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सिलबंद
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( ७८९ )
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सिलहबंध - वि० १ कवच, शस्त्र प्रादि धारण करने वाला योद्धा वीर २ कवच-हस्त्रादि से सुसजित व्यक्ति ।
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सिसत सिलवि० १ स्वस्थ युक्त २ कवचधारी सिम-देखो 'te'
सिलांमत, सिलांमति-१ देखो 'सलामत' । २ देखो 'सलांमति सिकीमुख, सिलीमुख- पु० [सं० शिलीमुख] १ भ्रमर, भौंरा । सिमी देवो''।
२ एक प्रकार का तीर ।
हिला स्त्री० [सं०] बिला] पाषाण, प्रस्तर बंद २ चट्टान
३ प्रस्तर पट्टिका । ४ भंग मादि घोटने की शिला ५ मैनसिल । सिलाई - स्त्री० १ सीने का कार्य । २ सीने का ढंग । ३ सिलाई सिलेटियो- पु० एक प्रकार का रंग ।
सळाव, सिलाव-०१ चाधार, साधन स्रोत २ देखो 'सळा सिलावट, सिलावटियो, सिलावटी-स्त्री० १ भवन निर्माण ब
सिळियार पु० [सं० शीलचार] युधिष्ठिर का एक नाम । सिळी स्त्री० १ बाण या भाले की नोक । २ शलाका, सलाई ।
३ शारण का पत्थर । ४ छोटा तृरण, फांस । ५ बंदूक के कान में फेरने की लोहे की कील ।
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मिळू ० ट के मुंह का एक रोम सिलूप पु० नारियल ।
सिलेटिया स्त्री० रामावत साधुनों की एक शाखा ।
की मजदूरी ।
सिलाउ, सिलाउ, सिलाक, सिलाक-स्त्री० १ बिजली, विद्युत
२ बिजलो की चमक। ३ तोप की प्रावाज । ४ शलाका, सलाई
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मिलोक-१ देखो स्लोक' २ देखो 'सिलोको' । सिलोकौ पु० एक प्रकार की पद्य बंध वचनिका । सिलोच, सिलोचय, सिलोनं पु० [सं० शिलोचय: ] पहाड़, पर्वत ।
सिलाड़- पु० १ दो पशुओंों की गर्दन एक साथ बांधने की रस्सी । २ इस प्रकार एक ही रस्सी से बंधे पशु । ३ समान जाति के पशुयों का जोड़ा । ४ युग्म, जोड़ा । सिलाड़ी थी) क्रि० १ दो पशुओं को पर्दन से परस्पर एक ही सिलोटी-स्त्री० पथरीली धौर समचौरस भूमि का मार्ग रस्सी से बांधना २ देखो 'सिला' (बौ सिळी वि० [स्त्री० सिळी) शीतल ठण्डा सिलाड़ी देखो 'हिला' । सिलाड़ीबाब० जूते बनाने वालों से लिया जाने वाला एक कर सिलाजतु, सिलाजीत पु० [सं० शिलाजतु] पहाड़ों या चट्टानों से निकलने वाला लसदार एक पौष्टिक पदार्थ, शलाजीत । सिलाट- देखो 'सिलावट' । सिलाणी (बी) - क्रि० १ ठण्डा करना । २ क्षति पूर्ति करना । ३ देखो 'सींवाणी' (बो) ।
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सिलाांन० ब्राह्मण की शालिग्राम की मूर्ति का दान सिलामयी स्त्री० एक देवी का नाम । हिसार पु० मुसलमान २ देखो 'सवारी' सिलारस-०१ पेड़ का गोंद २ देखो 'बिलाजीत' । सिलारी - पु० घोड़े की रकाब का एक भाग । सिलाल - पु० पाबू राठौड़ का एक नाम । - वि० भाला धारण करने वाला ।
सिलेहट देखो 'सिलहट' ।
सिलेहटी- देखो 'सिलहटी' ।
सिले देखो 'सिल'
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सिलौ, सिलो- पु० १ बाजरी की पकी बालें काटने के बाद दुबारा धाने वाली बालें । २ गेहूँ, चावल प्रादि की फसल काटने के बाद बिखरा रह जाने वाला अनाज ३ फसल की कटाई के बाद दुबारा फूटने वाली फसल
सिल्प स्त्री० [सं०] शिल्पम्] १ हाथ से कोई चीज बनाकर
तैयार करने की कला, दस्तकारी, कारीगरी । २ पत्थर पादि पर पढ़ाई करने की कला कला स्त्री० [स्तकला, पत्थर पर घड़ाई की कला । -- कार - पु० कारीगर, शिल्पी, पत्थर का कारीगर ।-कारी - स्त्री० शिल्पकार का कार्य, कारीगरी, पत्थर पर की गई पड़ाई ग्रह-पु० शिल्पी कार्य करने का स्थान या घर । कारखाना लिप, लिपि - पु० पत्थर या धातु पर प्रक्षर खोदने की विद्या या कला । पत्थर पर खुदी इबारत । - विद्या स्त्री० हाथ से सुन्दर वस्तुऐं बनाने की विद्या -साळा-स्त्री० शिल्पियों के काम करने का स्थान, कारखाना । —सास्त्रgo शिल्प विद्या संबंधी शास्त्र या ग्रन्थ, वास्तुशास्त्र । सिल्पप्रजापत (ति. ती ) - पु० [सं० शिल्पप्रजापति ] विश्वकर्मा का
एक नाम ।
पत्थर घड़ने का कार्य करने वाली एक जाति व इस जाति का व्यक्ति २ संगतराश, शिल्पी सिलावरणौ (बो) - १ देखो 'सिलासी' (बो)। २ देखो 'सींबाणी' (बो)। सिल्पमत- प्रव्य० कारीगरी से व्यवस्थित ढंग से । सिलासार १० [सं० शिलासार] लो
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सिलास्वेव स्त्री० [सं०] शिलाजीत । सिलाह- देखो 'सिल' सिडिया-वि०ली बेहूदा
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सिल्पयत कि० वि० [सं० स्वित्] शिल्पशास्त्र के अनुसार
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सिल्पी - पु० [सं० शिल्पिन्] शिल्पकार, कारीगर । सिलगी (बी) देखो'' (बो सिल्लह- देखो 'सिनह।