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विस्तर
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( ६४१ )
विस्तर - go सुदर्शनचक्र | विस्णु - पु० [सं० विष्णु ]
१ परब्रह्म एवं ईश्वर का नामान्तर । सर्व प्रधान देव जो सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं । २ अग्निदेव । ३ श्रीकृष्ण का नामान्तर । ४ तपस्वीजन । ५ बारह प्रादित्यों में से एक । ६ विष्णू स्मृति की रक्षा करने वाले एक ऋषि ७ चौसठ भैरबों में से एक। मृगुवंश में उत्पन्न एक गोत्रकार कालिक मास में अश्वतर नाग, रंभा अप्सरा, गंधर्व एवं यक्षों के साथ घूमने वाला सूर्य १० बठारह पुराणों में से एक।
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श्रीशंकराचार्य श्रीशंकराचार्य द्वारा
द्वारा
विस्णुचकर (चक्र ) - पु० [सं० विष्णुचक्र ] भगवान विष्णु का
सुदर्शन चक्र ।
विस्तरपण - पु० [सं० विष्णुतर्पण] किसी बालक के मरने के तीसरे दिन दूध, जल, तिल आदि से किया जाने वाला सर्पस विस्णुतिय तिथि पी० [सं० विष्णुतिथि एकादशी घोर ( ) - स्त्री० द्वादशी दोनों तिथियों का नामान्तर ।
विस्णुतेल - पु० [सं० विष्णुर्नल ] वात रोगों में काम घाने वाला वैद्यक में एक तेल |
विकांची० [सं० विष्णुकांची]
स्थापित दक्षिण का एक तीर्थं । विस्णुकांता स्त्री० प्रोषध में काम आनेवाली एक जड़ी विशेष विक्रम १० [सं० विष्णुक्रम] भगवान विष्णु का पाद या पद विक्रांत पु० [सं० विष्णुक्रांत] संगीत में एक ताल विशेष । विक्रांता स्त्री० [सं०] [विष्णुक्रांता] श्वेत कोयल नामक एक
लता ।
विस्य विस्णुगंगा स्त्री० [सं० विष्णुगंगा ] एक प्राचीन नदी विस्णुगुपत ( स ) १० [सं० विष्णु गुप्त ] चाणक्य का एक विस्णुवाहण (न)-१० [सं० विष्णु वाहन] ग गुप्त - पु०
नामान्तर ।
विस्वत, विस्वत्या पु० [सं० विष्णुदेवत्या] १ श्रवण नामक नक्षत्र जिसके स्वामी विष्णु माने जाते हैं। २ चन्द्र मास के दोनों पक्षों की एकादशी एवं द्वादशी तिथियां विस्णुद्वीप पु० [सं० विष्णुद्वीप ] पुराणानुसार एक द्वीप । विष्णुधरमा स्त्री० [सं० विष्णुधर्मा] गरड़ को प्रमुख संतान गरुड़ बिस्णुधरमोत्तर ० [सं० विष्णुधर्मोत्तर] विष्णुपुराण का एक अंग ।
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विष्णुधारा स्त्री० [सं० विष्णुधारा] १ एक पौराणिक नदी २ एक प्राचीन तीर्थं ।
विस्णुपथ - पु० [सं० विष्णुपथ ] प्राकाश, व्योम | विष्णुपद पु० [सं० विष्णुपद] १ प्राकाम, व्योम २ स्वर्ग,
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वैकुण्ठ । ३ क्षीरसागर । ४ कमल । ५ विष्णु के पैर । ६ एक प्रकार का मात्रिक छन्द । ७ विपाशा नदी के समीपस्थ एक तीर्थं ।
विस्णुपदी-स्त्री० [सं० विष्णुपदी ] १ भागीरथी, गंगा । २ द्वारिकापुरी ३ बुध, वृश्चिक, कुंभ व सिंह यादि की संत्रांति
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विस्तरता
बिस्णुपुरी (पुरी)- १० [सं० विष्णुपुर ] स्वर्गलोक, बैकुण्ठ । विस्णुप्रयाग-पु० [सं० विष्णु प्रयाग ] विष्णु गंगा व अलकनंदा के समीप हाथी पर्वत के पास का तीर्थ स्थान । विस्णुप्रिया - स्त्री० [सं० विष्णु प्रिया ] १ भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी । २ तुलसी का पौधा ।
विस्णुप्रीति रुषी० [सं० विष्णुप्रीति] १ भगवान विष्णु की पूजा या भक्ति । २ पुजारी को दी जाने वाली बिना लगान की भूमि ।
विस्मुरच पु० [सं० विष्णुरथ] विष्णु का वाइन ग विस्णुलोक - पु० [सं० विष्णुलोक ] स्वर्ग, वैकुण्ठ । विस्णुवल्लभा - देखो 'विस्णुप्रिया' ।
विस्णुजुर (ज्वर ) - पु० [सं० विष्णुज्वर ] एक प्रकार का ज्वर विस्णुव्रत - पु० [सं० विष्णुव्रत ] पौष शुक्ला द्वितीया से चार जो शत्रुनों का नाशक माना जाता है । दिन तक किया जाने वाला व्रत ।
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विष्णु विवाह पु० [सं० विष्णुविवाह ] एक प्रकार का वैधव्यहर जिसमें कन्या का विवाह पहले विष्णु से कर दिया जाता है।
विस्णुसकति ( सक्ति, सगति) - स्त्री० [सं० विष्णुशक्ति ] लक्ष्मी । विस्णुसप्तमी - स्त्री० [सं० विष्णु सप्तमी] मार्गशीर्ष मार्गशीर्ष शुक्ला
सप्तमी की विष्णु की पूजा
विस्णुसिल (सिला) स्त्री० [सं० विष्णु शिला] सालिग्राम विखळ (ळा ) - स्त्री० [सं० विष्णु व खला] अवरण नक्षत्र में पाने वाली द्वादशी ।
विस्णुस्वामी - पु० [सं० विष्णुस्वामी] वैष्णव सम्प्रदाय वा रामावत साधुयों की एक शाखा । विष्णु-देखो 'विष्णु'
विस्तर विस्तर- देखो 'बिस्तर' ।
विस्तरण - वि० विस्तार करने वाला, फैलाने वाला ।
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विस्तरणौ (at) - क्रि० १ उच्चरित होना, ध्वनित होना; गूंजना | २ विस्तार पाना, व्याप्त होना। फैलना । ३ प्रफुल्लित होना, धानन्दित होना ४ बिखरना, छितरना, फैलना । ५ हरा-भरा होना, लहलहाना । ६ गमन करना, जाना । ७ तितर-बितर होना, फैलना ।
विस्तरता - स्त्री० [सं०] बहुत या अधिक होने की अवस्था
या भाव ।