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संसीत
संहार
५ योग सिद्धि। ६ मोक्ष, मुक्ति -वि० पूर्ण सम्पन्न । ४ व्यवस्था, मर्यादा । ५ विधि. तरीका। ६ रहन-सहन योग सिद्ध ।
का नियमित ढंग । ७ ठहराव, विश्राम । ८ अभिव्यक्ति । संसीत-वि० ठंड से जमा, ठंडा।
६ मृत्यु । १० शव का सस्कार । संसे, संस-देखो 'संसय' ।
संस्थापक-वि० [स०] १ स्थापित करने वाला। २ शुरूपात संसोभित-वि० सुशोभित ।
या प्रारंभ करने वाला। ३ निर्माण करने या बनाने संसोसण : पु० [सं० संशोषण] शोषण, सोखना क्रिया।
वाला । संसो-देखो 'सांसो'।
संस्परता-स्त्री० [सं० संस्पर्धा] १ ईर्ष्या, द्वष। २ किसी के संस्करण-पु० [सं०] १ दुरुस्त या ठीक करने की क्रिया ।
बराबर या समान होने की इच्छा । २ संस्कार करना क्रिया। ३ पुस्तक, पत्रिका प्रादि की एक | HA-GO म संम्पयंप्रचछी तरह से स्पर्श होने का बार की छपाई, प्रकाशन, प्रावृत्ति।
भाव । २ संगम, संयोग । ३ संसर्ग, मथुन । संस्कार-पु० [सं०] १ सुधार, दुरुस्ती। २ संशोधन, शुद्धि । संस्फोट सस्फोट-पु० [सं० संस्फोटः] युद्ध, समर ।
३ शिक्षा, उपदेश । ४ पूर्व जन्म की वासना। ५ धार्मिक संस्मरण-पु० [सं०] १ अच्छी तरह या पूरी तरह याद, दृष्टि से शुद्धिकरण । ६ द्विजातियों में होने वाले जन्म से ____ स्मरण । २ संस्कारजन्य ज्ञान । मृत्यु तक के कार्य । ७ मृतक क्रिया । ८ धार्मिक अनुष्ठान । संस्रत, संस्रति-स्त्री० [सं० संसृतिः] १ जन्म ! २ अावागमन, ९ शारीरिक व मानसिक शुद्धि । १० विचारधारा, | भवचक्र । ३ पाने-जाने का मार्ग। ४ संसार, जगत । सिद्धान्तों के अनुसार मन पर जमने वाला प्रभाव । ५ याददाश्त । ११ परिशोधन । -हीण-वि० जिसका संस्कार या शुद्धि | संस्त्रय-पु० [सं० संश्रय] १ शरण, प्राश्रय । २ अभिसंधि, मेल,
सुलह । ३ शरणस्थल, घर। संस्क्रत-स्त्री० [सं० संस्कृत] १ भारत की प्राचीन साहित्यिक | संस्रस्ट-पु० [सं० संसृष्ट] एक पर्वत का नाम ।।
भाषा जो वैदिक भाषा के बाद प्रचलित हई । देववाणी।। संत्रस्टि-स्त्री० [सं० संसृष्टि] १ मिलावट, मिश्रण । २ परस्पर २ व्याकरण के नियम से बना शब्द । ३ धार्मिक प्रथा ।
सम्बन्ध लगाव । ३ घनिष्ठता । ४ काव्यालंकारों का ४ सस्कारित व्यक्ति या वस्तु । ५ पुरुषों की बहत्तर कलामों
| समन्वय । (साहित्य) में से एक ।-वि० १ जिसका संस्कार कर दिया गया हो, संस्त्र त-वि० [सं० संवत] स्वीकृत, अंगीकृत । परिष्कृत, शोधित । २ सुधारा हुमा, दुरुस्त । ३ पकाया | संहंसकर-देखो 'सहस्रकर'। हुप्रा ।
सहसदोयचख-पु० [सं० द्विसहस्रचक्षु] शेषनाग । संस्क्रतजल्प-स्त्री० स्त्रियों की ६४ कलामों में से एक । संहसदोयस्रवण-पु० [सं० द्विसहस्रश्रवणः] शेषनाग । संस्कृति, संस्क्रती-पु० [सं० संस्कृति] १ संस्कार करने की | संहट-पु० [सं० सघट] बैठक ।
क्रिया । २ किसी समाज या राष्ट्र की माचरणगत परंपरा, संहति-पु० [सं०] समूह । सभ्यता व रहन-सहन सम्बन्धी बातें । ३ दार्शनिक, | संहरण-पु० [सं०] १ पूर्णता । २ एकत्रीकरण, संग्रह । ३ नाश, साहित्यिक व नैतिक चिन्तन, प्रादर्श। ४ समाज विशेष | संहार । के व्यक्तियों के दैनिक जीवन सम्बन्धी बातें।
संहरणो (बो)-देखो 'संघरणो' (बी)। संस्तव-पु० [सं०] १ प्रशंसा, तारीफ । २ स्तुति । ३ परिचय। | संहरत्ता-वि० [सं० संहर्ता] नाश करने वाला, संहार कर्ता। संस्तवरणो (बो)-क्रि० [सं० संस्तवम् गुणगान करना, कीति- | संहरस-पु० [सं० संहर्ष] १ रोमांच । २ पुलक । ३ प्रतिस्पर्धा । . गान करना, स्तुति करना।
४ प्रानन्द, हर्ष। संस्तूत-देखो 'संस्तव'।
संहळाद-पु. [स०] भक्त प्रहलाद के बड़े भाई का नाम । एक संस्थल-पु० एक प्रकार का शस्त्र ।
असुर । संस्थान-पु० [सं० संस्थान] १ ठहरने की क्रिया या भाव । | संहसपात-पु० [सं० सहस्र-पत्र] कमल ।
२ ठहरने का स्थान । ३ शिक्षा प्रादि का कोई छोटा केन्द्र। | संहसफरण-पु० [सं० सहस्र-फण] शेषनाग ।
शाला । ४ किसी विशेष कार्य से बना विभाग । ५ सभा। | संहार-पु० [सं०] १ नाश, ध्वंस । २ प्रलय। ३ संहार, विनाश । संस्था-स्त्री० [सं०] १ ठहरने की क्रिया या भाव । २ सभा, ४ एक नरक का नाम । ५ एक भैरव का नाम । ६ संचय,
मंडल । ३ कार्य या उद्देश्य विशेष से गठित समिति ।। संग्रह ।-वि० नाश करने वाला, विध्वंसक ।
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