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सांकळु
( ७५३ )
सात
का पाभूषण विशेष ! ४ शृखलानुमा कोई भी पाभूषण । सांगळणी (बी)-क्रि० [सं० साकल्यम्] १ जख्म भरना, ठीक ५ स्त्रियों द्वारा कात्तिक मास में किया जाने वाला व्रत | होना। २ कूए में पानी पाना । ३ प्राय होना । विशेष । [सं. संकलिका] ६ सग्रह । ७ जोड़, योग । ८ देखो | संगवरणो-देखो 'सांगणो'। साकळी । [सं० शकुलि] ९ खाद्य पदार्थ विशेष । १० देखो | सांगवी-पु० रथ, तांगे आदि पर रखे मसनद की रोक के लिये 'सांकळ' । १५ देखो साकळी' ।
लगाया जाने वाला उपकरण । साकळू, सांकळी (तु, लौ) सांकल्यौ-पु. १ पैरों में पहनने का | सांगि, सांगी-वि०१ स्वांग लाने वाला, स्वांगी। २ ढोंगी, प्राभूषण विशेष । २ गले का प्राभूषण विशेष ।
पाखण्डी। ३ बैलगाड़ी मादि में लगने पाला छींका विशेष । सांकोचर-पु. विषपान करने वाला, शिव ।
४ गाडीवान के बैठने का स्थान । ५ देखो 'सांग' । सांकुड़णों (बी)-देखो 'संकुड़णी' (बी)।
| सांगीत-देखो 'संगीत'। सांकुल्यो, सांकुल्यो, सांकूल्यो, सांकूल्यो-१ देखो 'संख' । २ देखो | सांगीयाई-स्त्री. १ मावड़ देवी का एक नाम । २ प्रावड़ देवी 'सखियो।
की, छः बहनें व एक भाई सहित, धातु पत्र पर बनी मूर्ति । सांकेळी, सांकेलो-स्त्री. १ सिरोही की बनी, एक प्रकार की
सांगुस्ट (स्ठ)-पु. [स० सांगुष्ठ] अगूठे सहित हाथ का पंजा। तलवार । २ देखो 'संकेळो' । सांको-देखो 'संको'।
सांगुणी-१ देखो 'सांगणो'। २ देखो 'सांधणो'। सांखड़, साखडी-वि० [सं० संस्कृति] परिमाजित, साफ, शुद्ध ।
सांगेळ, सांवेळो-पु० [सं० साकल्यम्] बाहुल्य, अधिकता।
सांगोपांग-वि० [सं० साङ्गोपाङ्ग] १ समस्त अंगों सहित, पूर्ण, सांखहड़ी-पु० चौहटा। . सांखिक-वि० [सं० शांखिक] १ शंख संबंधी। २ शंख का बना |
पूरा । २ सुन्दर, मनोहर । ३ उत्तम, श्रेष्ठ। ४ भीड़हुधा । ३ शख बजाने वाला । ४ शख बेचने वाला।
भड़ाके सहित ।
| सांगो-देखो 'सागौं'। सांखूल्यो सांखूल्यो-१ देखो 'सख' । २ देखो 'संखियो। सांखो-पु० चारपाई की बुनावट का एक भाग। .
सांधणी-देखो 'सांगणी'।
| सांघरणी-वि० [सं० सघन] (स्त्री० सांधणी) १ घना, गहरा, सांख्य-पु० [सं०] १ महर्षि कपिल द्वारा रचित दर्शन का एक | ग्रंथ । २ संख्याएँ प्रादि गिनने की क्रिया ।-वि० १ संख्याओं
सघन । २ समीप, पास । ३ प्रधिक, ज्यादा । ४ एक साथ, से संबंधित । २ शंख का, शंख सम्बन्धी।
इकट्ठा । ५ जबरदस्त, जोरदार ।-क्रि० वि०६ सादर,
ससम्मान । ७ देखो 'सांगणी'। सांख्यजोग (योग)-पु० [सं० सांख्ययोग] शुद्ध चित्त एव सच्चे त्याग से ग्रहण किया जाने वाला योग, दशन ।
साधुलो-१ देखो 'सांघणों'। २ देखो 'सांगणों'। सांग-वि० [सं०] १ अंगों वाला, अवयव सहित । २ परिपूर्ण । |
सांच-देखो 'सत्य'। -पु० [सं० शक्ति) १ भाले से मिलता-जुलता एक शस्त्र,
सांचझूठकर, सांचमूठकर-पु० व्यापार, वाणिज्य । शक्ति। २ एक प्रकार का भाला । ३ लोहे की मोटी छड़
सांचरणी (बी)-क्रि० १ सांचा बनाना। २ सांचे में ढालना। जो भार उठाने में काम आती है। ४ एक प्रकार का
. ३ देखो 'संचणो' (बो)।
सांचियो-पु० १ संचा बनाने वाला कारीगर । २ सांचे में वस्तुएँ शस्त्र । ५ देखो 'स्वांग' । ६ देखो 'सांगडो'।
ढालने वाला। सांगड़ी-स्त्री० १ बड़े पत्थर या पट्टियां उठाने वाले मजदूरों का
सांचिली, सांचेलो-देखो 'साची' । (स्त्री० सांचेली) मोटा डंडा, बल्ली। २ लोहे के बड़े खम्भों को खड़ा करने
सांचोट-स्त्री० सच्चाई, सत्यता । में काम पाने वाला एक निसंडीनुमा उपकरण ।
सांचौ-१ देखो 'साची' । २ देखो 'संचो' । सांगड़ी-पु० १ बैलगाड़ी या शकट पादि को चक्कों सहित अधर सठाये रखने के लिये लगाया जाने वाला मोटा डंडा
सांज, सांजड़ली-देखो 'संध्या'।
सांज उ-वि० संयत । (देशी जैक)। २ देखो 'सांग'।
सांजणी-स्त्री० [सं० सांग्रही] दूध देने वाली गाय या मैस जो सांगणी-स्त्री० तिलहन के पौधों की फली या डोडी।
बिना दूही रह जाय। सांगणी-पु०१ शकुन के लिये दाहिनी पोर बोलने या दिखाई
देने वाला पशु या पक्षी। २ दाहिना । ३ देखो सांघणो' ।। सांजत, सांजति, सांजती-देखो 'साजत' । सांगतिक-वि०१ संगति का, संगति सबंधी। २ सामाजिक । | सांजवरण-स्त्री० [सं० संयवन] १ परिवार, कुटुम्ब । २ रसोईघर । ३ अजनबी।४ प्रतिथि, मेहमान ।
सांझ, सांडली, सांझड़ी-देखो 'संध्या'। सांगर-पु० १ शमी वृक्ष । २ देखो 'सांगरी'।
सांझनट-पु० [सं० सध्यानटी] शिव, महादेव । सांगरी-स्त्री० शमी वृक्ष की फली।
सांशि, सांझी-स्त्री. १ विवाह के समय संध्या को गाये जाने
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