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सकड़
सकळात
सकड़-वि० जबरदस्त, शक्तिशाली।
सकमळकर-पु० सं० स कमल-कर] विष्णु । सकज (जो)-देखो 'सकज्ज'।
सकयत्थो-वि० [सं० सकृतार्थ] कृतार्थ निहाल । सकजापरण (को)-पु० शक्ति, पराक्रम, शोर्य ।
सकर-१ देखो 'सक्र' । २ देखो 'सक्कर' । सकज्ज-पु० हाथी, गज ।-वि० १ समर्थ, शक्तिशाली। २ कार्य | सकरकंद (वी)-पु० [सं० शर्करा कंद] एक प्रकार का प्रसिद्ध कर्ता । ३ कुशल कार्यकर्ता । ४ योग्य, लायक, काम का। कंद। ५ अत्तम, बोष्ठ। ६ वीर, बहादुर ।-क्रि० वि० लिए, | सकर (को)-वि० जबरदस्त, बलवान, शक्तिशाली। वास्ते, हेतु ।
सकरण-पु० संहार, नाश ।-वि० [सं० सकर्ण] १ जिसके कान सकज्जाई-स्त्री० बहादुरी, वीरता।
हो । २ जो सुनने में समर्थ हो। सकट-पु० [सं० शकट] १ गाड़ी, छकड़ा । २ रथ । ३ शकटासुर | सकरणी (बी)-क्रि० १ स्वीकार होना, मंजूर होना । २ भुनना,
दैत्य । ४ एक प्रकार का सैनिक म्यूह। ५ एक तोल भुगतान होना। विशेष । -वि० बुरा, कुत्सित, पापी।
सकरपारी-पु० [सं० शकरा-पार] १ एक प्रकार का व्यंजन, सकट भेद-पु० [सं०] जन्म पत्री में एक लग्न ।
विशेष । २ नींबू से कुछ बड़ा एक फल । ३ स्त्रियों के शिर सकटहा-पु० [सं० शकटहा] श्रीकृष्ण ।
पर धारण करने का प्राभूषण विशेष । ४ एक प्रकार का सकटार-पु० [सं० शकटार] चाणक्य का सहयोगी व महानंद | प्राम । ५ चतुष्कोणीय प्राकृति जिसकी लंबाई अधिक व का प्रधान ।
चौड़ाई कम होती है। सकटारि-पु० [सं० शकटारि] श्रीकृष्ण ।
सकरांणी-पु० १ शक्कर मिला भात या पदार्थ । २ देखो सकटासुर-पु० [सं० शकटासुर] एक दैत्य जिसे श्रीकृष्ण ने | 'सुकराणो'। मारा था।
सकराणी (बौ)-क्रि० १ भुनवाना, भुगतान लेना। २ स्वीकृत सकटिका, सकटी-स्त्री० [सं० शकटिका] १ छोटी गाड़ी।। कराना। २ बग्घी। ३ गाड़ी।
सकरायंत-देखो 'संकरांत'। सकट्ठ (6)-देखो 'सकट'।
सकरायतमाता-स्त्री० एक देवी विशेष । सकठस्थ-वि० [सं० शकटस्थ] रथ या गाड़ी में बैठा हुआ। सकरियो-पु. स्वर्णकारों का एक प्रौजार विशेष । सकपो (बो-क्रि० १ कार्य करने योग्य, समर्थ या सक्षम होना। सकरोड़ो-देखो 'सखसे'। (स्त्री० सकरोड़ी) २ संभव होना, करने की स्थिति में प्राना।
सकरी-१ देखो 'सखरो' । २ देखो 'सिकरो' । (स्त्री० सिकरी) सकत-१ देखो 'शक्ति' । २ देखो 'सख्त' ।
सकळक, सकलंकी-पु० [सं० सकलंकित्] चंद्रमा, चांद ।-वि. सकतमंत्र-देखो 'सक्तिमंत्र' ।
जिसके कलंक या दोष लग गया हो। सकति-देखो 'सक्ति'।
| सकलंकित-वि० कलंक सहित, कलंकित । सकतिभू-पु० [सं० शक्ति-भू] कात्तिकेय, षडानन ।
सकळ-पु० [सं० सकल] १ निर्गुण, ब्रह्म । २ प्रकृति । ३ घास सकतिवंत-वि० शक्तिशाली, बलवान ।
या तृण । ४ सेना, फौज। [सं० शकल:] ५ खण्ड, भाग, सकतिहथी-वि० शक्ति या शस्त्र रखने वाला।
टुकड़ा ।-वि० १ सब, समस्त पोर सम्पूर्ण। २ जिसमें सकती-देखो 'सक्ति' ।
कला हो।-क्रि० वि० सब जगह, सर्वत्र। सकतीधरण (धारण, धारी)-पु० [सं० शक्तिधारिन] गरुड़।
सकल-स्त्री० [फा० शक्ल] चेहरे की बनावट, पाकृति । सकतीपुर (पुरी)-देखो 'सक्तिपुर'।
सकळपातमा (आत्मा)-पु० [सं० सकल-मात्मा] कामदेव । सकत्त-१ देखो 'सक्ति' । २ देखो 'सस्त' ।
सकळकळ-वि० सोलह कला युक्त । सकत्ति (ती)-देखो 'सक्ति' ।
सकळजगपाळक-पु० [सं० सकलजगपालक] ईश्वर, परमेश्वर । सकन-देखो 'सुगन'।
सकळजगणी (जननी)-स्त्री० १ दुर्गा, देवी, जगदम्बा । सकनकूर-पु० [अ० सकन्कूर) गोह की तरह का एक जीव,
२ प्रकृति । रेत को मछली।
सकळा, सकला-वि० कला सहित, कलायुक्त । सकपकाणी (बी)-क्रि० पाश्चर्य चकित होना।२ हिचकिचाना। सकळाई-स्त्री. १ चमत्कार, करामात । २ बल, शक्ति । ३ शर्माना । ४ असंतुलित, चंचल होना ।
३ सिद्धि। सकबंध (धी)-देखो 'साकाबंध' ।
| सकळात,सकलात-पु० १ एक वस्त्र विशेष । २ देखो 'सकळायत'।
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