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सभ्यता
( ७२४ )
समाहरण
सभ्यता-स्त्री० [सं०] १ सभ्य होने का भाव, शिष्टता। समकत-देखो 'सम्यकन्व' ।
२ सज्जनतापूर्ण व्यवहार । ३ नम्रता, भद्रता । ४ किसी समकारणी (बो)-क्रि० बजाना । राष्ट्र या समाज में प्रचलित वे विचारधाराएँ या प्राचार | समकाळ -पु० [सं० समकाल] एक ही समय या क्षरण ।
संहिता जो शिक्षित एवं सामाजिक होने को सूचक होती हैं। समकालीन-वि० [सं०] १ एक ही समय से संबंधित। २ एक सभ्रम-देखो 'संभ्रम'।
ही समय होने वाला। समंक-पु० १ चन्द्रमा, सोम । २ मांकड़ों का समूह ।
समकित-देखो 'सम्यकत्व' । समचार-देखो 'समाचार' ।
समकिती-बि. श्रद्धान की क्रिया करने वाला, सम्यकत्व का समछर-देखो 'संवत्सर'।
पालन करने वाला। समंजरण-पु. स्नान, मज्जन ।
समकोस-पु० [सं० समकोष] एक प्राचीन देश । समंजणौ (बी)-क्रि० [स० संमार्जनम्] १ स्नान करना, नहाना।
समकौर-वि० एक समान, बराबर । ___२ देखो 'समझो ' (बी)।
समखरणी (बौ)-देखो 'चमकरणों (बो) । समंजर-वि० मंजरी युक्त।
समखी-स्त्री० बात, तर्क-वितर्क । समंडळ-पु० [सं० समण्डल] सूर्य, भानु ।
समग-देखो 'समिग'। समंत-देखो 'सामंत'।
समगत-देखो 'सम्यकत्व' । समंद-पु. १ एक प्रकार का फूल । २ हर्ष, प्रानन्द । ३ बेष्ठ |
समगना (समगिना)-स्त्री० [सं० समज्ञा] यश, कीति । घोड़ा, अश्व । ४ बादामी रंग का वह घोड़ा जिसके कुछ
समषि-पु० [सं० सम्यक] सत्य, सांच । अंग काले होते हैं । ५ समुद्र, सागर ।-करण-पु० मोती,
| समग्ग, समग्र, समनि-वि० [सं० समग्र] तमाम, सब, समूचा,
सम्पूर्ण । मुक्ता ।-फेण-पु. समुद्रफेन ।-मेखळा-स्त्री. पृथ्वी,
समडणी (बौ)-क्रि० चलना। धरती ।-व्यूह-पु० समुद्र व्यूह। -सुत, सुतन-पु. चन्द्रमा,
समडारणी (बो), समडावरणौ (बो)-क्रि० चलाना । चांद । अमृत । चौदह रत्नों में से एक ।
समचई-देखो 'समचेई'। समंदर-पु० समुद्र।
समचार-देखो 'समाचार' समंदरी-स्त्री. १ नंऋत्य कोण से बहने वाली हवा । २ एक
समचेइ. समच-वि० सब, समस्त ।-क्रि०वि० १ ठीक उसी विशेष रंग का घोड़ा।
समय तत्काल । २ एक ही साथ। ३ साथ लगकर । समंबहुलास-पु० हर्ष, मानन्द ।
४होते ही। समंदी, समंद्र-देखो 'समुद्र'।
समचौ-पु० १ सूचना, संदेश, खबर । २ अवसर, मौका, समय । समंध-देखो 'सबंध'।
समज-देखो 'समझ'। समसणो (बी)-क्रि०१ चिन्ता करना । २ पश्चाताप करना। समजण-पू० समझना या मानना क्रिया। सम-वि० [सं०] १ समान, सदृश । २ बराबर, तुल्य । ३ एकसा, समजणौ (यो)-देखो 'समझरणो' (बो)।
समरन । ४ जिसका तल बराबर हो, ऊचा-नीचा न हो। समजत, समजतियो, समजती (सी)-वि० १ समान शक्ति या ५ उतार-चढ़ाव या तेजी-मढी रहित ।-पु० [सं० शम] बल वाला । २ हर तरह से समता कर सकने वाला। १ शांति । २. मोक्ष । ३ शमन निवृत्ति। ४ ठीक-ठीक ३ पंडित, विद्वान । ४ उदार, दातार । विभाजित होने वाली संख्या । ५ तीन प्रकार की वयण समजथा-स्त्री० डिंगल गीत रचना की एक विधि । शैली। सगाई में से एक । ६ वर्गमूल संबधी सीधी रेखा । ७ ताल समजारणौ (बी)-देखो 'समझारणों (बो)। का निश्चित स्थान या ताल को निश्चित भावृत्ति का प्रथम समजायता-स्त्री० [सं० समज्या] सभा। माप । ५ हाथ को छड़ी या हाथी के दांत मादि पर लगने समजोत-स्त्री० [सं०सज्योति] पांच प्रकार की मुक्तियों में से एक । वाला हल्ला । ९ वर्ष, साल । १० भगवान् विष्णु का एक समज्जणी (बो)-देखो 'समझणो' (बी)। नाम ।
समन्जि. समज्या-देखो 'समिजा' । समअर-देखो 'समर'।
सपश, समझरण-स्त्री० [सं० सबुद्धि] १ प्रक्ल, बुद्धि, विवेक । समइ, समइये, समइयो, समईयो-देखो 'समय'।
२ बुद्धिपानी चतुराई । -पृ. ३ बुद्धिमान, चतुर व्यक्ति । समउ-वि० सम, समान।
४ होश-हवाम । -वार-वि० बुद्धिमान, अक्लमंद । समउरण-पु० [सं० समन] ब्रह्मा ।
-दारी-स्त्री. बुद्धिमानी, चतुराई । -वांन, वार-वि. समकरणो (बो)-देखो 'चमकरणो' (बी)।
बुद्धिमान, चतुर, कुशल । विवेकशील । धंयवान ।
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