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सतंग
( ७०६ )
सतद्र
सतंग-पु. शरीर के सात अग ।
सतक-पु० [सं० शतक] १ सौ का समूह । शतक । २ शताब्दी। सत-पु० [सं० सत्] १ ब्रह्मा, विरंचि । २ सत्य । ३ सतीत्व, | ३ सौ छंदों का समूह या रचना ।
पातिव्रत्य । ४ सतीत्त्व का जोश, उमंग या बल । ५ सती | सतकार-देखो 'सत्कार' । होने की क्रिया । ६ वात्सल्य, स्नेह । ७ उदारता, सतकारणौ (बो)-क्रि० [सं० सत्कारणम] १ मादर करना । दयालुता। ८ चरित्रबल । ६ धैर्य, साहस, हिम्मत। २ स्वीकार करना, मंजूर करना। ३ अगवानी करना, १० सार, तत्त्व । ११ नदी। १२ धर्म। १३ सतयुग । सत्कार करना । १४ मार्ग, रास्ता । १५ सात्त्विक भाव । १६ प्रकृति का | सतकुभ-पू० [सं० शतकुम्भम्] १ स्वर्ण, सोना । २ एक पर्वत सर्वोच्च गुण, सतोगुण । १७ शक्ति, बल । १८ पर ब्रह्म। विशेष जहां मोना पाया जाता है। १६ संवत् । २० शौर्य, पराक्रम । २१ बीरता । २२ धर्मात्मा , सतकेतु-पु० [सं० शतक्रतु] देवराज इन्द्र । पुरुष । -वि० १ ठीक, सही, उचित । २ दृढ़ अटल । सतकेमर-पु० [स० शत-केसर] शाकद्वीप के एक पर्वत का नाम । ३ सज्जन, साधु, पुण्यात्मा । ४ विद्यमान, उपस्थित । | सतक्रत-पु० [सं० सत्कृतम्, शतक्रतुः] १ शिव, महादेव । २ धर्म, ५ असल, मूल, वास्तविक । ६ प्रतिष्ठित, सम्मानित । पुण्य । ३ उत्तम कार्य । ४ इन्द्र । ५ ध्वजा, पताका ।-वि० ७ सन्दर, मनोहर । ८ श्रेष्ठ, उत्तम । ९ प्रमिट, स्थाई। सम्मानित सत्कारित । १० विद्वान, पंडित । ११ बुद्धिमान, चतुर। १२ धैर्यवान । | सततचहन-स्त्री० ध्वजा, पताका । १३ स्थिर, अचल, स्थाई। १४ पवित्र, शुद्ध । [सं० शत्] | सतऋति, सतक्रती-पु० १ ऋषि, मुनि। २ यम, धर्मराज । १५ सौ। [सं० सप्त] १६ सप्त, सात । १७ संख्या से | | ३ देखो 'सतऋत'। बड़ा, अधिक। १८ देखो 'सत्य' । १९ देखो 'सत्रु' । सतऋतु-पु० [सं० शत-क्रतुः] १ इन्द्र । २ सौ अश्वमेध यज्ञ -अंगो-वि० सौ या मात अंगों वाला ।-पु० रथ ।-करम । करने वाला। -पु.पुण्य कार्य श्रेष्ठ कार्य। -करमी-वि० श्रेष्ठ कार्य करने | सतक्रित-देखो 'सतक्रत'। . वाला। -कोट, कोटि, कोटी-पु० सौ करोड़ की संख्या । | मतक्रिया-स्त्री० [सं०] १ पुण्य या धर्म का कार्य। २ सम्मान बन्द का च। -वि.मौ करोड। सौ धार वाला करने की क्रिया। ३ नमस्कार, प्रणाम। ४ अन्त्येष्टि - खंड-पु. सौ खण्ड । साल खण्ड । स्वर्ग, वैकुण्ठ । स्वर्ण क्रिया : ५ प्रायश्चित । निमित कोई वस्तु । -खंडियो. खंडो-वि० सात खण्ड या | सतगुर, सतगुरु-पु० [स० सत्-गुरु] १ सच्चे व श्रेष्ठ गुरु । मंजिल वाला। -खरिणयौ, खणी-वि. सात भाग या २ ईश्वर, परमात्मा। मजिल वाला। -गु-वि० सौ गायें रखने वाला ।-गुणो सतजुग-पु० [सं० सत्ययुग] १ पुराण के अनुसार चार युगों -वि० सौ गुना । सात गुना ।—जिन्ह, जिव्हा, जिह, जिहा में से प्रथम युग जो १७२८००० वर्ष का माना गया है। -पु० शिव, महादेव । -स्त्री० भाग, अग्नि । तत्री-पु. २ श्वेत, सफेद*। सौ तारों की वीणा। -दळ-पु० कमल । -धरम-पु० | सतजुगी-वि० [सं० सत-युगी] १ सतयुग का, सतयुन संबधी । स्वामिभक्ति। -धारी-वि० वीर, बहादुर । शक्तिशाली। | २ सज्जन, भला। उदार, दातार । सत्य का पालन करने वाला । सच्चरित, | सतगधय-पु० [सं० स्तनधय] दूध पीता बच्चा। सुशील । सत्ताधारी । -पु० इन्द्र - पण, पणी-पु० | सतत-पु० [सं०] कुशल क्षेम ।-क्रि० वि० १ सदा, हमेशा, सतीत्त्व, सत्यव्रत। -पत, पत्र, पत्रक-पु० कमल । -पथ | सदैव । २ निरन्तर । ३ अविच्छिन्न, अट । - ज्वर-१० अच्छा मागं, अच्छा प्राचरण । उत्तम सम्प्रदाय । -पद निरन्तर रहने वाला ज्वर । -पु० कनखजूरा, चिउंटी । -वि० सौ या सात पावों सततगति-स्त्री० [सं०] हवा, पवन । वाला । -पुतर, पुत्र-पु० सपूत, सुपात्र संतान । सततरूप-पु० स्वभाव, पादत ।
-पुरस, पुरुस-पु० साधु या सज्जन पुरुष, सभ्य पुरुष । सततारका-स्त्री० [सं० शत-तारका] १ सोम की सताईश श्रेष्ठ चरित्रवाला व्यक्ति। --मंजळी, मंजळी-पु. सात पत्नियों में से एक । २ सताईश नक्षत्रों में से चौबीसवां मंजिल का भवन । -मायो, मासियो, माहियो-पु० सात नक्षत्र। मास गर्भ में रह कर जन्मा शिशु । --वाची, वादि, बादी सततो-वि. तेज, शीघ्रगामी ।
-वि० सत्य बोलने वाला, सत्य वक्ता । -पु० युधिष्ठिर। सतदेव-पु० [सं० सत्यदेव) सूर्य, सूरज । सतअंगो-पु० [सं० शत-अंग] १ रथ । २ युद्ध का रथ। सतद्र-स्त्री० [सं० शतद्र] १ सतलज नदी का नाम । २ गंगा सतपक्षी-स्त्री० [सं० शताक्षी] १ देवी, दुर्गा । २ रात, रात्रि।। नदी का एक नाम ।
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