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सुपंख
(८१४ )
सुपियारी
सपंख-वि० १ सुन्दर तीरों वाला । २ सुन्दर परों वाला । विशेष । ६ सूर्य की किरण । ७ मुर्मा । ८ एक सूर्यवंशी -पु० प्रच्छे पंख ।
राजा ।-वि० सुन्दर पत्तों वाला। सुपंखरौ-पु० डिंगल का एक गीत (छन्द)।
सुपरणा, सुपरणी-स्त्री० [सं० सुपर्णा, सुपर्णी' १ गरुड़ की सुपथ-पु. [सं० सु-पथ] १ अच्छा रहन-सहन, अच्छा चाल- माता का नाम । २ पद्मनी । ३ कमल समूह । ४ ऐसा
चलन, पच्छा प्राचरण या व्यवहार । २ श्रेष्ठ मार्ग । तालाब जिसमें कमलों की बहुतायत हो। ३ उत्तम या प्रतिष्ठित सम्प्रदाय ।
सुपरणेय-पु० [सं० सुपर्णेय] बस। सुपेन-देखो 'स्वप्न'।
सुपरबांस (वारण)-पु० [सं० सुपर्वाण] १ देवता, सुर । सुपक-वि. जो अच्छी तरह पका हुप्रा हो।
२ बांस । ३ तीर । ४ घूम्र, धूपा । सुपक्ख, सुपक्ष-पु० [सं० सुपक्ष] १अच्छा पक्ष. दृढ़ व प्रभाव- सुपरस (न)-देखो 'स्परस' ।
शाली पक्ष । २ श्रेष्ठकुल या वश । ३ सुन्दर पंख । -वि० सुपरि (री)-वि० [स० सु-परि] १ श्रेष्ठ, उत्तम। २ बड़ी। सुन्दर पखों वाला।
-क्रि० वि० अच्छी तरह से, चतुराई से । सपखाळ, सुपखाळी-पु० श्रेष्ठ या उत्तम वंश का, कुलीन सुपरी-वि० शुभ। सुपड़कना-वि० बड़े-बड़े कानों वाला।
सुपवित्त-वि० [सं० सु-पवित्र] विशुद्ध, पवित्र । सपश्च-वि. जो पाचक हो, मासानी से पचने वाला, सुपाच्य । सुपवी-वि० दृढ मजबूत। . पु०१ सुपथ्य, पथ्य । [सं० श्वपच] २ भंगी, डोम।
सुपवीत-वि० विशुद्ध, पवित्र । सुपट्ठ-वि०१ सुपाठय, सुवाच्च । २ स्पष्ट, साफ।
सुपसाइ. सुपसाउ, सुपसाउलु सुपसाय-पु० [सं० सुप्रसाद] पूर्ण,
कृपा अनुग्रह ।-वि० अत्यन्त शुम अच्छा, ठीक । सुपरण, सुपरणो-देखो 'स्वप्न'।
सुपह, सुपहि, सुपहु-पु० [सं० सुप्रमु] १ श्रेष्ठ नप, उत्तम सपतळ, सुपत्तळ-वि० पतला, मीण । सुपतास, सुपतासव-पु. [सं० सप्ताश्व] सात घोड़ों के रथ |
राजा। २ बड़ा राजा। ३ दातार, दानवीर । ४ कोई राजा।
५ स्वामी, मालिक । ६ पति, स्वामी । ७ योद्धा, सुभट । वाला, सूर्य।
८ ईश्वर, प्रभु । ९ देखो 'सुपंथ'। . सुपतिक-पु. रात को डाला जाने वाला सका।
सुपाण-पु० [सं० सुपाणि] वरद हस्त । सुपतिठ्ठ-वि० प्रतिष्ठित, सुप्रसिद्ध ।
सुपाच्य-वि० [सं०] जो पासानी से पच जाय, पाचक, पथ्य । सपत्र-वि० १ सुन्दर पत्तों से युक्त, सुन्दर पत्तों वाला । २ सुन्दर
-पु० नरम व सुपाच्य भोजन । पंखों वाला । -पु० सुन्दर पत्ता।
सुपात सुपातर, सुपात्र-पु० [सं० सुपात्र] १ कवि । २ चारण सपत्रो-स्त्री० [सं०] एक प्रकार का पौधा, गङ्गापत्री।
कवि । ३ पच्छा पात्र, उत्तम एव सुन्दर बतंन । -वि. सुपथ-१ देखो 'सपंथ' । २ देखो 'सुपथ्य' ।
१ योग्य, सुयोग्य । २ सज्जन, भला सुपात्र *। सुपथ्य-पु० [सं०] ऐसा माहार या खाद्य पदार्थ जो स्वादिष्ट
सुपारस (सि, सी) सुपारिस--स्त्री. १ यश, कीति, प्रशंसा । सुपाच्य एवं स्वास्थ्यवर्धक हो । पथ्य ।
२ देखो सिफारिस'। सुपनंतर (रि, री)-क्रि० वि० [सं० स्वप्म-पनन्तर १ स्वप्न
| सुपारसव सुपारस्व. सुपारस्वनाथ-पु० [सं० सुपार्श्वनाथ] जैनियों के समय, स्वप्न के दौरान । २ स्वप्न के बाद, स्वप्न के * के एक तीर्थ कर विशेष । अनन्तर।
सुपारी-स्त्री० [स० सुप्रिय] १ नारियल की जाति का एक सुपन (उ)-१ देखो 'स्वप्न' । २ देखो 'सुपनक'।
वृक्ष विशेष । २ इस वृक्ष का गोलाकार छोटा फल जो सुपनक--वि० [सं०स्वप्नक] १ निद्राशील, उनिंदा । २ देखो 'सपनो।। पान में डाल कर खाया जाता है पुगीफल ।। चिकनो सपनखा-स्त्री० [सं० शूर्पणखा] रावण की बहन एक र क्षसी। सुपारी। ४ पुरुषेन्द्रिय का अग्र भाग। -वि० जिसके नाखून सूप जैसे हों।
सुपारीपाक-पु. चिकनी सुपारी व घी-शक्कर के योग से बनाया
जाने वाला एक पौष्टिक पदार्थ। सुपनू, सुपन-देखो 'स्वप्न'।
सुपालन, सुपालक-वि० [सं० सुपालक] अच्छी तरह पालनसुपने, सुपन-क्रि० वि० स्वप्न में। .
पोषण करने वाला। सुपनौ-देखो 'स्वप्न'।
सुपास-देखो 'सुपारस्वनाथ'। सुपबीत-देखो 'सुपवीत'।
सुपियार-पु. १ स्नेह, प्रेम, अनुराग । २ भादर्श प्रेम । ३ लार. सुपरकास-पु० सूर्य की रोशनी, धूप ।
दुलार । ३ देखो 'सुपियारी'। सुपरण, सुपरणक-पु. (सं० सुपर्णकः] १ गरुड़, खगराज । | सुपियारी (सुपीयारो)-वि० (स्त्री० सुपियारी) १ अत्यन्त प्रिय,
२ पक्षी । ३ विष्णु । ४ घोड़ा, अश्व । ५ एक देवयोनि | वल्लभ । २ प्रेमी, प्रियतम ।-पु० पति ।
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