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समाळक
( ७४६ )
ससक
सवाळक, सवालख, सवाळख-पु० १ चौहानों के शासनाधीन | सवेगो-वि० (स्त्री० सवेगी) १ जल्दी. शीध्र । २ तेज गति या
रहने वाले प्रदेश का नाम । (प्राचीन) २ नागौर प्रदेश। स्फूर्ती वाला 1-क्रि० वि० शीघ्रता से, जल्दी से । ३ सवालाख की सख्या।
सवेध-देखो 'सुवेध'। सवाळख-पट्टी-स्त्री० [सं०सपाद लक्ष पाटक] १ प्राचीनकाल का | सवेर, सवेर-प्रव्य० प्रातःकाल, सवेरे।
प्रसिद्ध चौहान राज्य । २ अर्वाचीन नागौर प्रदेश । सवेरियां-क्रि० वि० १ ठीक समय पर, यथासमय । २ प्रात:सवालाख, सबालाख-देखो 'सवालख' ।
काल या सवेरे ही। . सवावड़-देखो 'सुवाबड'।
| सवेरी-स्त्री० [सं० स्वयं वता] अपने पति को छोड़कर अन्य सवास-वि०१ शिर से पांव तक, शिरोपाव । २ सुवास । - पुरुष के साथ जाने वाली स्त्री। सवासक-पु० एक छन्द विशेष ।
सवेरै-क्रि० वि०१प्रातः काल । २ देखो 'सवार'। सवासण (न)-पु० [स. शवासन] योग के चौरासी भासनों में | मरोग-a
सवेरोराग-पु० [सं०सवीरोराग] सिंधु राग। __से एक।
सवेरौ-पु० १ प्रात:काल, सवेरा। २ उषाकाल । सवासरणी-स्त्री० [सं० स्व-वासिनी] १ किसी परिवार में बहन, | सवेळा-कि० वि० ठीक समय पर, . उचित समय पर । पुत्री, बूमा, भतीजी, भाणजी पादि के रूप में मानी जाने |
सवेळू (को)-वि० (स्त्री० सवेळी) १ यथा समय पाने वाला। वाली कन्या, स्त्री, युवती। २ दश-ग्यारह वर्ष की कुमारी
२ देखो 'सवेरौं'। कन्या । ३ पुत्री, बेटो। ४ दोहित्री, नवासी।
सवेव-क्रि० वि० तेजी से, वेग से । सवासरणी-पु० बहन, बेटी, बूमा, भतीजी प्रादि का पति या पुत्र ।
सर्व-देखो 'सब'। सवासौ-वि० एक सौ व पच्चीस के बराबर ।-पु. एक सौ
'| सर्वइयो, सवैयौ-पु. १ एक छन्द विशेष। २ डिगल का एक पच्चीस का अंक या संख्या।।
गीत । ३ पिंगल का एक वर्णवृत्त । ४ गणित में सवा का सवि-१ देखो 'सब'। २ देखो 'सव' ।
पहाड़ा। सविकल्प-पु० १ एक प्रकार की समाधि । २ ज्ञाता और ज्ञेय के भेद का ज्ञान ।-वि०१ऐच्छिक, पसंद का । २ संदिग्ध । |
सबोळी-वि० श्रेष्ठ, उत्तम । ३ वैकल्पिक ।
सव्य-वि० [सं०] १ बायां, वाम । २ प्रतिकूल, उल्टा। सविकार-वि० [सं० स-विकार] विकार सहित, दोष पूर्ण। ।
. ३ दक्षिण का, दक्षिणी ।-पु. १ भगवान विष्णु । सविचार-वि० विचार युक्त, विचार सहित। ..
२ यज्ञोपवीत । ३ ग्रहण के दश ग्रासों में से एक । सवित-देखो 'सविता'।
सव्यचारी, सव्यसाची-पु० [सं०] अर्जुन का एक नाम । सविता, सविताब, सवित्ता-पु० [सं० सवित] १ सूर्य, सूरज ।
| सव्याज-वि० [सं०] चालाक, धूर्त । २ एक मादित्य । ३ पिता । ४ भगवान विष्णु । ५ बारह | सव्यासव्य-वि० दायें-बायें। को संख्या: ।-वि० उत्पन्न करने वाला।-पुत, पुतर, पुत्र,
सव्येस्ट-पु० [सं० सव्येष्ट] सारथी। सुत-पृ० सूर्य पुत्र शनि, यम, कर्ण।
सम्व-देखो 'सरव'। सवित्रि, सवित्री-स्त्री० [सं० सवित्री] १ मा, माता । २ गो,
सम्वरिय, सटवरी-देखो 'सरवरी' । गाय ।-पु० [सं० सवित] ३ सूर्य, सूरज । ४ शिव, महादेव। ससंक-पु. रोग, बीमारी। -वि० [सं० सशंक] १ भयकारी। ५ इन्द्रदेव। ६ प्रक, मदार ।
भयावह, डरावना । २ देखो 'ससांक'. सविध-वि० [सं०] १ पास, समीप । २ एक जैसा, समान। ससंकणी (बो)-क्रि० शंकित होना, भयभीत होना, डरना। सविमास-पु० [सं०] सूर्य , सूरज ।
| सस, ससउ-पु० [सं० शशः] १ खरगोश। २ कामशास्त्र के सवियोड़ी-वि० जिसने बच्चे को जन्म दिया हो।
अनुमार मनुष्य के चार भेदों में से एक। ३ कुशल क्षेम । सविवार, सविवारु (रू)-क्रि० वि० [सं० सर्व+वार] हर दिन, ४ चन्द्रकलंक । ५ लोध्र वृक्ष। ६ गन्ध रस । ७ छः की हर समय।
संख्या, ६ । -वि.१ अनुकूल, पक्षधर । २ छः। ३ देखो सविस्तर, सविस्तार-क्रि० वि० [सं० सविस्तार विस्तार पूर्वक 'सस्य'। ४ देखो 'ससि'। ५ देखो 'सोसौ'। ६ देखो
विस्तार से। सविहुं-अव्य० [सं० सर्वतस्] १ सब भोर से, सब तरफ से। ससइ-स्त्री० [सं० श्वसिति १ श्वास लेने की क्रिया या भाव । २ सर्वत्र, चागे मोर । ३ सम्पूर्णतः ।
२ माह भरने की क्रिया। सपोर-देखो 'वीर'।
ससक-पु० [सं० शशक] खरगोश ।
शित
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