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साखइत
सागरवासी
[सं० शाखा] १४ वंश, गौत्र, शाखा । १५ द्वार के कपाटों| घोड़ा, प्रश्व । में लगाई जाने वाली सीधी लकड़ी। १६ एक साल की साखोचार, साखोचारन, साखोच्चार, साखोच्चारन-पृ० [स. पायु वाला बैल । १७ बड़ी जलधारा की शाखा। १८ अग्नि शाखोच्चार) १ विवाहादि मांगलिक कार्य करते समय शिखा । १९ घोड़े के चारजामे का एक भाग । २० प्रमाण, | वंश, गोत्रादि का उच्चारण । २ वंश के नाम का ताना या सबूत । २१ देखो 'साखा'।
तारीफ। साखइत-वि० उच्च कुल का, कुलीन ।
साखोट-पु. एक प्रकार का वृक्ष । साखड़ी-देखो 'साख'।
साख्यात-देखो 'साक्षात'। साखरणी (बी)-क्रि०१ साक्षी देना, गवाही देना । २ प्रमाण या | साग-पु० [स०शाक] १ कोई पोधा विशेष व उसके पत्ते, कद मूल
सबूत देना । ३ शिक्षा या उपदेश देना। ४ नाता-रिश्ता या फल प्रादि की सब्जी, शाक । २ नमक, मिचं, मसाले के करना । ।
साथ पकाया हुमा दाल, कड़ी प्रादि पदार्थ । ३ सागवान साखत, साखति, साखती-स्त्री. १ घोड़े का चारजामा व
का पेड़ । ४ एक देव वृक्ष । उसकी सजावट की सामग्री। २ सजावट। ३ पूर्ण सजा सागउटो-पु० कुटिया या मण्डप बनाने वाला व्यक्ति । हुमा घोड़ा। ४ चाबुक । ५ शिष्य या अनुयायी वर्ग ।
सागड़द-देखो 'सागिरद'। -वि०१ सजावट युक्त। २ बढ़िया, बहुमूल्य ।
सागडदपसौ-देखो 'सागिरदपंसो' । साखदार-वि० [फा० शाखदार] १ जिसकी अनेक शाखायें हों। सागड़ी-पु० [सं० शाकटिक] १ हल, गाड़ो, रथ पादि हाँकने २ साक्षी, गवाह । ३ श्रेष्ठ वंश का।
वाला, गाड़ीवान । २ कृषक के पास कृषि कार्य करने वाला साखर-देखो 'साक्षर'।
· नौकर । ३ पति, स्वामी। (किसान) साखसिणगार-पु. वंश में श्रेष्ठ, कुल में श्रेष्ठ ।
सागड़ी-पु० एक ही फाल वाला हल । साखसीर-पु. रिश्ता, संबंध।
सागरण-वि० १ वास्तविक, असली । २ वही । ३ पंच भौतिक । साखा-स्त्री० [सं० शाखा] १ वृक्ष की टहनी, डाल-डाली। ४ अपरिवर्तनीय । ५ ऊपर वणित, उक्त। -क्रि०वि०
२ बाह, बाजू । ३ विभाग। ४ हाथ-पर। ५ हाय-परों को एक ही। अंगुलियां। ६ वंश, कुल । ७ वट वृक्ष की झखड़ा, जड़, सागर-पु० सं० सागरः] १ समुद्र, सरोवर । २ झील, जलाशाखा, शिफा । ८ किसी मूल वस्तु से निकले हुए हिस्से, |
शय । ३ एक प्रकार का मग। ४ दशनामी संन्यासियों की ग्रंश । ६ सम्प्रदाय, एक ही धर्मावलंबियों का वर्ग। . एक शाखा व इसका व्यक्ति । ५ प्रतीतकाल के तृतीय साखात-देखो 'साक्षात'।।
तीर्थ कर का नाम । ६ डिंगल का एक गीत, छन्द विशेष । साखाम्रग (म्रिग)-पु० [सं० शाखामग] बंदर, वानर ।
७ चार की संख्या*। सात की संख्या*। ९ देखो सायावत-पु० [सं० शाखावत] एक प्रकार का वात रोग । 'सागरी' । १० देखो 'सागरोपम'। साखि, साखिइं-१ देखो 'साक्षी' । २ देखो 'साख' ।
सागरबेर-देखो 'सागरांवरा'। साखिआत, साखियात-१ देखो 'साक्षात' । २ देखो साक्षी' सागरगामिण (गामिणी, गांमिन, गांमिनी)-स्त्री० [सं० सागरसाखित-देखो साखत'।
गामिनी] १ गंगा नदी । २ नदी, सरिता । साखिया-देखो 'साक्षा'।
सागरगा-स्त्री० १ गंगा नदी । २ नदी, सरिता । साखियो-५ देखो 'स्वस्तिक' । २ देखो 'साक्षी' ।
सागरव-देखो 'सागिरद'। साखी-पु० [सं० शाखिन] १ वृक्ष, पेड़। २ वेद । -स्त्री० सागरनीमी (नेमि, नेमी)-स्त्री० [स० सागरनेमि] धरती,
३ संतों द्वारा रचित भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का कोई पद या| पृथ्वी ।। छन्द । -वि. १ शाखाघों सहित । २ शाखा से संबंधी।
| सागरमति (मती)-स्त्री० [सं० सागरमती] लूनी नदी का ३ देखो 'साक्षी'।
एक नाम। साखीचर-पु० [सं० शाखिन्-चर] बन्दर, वानर ।
सागरमुदरा (मुद्रा)-स्त्री० [सं० सागरमुद्रा] ध्यान या पारासाखीजणी (बो)-क्रि० गाय का गर्भवती होना ।
धना करते समय धारण करने की एक मुद्रा । साखीणी-पु. (स्त्री० साखीणी] सम्बन्धी, रिश्तेदार । सागरमेखळा-स्त्री० [सं० सागरमेखला] भूमि, पृथ्वी। साखीय-वि० [स० शाखीय] शाखा का शाखा संबंधी। सागरवासी-वि० [सं० सागरवासिन्] समुद्र तट पर या समुद्र साखीव्रख साखीवखी-पु. [सं० शाखीवृक्ष] वट वृक्ष ।
में रहने वाला। -पु. १ भगवान् विष्णु। २ जलचर । साखेत, साखेतो, साखंतो-वि० कुलीन, श्रेष्ठवंश का। -पु० | ३ वरुणदेव ।
मा
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