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सुरतग्रही
(८२२ )
सुरभि
२ लहर, ऊर्मी, तरंग । ३ अत्यन्त हर्ष, प्रानन्द, भाहलाद । का नाम। ४ न्याय दर्शन के अनुसार चित्त व शरीर के छः प्रकार के सुरदेवि, सुरदेवी-स्त्री० [सं० सुरदेवी] यशोदा के गर्भ से प्रवक्लेश, भूख प्यास प्रादि। ५ पुष्प गुच्छ जो शिर पर तार लेने वाली योगमाया। धारण किया जाय। [सं० सुरत] ६ प्रच्छा खिलाड़ी। सरदोखी-पु० [सं० सुर-द्वेषिन् ] देवों का दुश्मन, दैत्य, दानव, ७ देखो 'सूरत'। ८ देखो स्रति' । ९ देखो ‘सुरति ।
राक्षस । सुरतपही-पु० [सं०] नाक ।
| सुरघरम-पु० [सं० सुर-धर्मी] बृहस्पति । सुरतजंग-पु. रतिक्रिया में होने वाला संघर्ष, रतिक्रिड़ा। सुरधि-स्त्री० १ सफाई, स्वच्छता, शुद्धि। २ शोधन, परिसुरतपाक-वि० जिसका चेहरा पवित्र व शुद्ध हो।
शोधन । सुरतरण-स्त्री० [स. सुर-तरुणी] अप्सरा।
सुरधुनी-स्त्री० [सं० सुर-ध्वनि] गंगा नदी । सुरताण (लो)-देखो 'सुलतारण' ।
सुरभ्रमरिप-पु० [सं० सुरधर्म-रिपु] दैत्य, दानव राक्षस । सुरतांणी-देखो 'सुलताणी' ।
सुरनयर-देखो 'सुग्नगर'। सुरतांत-क्रि०वि० [स० सुरत-मन्त] सम्भोग के पश्चात्, सुरनरजयकारी-पु. वह घोड़ा जिसका सब शरीर श्वेत तथा __ मैथुन के बाद।
एक कान श्याम वर्ण का हो । सुरता-स्त्री० १ चित्तवृत्ति, बुद्धि । २ प्रात्मा । ३ लगन, ध्यान । सुरनाथरथ-पु० [सं०] इन्द्र का हाथी, ऐगवत ।
४ याद, स्मृति । ५ देखो 'स्रोता'। ६ देखो 'सुरत' ।। सुरनैज-पु० [सं० सुर-नदी-ज] भीम, गार्गय । ७ देखो 'सुरति'।
सुरप, (पत, पति, पती-पु. [म०] १ देवराज इन्द्र । सुरतामोलणी-स्त्री० एक राजस्थानी लोक गीत।
२ विष्णु । ३ दुर्गा देवो। ४ टगरण के चतर्थ भेद का नाम । सुरति-स्त्री० [सं० सु+रति] १ जमकर किया जाने वाला ५ पार्वती। ६ प्रादि गुरु त्रिकल मात्रा का नाम ।
उपभोग, पच्छा भोग । २ तसल्ली, सन्तोष । ३ प्रप्सरा ७ ढंगण के द्वितीय भेद का नाम । देवांगना । ४ याद, स्मरण । ५ ध्यान, लगन । ६ चित्त | सुरपतगुरु, सुरपतिगुरु-पु० [सं० सुरपतिगुरु बृहस्पति । वृत्ति, बुद्धि। ७ पात्मा । ८ मोक्ष, मुक्ति। ९ ज्ञान । | सुरपतिचाप-पु० [सं०] इन्द्र धनुष । १० भावना। ११ शन्द, ध्वनि, स्वर । १२ परमपद, सुरपतितनय-पु० [सं०] १ इन्द्र का पुत्र जयंत । २ अर्जुन। परमधाम । १३ प्राण या प्राण वायु । १४ देखो 'सति'। सुरपतिपाट-पु० इन्द्रासन । १५ देखो 'सूरत'। १६ देखो 'सुरत'।
सरपती(ती)-देखो 'सुरपति' । सरतिगोपणा (ना)-स्त्री० [सं० सुरितगोपना] एक प्रकार की | सुरपाज, सुरपाजा-पु० बोरामचन्द, श्रीराम । नायिका ।
सुरपादप-पु० [स०] कल्पवृक्ष देववृक्ष । सुरतिवत-वि० [सं० सुरतिवत] कामातुर ।
सरपोर-पु० १ देवताओं के पूज्य । २ देखो 'सुरूपी' । सुरतो-स्त्री० १ तम्बाखू के पत्तों का चूरा । २ देखो 'सुरत'। सुरपुर-पु० [सं०] १ अमरावती, स्वर्ग, बैकुण्ठ । २ किसी
३ देखो 'सूरत'। ४ देखो 'सुरति' । ५ देखो 'सुरता'। विषय या बात की गुप्त चर्चा। जिक्र । ३ गुप्त मंत्रणा। सुरतुर-पु. सुरतरु, कल्पवृक्ष ।
४ फुसफुसाहट, अस्पष्ट पावाज । ५ भनक । ६ खबर। मुरत-१ देखो 'सूरत' । २ देखो 'सुरति' । ३ देखो 'सरत'। ७ उड़ती खबर, अफवाह। चक-चक चर्चा, बात, सुरत्य, सुरत्थी-देखो 'सुरथ' ।
जिक्र । १० विचार-विमर्श, सलाह। सुरत्रिय, सुरत्रिया, सुरत्री-स्त्री० [सं०] प्रप्सरा, परी, देवांगना। सरपुरनाय, सुरपुरनाह-पु. [सं० सुरपुरनाथ] इन्द्र । सुरष-पु० [सं०] १ पुराणानुसार स्वारोचिष मनवन्तर का एक सुरपोढ़ग्गी-बी० पाषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी।
राजा। २ राजा द्रुपद का एक पुत्र । । जनमेजय का एक | सरकांकताल-स्त्री० मृदंग की एक ताल । पुत्र । ४ एक द्वीप का एक नाम । ५ एक सूर्यवंशी राजा। सुरवांग-स्त्री० [सं० स्वर + फा० बांग] प्रजान की पावाज । ६ शस्त्रों से सज्जित सुन्दर रथ व इस रथ पर चढ़ने वाला
सरभंग-पु० [सं० स्वरमंग] १ पावाज खराब हो जाने का एक योद्धा।
रोग । २ उच्चारण में होने वाली बाधा । साहित्य में सुरयांनक-पु० १ सुमेरु पर्वत । २ देखो 'सुरयाण' ।
एक सात्विक अनुभाव । सुरवाह-पु. [सं०] देवदारू का वृक्ष ।।
सुरमख-देखो 'सुरभिक्ष'। सुग्दुभि-स्त्री० [सं०] देवतामों का नगाड़ा।
| सुरभि-स्त्री० [सं० सुरभि] १ वसंत ऋतु । २ महक, सुगंध, सुरदेव-पु० [सं०] जैनियों के भविष्यत्काल के दूसरे तीर्थ कर खशबू । ३ गो, गाय। ४ पृथ्वी, धरती। ५ शराब,
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