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सिरीत्रप
।७८ )
सिलहपोस
सिरीत्रप-पु० [सं० सरीसृपः] १ सर्प, नाग। २ रेंगने वाला
पा] १ सप, नाग। २ रंगने वाला पौधों का अंकुरित होना। जानवर ।
| सिळगाणी (बौ), सिळगावरणौ (बौ)-क्रि० १ जलाना, प्रज्वलित सिरू, सिरू-वि० १ शीघ्र स्वाहा न होने वाला। २ पर्याप्त, करना, भस्म करना । २ धुकाना, धूए के रूप में जलाना ।
पूर्ण । ३ बरकत । ४ देखो 'सरसू'। ५ देखो 'सरू"। ३ भाग में पटकना, भाग लगाना। ४ प्रकाशमान करना, सिरे, सिर-वि. १ श्रेष्ठ, बढ़िया । २ मुख्य, प्रधान, खास । | चमकाना । ५ उत्तेजित करना, भड़काना । ६ ईर्ष्या, ___३ सिद्ध, सफल ।-क्रि० वि० पर, ऊपर, सर्वोपर ।
क्रोध प्रादि में कुढ़ाना । ७ असह्य कष्ट देना । ८ झुलसाना सिरपोत-देखो 'सरूपोत'।
१ पेड़ पौधों मादि को अंकुरित करना । सिररोकुरब-पु० जोधपुर महाराजा द्वारा अपने सामंतों को | सिलड़ी-देखो 'सिला'। दिया जाने वाला सम्मान, ताजीम ।
सिलड़ौ-पु. बड़ी शिला, चट्टान । बड़ा पत्थर । सिरैरो साट-पृ० सूभर के कान के पास से पूछ तक की गाढ़ी| सिलट-देखो 'सिलहट' । दलदार चर्बी जो पकाकर खाई जाती है।
सिळणौ (बी), सिळरणी (बी)-क्रि० छुपना । सिरोगुहा-स्त्री० [सं० शिरोगुहा] १ शिर का एक वात रोग । सिलणौ (बौ)-क्रि० मिला जाना, सिलाई किया जाना । २ सबसे ऊपर वाला कमरा, कक्ष ।
सिलता-देखो 'सरिता'। सिरोतर-वि० समान, तुल्य ।
| सिलदर, सिलधर-स्त्री० दरवाजे पर लगाई जाने वाली पत्थर सिरोधर, सिरोधरि-स्त्री० [सं० शिरोधर गला, गर्दन । | की पड़ी। सिरोबर-वि० बराबर, समान ।
सिलप-देखो 'सिल्प'। सिरोमण, सिरोमणि, सिरोमणी-वि० [स० शिरोमणि] १ सर्व- | सिलपट सिलपट्टी-स्त्री. १ रबर की, जमानी चप्पल विशेष । श्रेष्ठ, सर्व प्रमुख । २ जिसके शिर पर मरिण हो।
२ ऐड़ी की तरफ से खुली एक प्रकार की जूती । ३ रेल सिरोमणराय-पु० [सं० शिरोमरिण-राज] १ परमेश्वर, ईश्वर ।। लाइन के नीचे बिछाने का लट्ठा। ४ एक प्रकार का पत्थर २ चक्रवर्ती, सम्राट ।
जिसकी, सलेट पर लिखने की, कलम बनती है। सिरोमणि, सिरोमणी-वि० [सं० शिरोमरिण] १ सर्वश्रेष्ठ, | सिलपकर. सिलपकार-देखो 'सिल्पकार'। सर्व प्रमुख । २ जिसके शिर पर मरिण हो।
सिलपसासतरी, सिलपसास्त्री-पु. [सं. शिल्पशास्त्री] कुशल सिरोमरमा-पु० [सं० शिरोमर्मन] सूकर, सूपर ।
शिल्पकार, शिल्पकला में निपुण । सिरोमाळी-पु० [सं० शिरोमालिन् शिव, महादेव । सिलपी, सिलप्पी-देखो 'सिल्पी'। सिरोरुह, सिरोरुह-पु० [सं० शिरोरुह] १ शिर के बाल, केश। सिलल-देखो 'सलिल'। २ देखो 'सरोरुह'।
सिळवट-देखो 'सळवट'। सिरोलो, सिरोलो-वि० (स्त्री० सिरोली) साझेदारी वाला, सिलवाड़-स्त्री० रहट में लगने वाला लकड़ी का टुकड़ा, गुटका । सामूहिक ।
सिलवारणों (बो)-क्रि० सिलाई कराना, सिलाना। सिरोही-पु० १ एक अच्छी किस्म का लोह। २ इस लोह की | सिलसिलाबदी-स्त्री० कतार बदी क्रम। . बनी तलवार । ३ राजस्थान का एक कस्बा।
| सिलसिलेवार-वि० यथाक्रम. क्रमशः। सिरौ-पु.१ लम्बाई का अन्त, लम्बाई का छोर, शिरा। सिलह सिलहक्क-पु० [अ० सिलह] १ कवच, बस्तर । २ प्रम्त्र
२ ऊपर का या शीर्ष भाग । ३ नोक, प्रणी । ४ अग्रभाग। शस्त्र, हथियार । ३ युद्ध सामग्री। ५ पक्ति, कतार । ६ शुरू का भाग । ७ एक प्रकार का सिलहखांनो-पु०.१ अस्त्र-शस्त्र रखने का कक्ष, शस्त्रागार । पौधा । ८ देखो 'सिरटो' । ९ देखो 'सिरी'।
२ अस्त्र-शस्त्र। सिलंग-पु० रहट में लगने वाला एक पाटिया विशेष । सिलहट-पु. १ ईरान का बना एक मोटा व मजबूत वस्त्र सिल-देखो 'सिला'।
विशेष । २ कवच, बख्तर । ३ देखो सिलहटी' । सिळकरणो (बो)-देखो 'सळकणो' (बो)।
सिलहटी-वि० सिलहट के कपड़े का बना हुमा । सिळगणी (बी), सिळग्गरणी (बो)-क्रि० १ जलना, प्रज्वलित | सिलहडगळी-स्त्री० धड़ का कवच ।
होना, भस्म होना । २ धुकना, धूपा निकलना । ३ प्राग | सिलहदार-वि० [अ०] १ अस्त्र-शस्त्रधारी। २ योद्धा, बीर । में पड़ना, प्राग लगना । ४ प्रकाशमान होना, चमकना । | ३ शस्त्रागार का अधिकारी । ४ अस्त्र-शस्त्रों का व्यापारी। ५ उत्तेजित होना, भड़कना। ६ ईर्ष्या, क्रोध प्रादि में | सिलहपूर-वि. १ कवचधारी, बख्तरबंद । २ शस्त्रधारी। कुढ़ना । ७ असह्य वेदना होना । ८ झुलसना । ९ पेड़- सिलहपोस-वि० १ कवचधारी, बस्तरबंद । २ शस्त्रधारी।
२ ऊप'
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