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विदुत्रिवेणी
( १९५ )
विकटारगण
विदुत्रिवेणी-स्त्री० [सं०] स्वर साधन की एक प्रणाला । विअक्खरण (णि, सु)-देखो "विचक्षण' । विदुमति (ती)-स्त्री० अयोध्या के राजा मान्धाता की पत्नी। विप्रखरी, विमख्यरी-देखो 'बेप्रखरी' । बिंदुमाधव-पु० [सं०] काशी में स्थित विष्णु की मूर्ति का नाम।। विप्रद-पु० [सं० वियत् प्राकाश, नभ । विंदुळरथी-स्त्री० [सं० विदुल-रथ्या] कुंज गली। | विद्यापरणो (बी)-देखो 'व्यापरणों' (बी)। विदुली-देखो "बिंदी'।
विआपी- देखो 'व्यापी' । २ देखो 'वापी'। विंदुसर-पु० [सं०] १ कैलाश पर्वत स्थित एक सरोवर । २ एक | विधारणम-स्त्री० [सं० वि-प्रतारणम्] मार-पीट । प्रताड़ना। - प्राचीन नदी।
विआस-देखो 'व्यास'। विंबी-१ देखो 'बींद'। २ देखो 'बंदी'।
विइगिच्छा-स्त्री. विचिकित्सा। विंध-देखो 'विध्य'।
विइत्त-वि० [सं० विदित्वा] जानकार। विंधणो (बो), विधणी (बौ)-देखो :बिंधणी' (बी)।
विइय-वि० [सं० द्वितीय] १ दूसरा । २ विदित। विंधर-वि० प्रशब्दावी।
विउड-देखो विकट'। विधांचळ-देखो 'विध्याचळ' ।
विउरण-देखो "विवरण'। विंध्य-पु० [सं०] १ उत्तर भारत के दक्षिण में स्थित एक | विउल-देखो 'विपुल'।
प्रसिद्ध पर्वत, विध्याचळ । २२वत मुनि के पुत्रों में से एक। | विउलप्रसणपाण-पु० [सं० विपुलामसनपान] विपुल खानविष्यकूट-पु. [सं० विध्यकूटनं] १ अगस्त्य मुनि की एक उपाधि।
| पान, पुष्कल भोज्य-पदार्थ । २ विंध्य पर्वत।
विउलतव-पु० [सं० विपुलतप] विपुल या कठोर तप । विंध्यगिरि-पु० [सं०] विध्य पर्वत, विध्याचल । -पावमूळ-पु० | विउलधरण-पु० [सं० विपुलधन विपुल या पर्याप्त धन । ___ इस पर्वत की तलहटी।
विउलसग्ग-पु० [सं० विपुल सर्ग] व्युत्सर्ग, कायोत्सर्ग, एक तप विंध्यवासिणी (मी)-स्त्री० [सं० विध्य वासिनी] १ मिर्जापुर | विशेष।
जिले में विद्य पर्वत के एक टीले पर स्थित देवी मूर्ति | विउलसिरी-देखो 'मौलसिरी। विशेष । २ दुर्गा की एक उपाधि ।
विऊ-वि० [सं० विद्] जानकार, वेत्ता। विंध्यवासी, विध्यस्थ-पु० [सं०] संस्कृत के व्याडि मुनि की | विनोग, वियोग-देखो 'वियोग'। उपाधि ।
विकंपन-पु० [सं०] १ रावण पक्ष के एक राक्षस का नाम । विंध्याचळ-पु० [सं०] भारत के मध्य में पूर्व से पश्चिम तक २ रुद्रगणों में से एक ।
फैली हुई एक पर्वत श्रेणी, विध्यगिरि, बिध्यादि । | विकंपुर-देखो 'विक्रमपुर'। विंध्यावळि (ळी)-स्त्री० [सं० विध्यावलि] दैत्यराज बलि की विकच-पु. [सं०] १ एक प्रकार के धूमकेतु जिनकी संख्या ६५ -पत्नी का नाम ।
है। २ बौद्ध भिक्षुक । ३ केतु का नामान्तर ।-वि० १ खिला विंबार, विंभार-देखो 'बंबार।
हुमा, फैला हुमा । २ बिखरा हुमा । ३ बाल या केश धिभौ-देखो 'वैभव'।
रहित । बिंयासियो-देखो 'बयासियो।
विकचा-स्त्री० [सं०] विरूपक नामक नैऋत्त राक्षस की पत्नी। विंस-वि० [सं० विश] बीसवां। -पु. १ एक प्राचीन राजा। विकट-वि० [सं०] १ भयंकर, भीषण, विकराल । २ चौड़ा, २ देखो 'बीस'।
प्रशस्त । ३ विशाल, बड़ा। ४ जबरदस्त । ५ बलवान, विसतिबाहु-पु० [सं० विशतिबाह] रावण का एक नामान्तर।। शक्तिशाली। ६ दुर्गम, दुरूह, दुस्साध्य । ७ कठिन, विसोत्तरी-स्त्री० [सं० विशोत्तरी] शुभाशुभ फल जानने की मुश्किल । ८ बदशक्ल, कुरूप, भौंडा, भद्दा । ९ उग्र, तीव्र । एक रीति।
१० टेढ़ा, वक्र । ११ महंकारी, अभिमानी । १२ जंगली, विहचरणौ (बो)-देखो 'बैंचरणो' (बी)।
अभद्र । -पु०१ विस्फोट । २ बाल-तोड़, फोड़ा। ३ सेना, वि-अध्य० [सं०] १ किसी शब्द के पूर्व लगकर विशेष अर्थ |
फौज । ४ सोमलता । ५ एक डिंगल गीत । ६ धृतराष्ट्र का उत्पन्न करने वाला एक उपसर्ग । २ भी । ही। -पु० एक पुत्र । ७ रावण पक्ष का एक राक्षस । ८ रुद्र गणों मैं [सं० वि.] १ रवि ।२ शशि। ३ दधि । ४ पक्षी।। से एक । ९ सिंह, शेर । १० जैनियों के ८८ ग्रहों में से ५ गरुड़ । ६ लवा । ७ घोड़ा। पांख । ६ आकाश ।। ५० वां ग्रह। १०पन्न । ११ देखो 'बी'।
विकटांणण (नन)-देखो "विकटानन' ।
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