहनने | सिरांगो, सिरांतियो, सिरांती-देखो सिरहाणो' । के वस्त्र, वेशभूषा । ३ विवाहादि पवसरों पर भेंट किये | सिरांमण, सिरावण-पु. [सं० शीतलासन, शिशिराऽसन] जाने वाले वस्त्रादि ।
१ नाश्ता, कलेवा । २ संबल, पाथेय । ३ स्वल्पाहार । सिरपेच-पु० [सं० शिर-रा० पेच पगड़ी पा साफे पर बांधा जाने | सिरांमरणी, सिरोवणी-स्त्री. १ यात्रा में साथ लिया जाने वाला वाला भाभूषण विशेष ।
भोजन या खाद्य सामग्री। २ देखो 'सिरामण' । सिरपोस-पु० १ दीपक की लो के धूए की रोक के लिये लगाया सिरा-स्त्री० [सं. शिरा] १ रक्तवाहिनी माड़ी, धमनी, रग ।
जाने वाला टोप । २ बंदूक के ऊपर का गिलाफ । ३ शिर २ नलिका, नाली। का पावरण । -वि. १ शिरोमणि, श्रेष्ठ । २ देखो | सिराइचो, सिराईचौ-देखो 'सिरायची'। "सिरत्रांण'।
सिराई-देखो 'सराई' (ही) सिरफ-वि० [सं० सिर्फ] १ केवल, मात्र । २ एकाकी, अकेला । सिराका-स्त्री० [सं० शंका भ्रम, संदेह, शंका । सिरबद (बध)-देखो 'सरबंद, सरबंध' ।
सिराज-वि० श्रेष्ठ। सिरबंधी-पु. १ मोर्चाबंधी। २ किराये के सैनिकों का दल । | सिराजी-पु० रंग विशेष का घोड़ा। सिरमंड-पु० [सं०शिरमंड] १ बाल, केश । २ शिर का प्राभूषण । सिराणौ (बौ) देखो 'सराणो' (बो)। . सिरमणि, सिरमणी-पु. [सं. शिरमणि] १ शेषनाग । २ शिर सिरायची-पु० छोटा तंबू, खेमा।
में मरिण वाला सर्प ३ सांप, सर्प । -वि. शिरोमरिण। | सिरायत-पु. १ राजवंश का बड़ा जागीरदार । २ प्रथम श्रेणी सिरमाळ (माळा)-स्त्री० [सं० शिरमाला] मुडमाला ।
___का राजदबारी ।-वि०१ हिस्सादार, भागीदार, सहभागी।
२ देखो 'सरायत'। सिरमुगाई-स्त्री. १ शिर मूडने की क्रिया या भाव । २ मुण्डन
सिरारो-क्रि० वि० तरफ का, पोर का। संस्कार। ३ शिर मुंडवाने का पारिश्रमिक।
सिरावरण-देखो "सिरोमण"। सिरमौड़ (मौर)-पु. १ सर्वश्रेष्ठ अंग, सर्वोत्तम भाग । २ शिरो
सिरावी-देखो 'सीरावों'। भूषण, मुकुट । ३ पति, खाविट। ४ स्वामी, मालिक । -वि०१ सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम । २ प्रधान, मुख्य ।
सिरावत-पु० [सं० सिरानत] सीसा नामक बातु, रांगा। सिरलोक, सिरलोको-1 देखो 'सिलोको' । २ देखो 'स्लोक'।
| सिराह-देखो 'सराह'। सिरलो-वि० १ समान, बगबर । २ देखो "सिलो।'
सिराहणी (बो)-देखो 'सराणो' (बो)। सिरवरी-स्त्री० कहीं-कहीं दिखने वाले छोटे-छोटे बादल ।
सिराही-पु० सिंध प्रदेश की एक प्राचीन जाति , इस जाति
का व्यक्ति । सिरवाळे-क्रि०वि०मन्त में, पाखिर में।।
सिरि-१ देखो 'सिरी'। २ देखो "सिर'। । देखो 'सी'। सिरवाह-स्त्री. शिर पर किया जाने वाला प्रहार ।
४ देखो 'स्वर'। ५ देखो 'सरी'। सिरस-देखो 'रेस'।
सिरिमंड-देखो "सिरमंड' । सिरसतो-पु० सलाह, मशविरा ।
सिरिया-पु० [सं० शिरस्] शिर, मस्तक । सिरसद-वि० घायल।
सिरियाव-स्त्री० कुम्भकार जाति की एक भक्त स्त्री जो प्रहलाद सिरसव-देखो 'सरसू"।
की गुरु थी। सिरसाली-वि० बढ़िया, उत्तम ।
सिरियारी-स्त्री. प्रौषधि में काम पाने वाली एक बूटी। सिरसिज-पु० १ बाल, केश । २ देखो 'सरसिज'।
सिरियो-देखो 'मरियो। सिरसू-देखो 'सरसू'।
सिरी-स्त्री० [सं०शिरम्] १ बकरे के शिर का पोस्त । [सं०शिरिः] सिरसूत-पु० पगड़ी साफा।
२ तलवार, खड्ग । [सं० शिरः] एक प्रकार का बड़ा सिरसो-देखो 'सारीखो।
सर्प । ४ सर्प, नाग। ५ शिकार किये गये पशु का शिर । सिरस्यू-देखो 'सरसू'।
६ देखो 'स्रो' । ७ देखो 'सीरी'। ८ देखो 'सरि'। सिरहर-पु० [सं० सरोवर] १ तालाब । २ शिखर, शृंग। | सिरीकिसन-पू. श्रीकृष्ण ।
-वि०१ श्रेष्ठ, शिरोमणि, सरताज । २ समान, तुल्य । | सिरीख, सिरीखउ, सिरीखो-देखो सारीखो'। (स्त्री• सिरीबी) सिरहाणे (0)-प्रव्य. सोते समय, शिर,की तरफ ।
सिरीभरण-पु० [सं० श्रीमरण] श्रीविष्णु । सिरहाणी-पु. १ पलंग, खाट प्रादि का शिर की तरफ रहनेवाला | सिरीसाप-देखो 'स्रीसाप' ।
भाग । २ सोते समय शिर के नीचे लगाने का किया प्रादि ।| सिरीसौ-देखो 'सारीखो' ।
हे बादल । सिराही-शक्ति
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