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वाडी
। ५७९ )
वानर
वांडो, बाढी, बांडी, बाढी-वि० [सं०] १ अविवाहित । वाणी, वाणी-स्त्री० [सं० वाणी] . सरस्वती, शारदा । २ मुह
२ रंडुपा, विधुर । ३ मूर्ख, मूढ़ । बेवकूफ ।-पु०१ अविवा. से उच्चारित शब्द, मावाज, भाषा। ३ निश्चित पर्थ बोधक हित व्यक्ति । २ एकाकी व्यक्ति।
शब्द, वचन वाक्य, भाषा । ४ वाक शक्ति । ५ स्वर, ध्वनि, बांण वारण-स्त्री० [सं० वाणि] १ बनावट, रचना । २ मूर्ति । नाद। ६ जिह्वा, जीभ । ७ बोली, बोलने की क्रिया ।
३पादत, स्वभाव ।-पु०१ पंडित, कवि । २ सिंह, शेर । ५ योग के अनुसार चार प्रकार की वाणियों में से एक । ३ बुनावट में काम पाने वाली रस्सी। [सं० यान] ४ गाड़ी। ९ संत-महात्माओं द्वारा लोकोपदेश के लिये रचे गये छन्द ५ विमान, वायुयान । ६ एक प्रकार का वातरोग । या पद्यों का संग्रह। १० निर्गुण भक्ति का कोई पद । ७ मादा पशुमों के ऋतुमति होकर गर्भ धारण की ११ साहित्यिक निबंध । १२ एक छंद। १३ केवट, नाविक । अवस्था । ८ देखो 'वाणी' । ९ देखो 'बांग'।
१४ प्रशंसा । १५ ध्रुपद की चार वाणियों में से कोई एक । बांणक, वारणक, वांणक, वारणक-स्त्री० [सं० वाणि] कांति, | वाणीमड-पु० [सं० वाणीमण्ड] दांत ।
शोभा, दीप्ति । २ सौन्दयं, रूप। ३ सूरत, शक्ल । वाणीरणजोधार-पु. पंडित, विद्वान, कवि । ४ प्राकृति, बनावट । ५ सजावट, ठाट-बाट । ६ रग-ढग । | वारणोतरी-पु० बनिक समाज ।
७ ढंग, प्रकार । ८ एक वर्ण वृत्त विशेष । ९ देखो 'वरणमत'। | वाणी, वाणी-पू० [सं० वाहन] १ पानी लाने के लिये गाड़ी पर वाणरण, वारणरणी-देखो 'वणियांणी' ।
रखे गये जल-पात्रों का समूह । २ उक्त प्रकार से पानी खाने वारणप्रस्थ-देखो 'वानप्रस्थ'।
का कार्य। वाणरस-देखो 'वाराणसी'।
वाण्यो, बायो-देखो 'वणिक' । बांणवहरण-पु. १ नाव, जहाज । २ एक प्रकार का देवी प्रकोप ।
वांति-स्त्री० [सं० वांतिः] १ वमन, के । २ उगाल । बांरगाहो-स्त्री० [सं० उपानह] जूती, पगरखी।
वांती-पु० मन्तर, फर्क। वांग्गा-देखो 'वाणी'।
बांय-देखो 'बाथ'। बाणारसी-देखो 'वाराणसी' ।
बांद, बांद-१ देखो 'बांदी' । २ देखो 'बांद'। वाणाळ-१ देखो 'बांण' । २ देखो 'बांणावळी' ।
वांदरणी (बो)-देखो 'बांदणी' (बी)। वारणावळी-पु० रथ।
वांवर, वांदर-देखो वानर'। बारिण-देखो 'वाणी'।
वांदरपगौ-पु. वह बल जिसके पिछले पैर के टखने जमीन पर बाणिक-१ देखो 'वारणक' । २ देखो 'वणिक' ।
टिकते हों। बांरिगज, वारिणत-1 देखो 'वाणिज्य' । २ देखो 'वरिणक' ।
वांदरमाळ, बांदरमाल-देखो 'बांदरमाळ' । वाणिज्य-पु० [सं० वाणिज्य] १ वस्तुओं का क्रय-विक्रय, व्यापार,
र, बांदरी, वांदरी-स्त्री० [देश॰] मोट की रस्सी में लगने वाला व्यवसाय । २ लेन-देन ।
लकड़ी का उपकरण। वाणिनी-स्त्री० [सं० वाणिनी] १ चालाक स्त्री, धृतं स्त्री,
| बांदरी, वांदरी-देखो 'वानर' । (स्त्री० वादरी) छिनाल । २ स्वेच्छाचारिणी व व्यभिचारिणी स्त्री।
बांदी-देखो 'बांदी'। ३ नतंकी, पभिनेत्री। ४ दूती । ५ मदोन्मत्त स्त्री। ६ एक
वांधण (बो)-देखो 'बांधणो' (बो)। वर्ग वृत्त विशेष । वाणिया-कूटावरिणयौ-पु. लुब्धक नामक तारा ।
वांन-पु० १ यश, कीति, शोभा । २ हौसला, साइस, जोश । वाणिया-रो-देवळ-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक उद्भिज
३ उत्साह, उमंग । ४ इज्जत, प्रतिष्ठा। ५ तेज, दीप्ति पदार्थ, 'लांको मूळो'।
कांति । ६ वचन । ७ स्वाद, जायका । ८ सम्पन्नता सूचक
प्रत्यय । ९ देखो 'बांद'। बारिणयावटी, बारिणयावाटी-स्त्री० [सं० वणिक-वृत्ति |
१ महाजनी गणित, देशी व्यापारियों द्वारा काम में ली जाने | वनइत-देखो 'बांनत'। वाली एक प्रकार की गणित विद्या। २ नियों की बही में | वानक-देखो 'वारणक' । लिखी जाने वाली लिपि विशेष । ३अनिये का कर्म ।-वि० | वानकी-देखो 'बानगी'। १ बनिये की, बनिक संबंधी । २ महाजनी।
वानप्रस्थ-पु० [सं० वानप्रस्थ जीवन की तीसरी अवस्था, वारिणयो-देखो 'वणिक'।
___ गृहस्थाश्वम के बाद की अवस्था । बा' वी-देखो 'वाहणी'।
| वानर-पु० [सं० वानर] १ मनुष्य से मिलता-जुलता एक प्राणी,
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