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सुकुनभेंट
( ८०२ )
सुक्लांबर
सकुनभेंट-पु. १ एक प्रकार की सरकारी भेंट । २ रस्मीतौर | सुक्र-पु० [सं० शुक्र] . अग्नि देव का एक नाम । २ भाग, पर शकुन के रूप में दी जाने वाली वस्तु या धन ।
अग्नि । ३ सौर मण्डल के नवग्रहों में से एक, शुक्रग्रह । सुकुनि, सकुनी-१ देखो 'सकुनि' । २ देखो 'सगनी'।
४ दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य । ५ सप्ताह का छठा दिन, सकुमार-वि० [सं०] १ कोमल, नाजुक । २ सुन्दर । ३ शुक्रवार । ६ नियों के ८८ ग्रहों में से बयालीसवां ग्रह ।
चिकना, स्निग्ध ।-पु. १ नाजुक लड़का या बालिका । ७ ज्येष्ठ मास का एक नाम । [सं० शुक्रम्] ८ पुरुष का २ युवा पुरुष, जवान । ३ ईख । ४ स्वामि कात्तिकेय । वीर्य, धातु । ६ किसी वस्तु का सार, तत्त्व, सत । ५ मेरु पर्वत के नीचे का वन । ६ काव्य का एक गुण । १० रस । ११ निष्कर्ष, परिणाम । [५०] १२ धन्यवाद, ७ चम्पा का वृक्ष या फूल ।
शुक्रिया। -वि० [सं० शुक्र:] १ चमकीला चमकदार । सकुमारता-स्त्री० १ सुकुमार होने का गुण, अवस्था या भाव । । २ उज्ज्वल, स्वच्छ । ३ एकाक्षी, काना । ४ श्वेत। २ कोमलता. नाजुकता ।
सुक्रकर-पु० [सं० शुक्रकर:] मज्जा। सुकुमारवन-पु० [सं०] समेरू के निकट का एक बन । सुक्रत (ति, ती)-पु० [सं० सु-कृतम्] १ दान, पुण्य, धर्म धादि सुकुमारी-स्त्री० [सं०] १ पुत्री, बेटी। २ सुन्दर कन्या, सत्कर्म, पुण्य का कार्य । [सं० सुकृत] २ परोपकार,
सुन्दर लड़की। ३ कुमारी कन्या। ४ कोमल या नाजुक भलाई। ३ इन्द्रासन। -वि० [सं० सकृत्] १ भाग्यवान् । अंगों वाली स्त्री, युवती । ५ चमेली। ६ ईख । ७ शखिनी २ धर्मात्मा, पुण्यात्मा। ३ परोपकारी। ४ दाता, दानी। नामक भौषधि । -वि. जिसके अंग-प्रत्यग कोमल हों, ५ अच्छी तरह किया या बनाया हुपा । -करम-पु. कोमलांगी।
दान, पुण्य, परोपकार मादि सत्कर्म, शुभकार्य । सकुमाल-देखो 'सुकुमार'।
सुक्रतु-पु० [सं० सुक्रतुः] १ मग्नि, भाग। २ शिव, महादेव । सकुळ-पु० [सं० सुकुल] १ उत्तम कुल, श्रेष्ठ वंश । २ अच्छा | ३ इन्द्र । ४ मित्र, वरुण, सूर्य ।
घराना, प्रतिष्ठित परिवार । ३ उत्तम जाति, उच्च वर्ण। | सुक्रत्य-पु. १ ऋषि, तपस्वी, मुनि । २ देखो 'सुक्रत' । सकुलीण, सकुळीरसौ(न)-वि० [सं० सुकुलीन] (स्त्री० सुकुलीण, | सुक्रमण-पु० दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ।
सकुळीणी) १ श्रेष्ठ कुल या उत्तम वंश में जन्मा, उच्च सक्रवार-पु० [सं० शुक्रवार] प्रत्येक सप्ताह का छठा दिन । कुम का, कुलीन । २ मच्छी नस्ल का, नस्ली।
सुक्रसिख (सिस)-पु० [सं० शुक्रशिष्य] शुक्राचार्य के शिष्य, सकुसमा-स्त्री० [सं०] स्कंद को एक मातृका।
दैत्य, असुर । सुकुसुमाकर-पु. छप्पय छंद का ६७ वा भेद ।
सुक्राम-पु० इन्द्र सकोमळ (ल)-वि० [सं० सुकोमल] १ अत्यन्त सुन्दर नाजुक, | सुक्राचारज, सुक्राचारी, सुक्राचारग्य, सुक्राचारच-पु० [सं०
मनोहर । २ मुलायम, नरम । ३ धीमा, मन्द । ४ प्रिय, ___शुक्राचार्य] भृगु ऋषि के पुत्र व दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य । मधुर।
सुक्रित, सुक्रिय-देखो 'सुक्रत'। सक्क-१ देखो 'सुक' । २ देखो 'सुक' ।
सुक्रियथ-देखो 'सुक्यारथ'। सुक्कर-१ देखो 'सक्र' । २ देखो 'सुकर' ।
सुक्रिया-पु० [अ० शुक्रिया पाभार प्रदर्शन, कृतज्ञता ज्ञापन । सुक्करवार -देखो 'सुक्रवार'।
सुक्रीड़ा-स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा का नाम । २ अच्छा सुक्किया-देखो 'स्वकीया।
· खेल। सुक्ख-देखो 'सुख'।
सक्रीत-वि० [सं० सुकीति] जिसका सुयश हो, वीर, बहादुर । सुक्खम-देखो 'सुझम'।
सुक्रोध-देखो 'सकोध' । सुक्खेरण-देखो 'सखेण'।
सुक्ल -पु० [सं० शुक्ल] १ ब्रह्मावीसी का तीसरा वर्ष । (ज्योतिष) सुक्खो-देखो 'सुख'।
२ शुक्ल पक्ष । ३ देखो 'सुकल' । सुक्त, सुक्तिज-पु० [सं० शुक्तिज] मोती । मुक्ता।
सुक्लता-स्त्री० [सं० शुक्ल-ता] १ शुक्ल होने की अवस्था या सुक्यारथ-क्रि०वि० [सं० सु-कार्यार्थ] १ किसी उत्तम कार्य के भाव । २ सफेदी, श्वेतता । ३ चमक. प्राभा । ४ उज्ज्व
लिए, सद् उद्देश्य से । -वि० २ सार्थक, सफल । ३ सद्- लता, स्वच्छता। उपयोग।
सुक्लपक्ख (पक्ष, पख)-देखो 'सुकळपख'। सुक्यारथी-वि० [सं० सु-कार्यार्थी) (स्त्री० सुक्यारथी) १ जो सक्लमास-पु० ज्योतिष के २७ योगों में से एक योग ।
सद् उद्देश्य से कोई कार्य करता हो, शुभ कार्य करने वाला। | सुक्लांग-पु० [सं० शुक्लांग] मोर, मयूर। २ सार्थक, सफल। ३ सद् उपयोग करने वाला। सुक्लांबर, सुक्लांबरा-स्त्री० [सं० शुक्लांबरा] सरस्वती, शारदा ।
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