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सपरिण
( ७१९ )
सपूनी
सपरिण (णी), सपरिण (रणी)-स्त्री० [सं० सर्पिणी] १ नागिन, | सपरसन-पु० [सं० स्पर्शन:] वायु. हवा । __ मादा सर्प । २ पीठ या गर्दन पर होने वाली रोमावलो। | सपरसमरिण-स्त्री० [सं० स्पर्श-मणि] पारस पत्थर । सपरणो-देखो 'सपनौ'।
सपरस्स-देखो 'स्परस'। सफ्तंग-पु० १ राज्य के सात अंग । २ इज्जत, प्रतिष्ठा । सपरांणी-स्त्री० [सं० स्पर्शनम्] लेपन । ३ कीति, यश ।
सपरोण (णो)-वि० [सं० सप्रारप-क] वीर, योद्धा । सपत-१ देखो 'सप्त' । २ देखो 'सपथ' । ३ देखो 'सपदी'। सपरि-बि०१ शुभ मांगलिक । २ देखो 'सिपर'। सपततंतू-देखो 'सप्ततंतु'।
सपलांरिणयो, सपलायो-वि० चारजामा या पलारण कसा हुप्रा । सपततुरंग-देखो 'सप्तास्व'।
सपलारणो (बी), सपलावणो (बो)-क्रि० [सं० सप्लावनम्] सपतदीप-देखो 'सप्तदीप' ।
१ स्नान करना, नहाना । २ देखो 'संपड़ाणी' (बौ)। सपतन-पु० [सं० सपत्नः] शत्रु ।
सपळोटियो-पु० १ छोटा सर्प । २ सर्प का बच्चा। सपतम-देखो 'सप्तम'।
सपसप-स्त्री० १ गुपचुप, कानाफूसी । २ चलने से होने वाली सपतमी (म्मी)-देखो 'सप्तमी'।
वनि बिशेष । सपतमो (म्मों)-वि० (स्त्री० सपतमी) छः के बाद वाला, | सपस्ट-वि० [सं० स्पष्ट] १ बिल्कुल स्पष्ट, साफ । २ साफ सातवां ।
__ दिखने वाला। ३ प्रयट । सपतरिख (रिखि, रिखी, रिसी)-देखो 'सप्तरिसी' ।
सपारण (गो)-वि. १ प्राणवान । २ सबल, शक्तिशाली। सपतवौं-देखो 'सपतमौं'।
सपाक-क्रि०वि० जल्दी से, शीघ्र ही। -स्त्री. तीव्र प्रहार की सपतसपती-पु० [सं० सप्त-सप्ती:] सूर्य, रवि ।
. ध्वनि। सपतसुर-देखो 'सप्तस्वर' ।
सपाट-वि० पाट की तरह समतल, सीधा। सपतहर (हरि)-पु० [सं० सप्त-हरि] सूर्य, रवि ।
सपाटी-पु० [स० सर्पण] १ चलने, उड़ने प्रादि का वेग, गति । सपतारचि (ची)-स्त्री० [सं० सप्ताचि] अग्नि, माग ।
२ चाल या गति से उत्पन्न ध्वनि । स्वपताळू-पु. एक प्रकार का रंग ।
सपात-वि०१ पत्र या पत्तों सहित । २ सुपात्र । सपतास, सपतास्व-देखो 'सप्तास्व'।
सपातो-वि. १ अधिकारी व्यक्ति । २ रक्षा करने वाला, सपती, सपती-स्त्री० १ अग्नि, भाग । -पु० [सं. सप्ति] रक्षक। घोड़ा, अश्व।
सपावलक्ष-देखो ‘सवालक' । सपती, सपती-पु० [स० सप्ताह] १ सात दिनों का समूह । | सपापो-वि० पापी, दोषी।
२ रविवार से शनिवार तक का समय । ३ सात दिन तक | सपाल्य (ल्यो)-वि० [सं० स+पालन] १ सुरक्षा सहित, होने वाली कथा या सत्संग।
सुरक्षित । २ बेरोकटोक स्वतत्र । सपत्त-देखो 'सप्त'।
सपाह-पु० [सं० सुपभु] राजा, नृप । सपत्ती-देखो 'सपती'।
सपिंड-पु० शास्त्रानुसार एक ही कुल का। सपत्ती-वि० १ सफल, कामयाब । २ देखो 'सप्ताह' ।
सपिडी-स्त्री. मृतक के पीछे किया जाने वाला कर्म या सपत्नी-स्त्री० सौतिन, सौत। -वि. पत्नी के साथ या सहित।। संस्कार विशेष ।। सपथ-पु० [सं० शपथ] १ कसम, सौगंध । २ वचन, कोल । .
सपीड़ (डो)-पु. १ दौड़ने से उत्पन्न ध्वनि । २ पीटने की सपथततु (तंतू)-देखो 'सप्ततंतु'।
आवाज । -वि० दर्द सहित, दर्द पूर्ण । सपद, सपदि-क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत ।
सपीटी (ठी)-वि० चिकनी, मुलायम । सपनंतर-पु. स्वप्न । -क्रि०वि० स्वप्न में ।
सपीठ-वि०१ मजबूत । २ समतल । सपनो, सपनो-देखो 'स्वप्न'।
मपुत, सपुतर, सपुत्र, सपूत-पु० [सं० सुपुत्र] १ माता-पिता का
प्रज्ञाकारी एव भक्त पुत्र । २ भला एवं सरीफ। व्यक्ति सपमपाट-वि० १ समतल, सपाट । २ नाश, संहार ।
--वि० १ वीर, योद्धा । २ योग्य, समझदार । सपरस-देखो 'स्परस'।
सपूतपरण (पणौ)-पु० सुपुत्र एव भले प्रादमी के कार्य । गुग । सपरसणौ (बौ)-क्रि० [सं० स्पर्श] छुना, स्पर्श करना। सपूताचार, सपूताचारो (सपूताचार)-पु. श्रेष्ठ, कार्य, कर्तव्य । सपरसदिसा-स्त्री० [सं० स्पर्श-दिशा] सूर्य या चन्द्र ग्रहण के | सपूती-स्त्री. १ सपूत होने की अवस्था या भाव । २ पाजाकारी प्रारंभ की दिशा।
पुत्रों वाली माता या स्त्री।
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