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सगळीगर
( ७०३ )
सड़रणी
सगळीगर-देखो 'सिकळीगर' ।
सगौ-पु. (स्त्री० सगी) १ बेटी या बेटे के ससुराल का व्यक्ति । सगळे, सगळे-क्रि० वि० सर्वत्र, सब जगह ।-वि० [सं० सकल २ सम्बन्धी, रिश्तेदार । ३ सहोदर, भाई। ४ निकटतम सब, समस्त ।
संबंधी या रिश्तेदार । ५ पिता, पितामह या नाना के वंश सगळी-वि० [सं० सकलं] (स्त्री० सगळी) पूरा, समस्त , सब का सदस्य । ६ प्रिय व्यक्ति। का सब।
सम्ग-१ देखो 'सुक' । २ देखो स्वर्ग'। सगस-पु० १ भूत-प्रेत । २ देखो 'सगाह' । ३ देखो 'सख्त' । सग्गपण-देखो सगपण'। सगह-पु. १ सिंह, शेर । २ देखो 'सगाह'।
सगर-१ देखो 'सागर' । २ देखो 'सगर' । सगांन-वि०१ गायन सहित । २ ज्ञान सहित ।
। सग्गह-देखो 'सगाह' । सगा-वि० स्वयं के,खद के।
सग्यांन-पु० [सं० सज्ञान] १ ज्ञानी व्यक्ति । २ बुद्धिमान पुरुष । सगाई-स्त्री० १ संबंध, रिश्ता । २ मंगनी, रिश्ता । ३ रिश्ते- ३ प्रौढ़ व वयस्क व्यक्ति ।-वि० १ चतुर । २ सावधान,
दारी की स्थिति । ४ विधवा का किसी पुरुष से होशियार। संबंध, नाता।
सन-देखो 'सगर'। सगाचार-पु० १ बेटे या बेटी के ससुराल वाला, संबंधी। सनांम-देखो 'संग्राम'। २ रिश्ता, संबंध ।
सघट-वि० दृढ़, मजबूत । सगाढ़ी-वि० १ मजबूत, दृढ़ । २ वीर, बहादुर ।
सघण-पु० १ पहाड़, पर्वत । २ वर्षा । ३ मेघ, बादल । सगातरौ-वि० निकट, पास ।
४ समूह, झुण्ड । ५ घन घटा, बादल ।-वि० १ अधिक, सगातेडो-पु० मृतक के पीछे किया जाने वाला भोज, मोसर । बहुत । २ घना, गहरा । ३ स्थूल, मोटा। सगापण (गो)-पु० सम्बन्धी होने का भाव, प्रात्मीयता। सघरपगाज-पु० पाण्डव पुत्र भीम का एक नाम । सगारत (थ)-पु० १ सगा होने का भाव । २ रिश्तेदारी, सघणवाह-पु० इन्द्र। संबंध । ३ संबंधी, रिश्तेदार।
सघणापी-पु० १ अधिकता, बाहुल्य । २ घना होने की अवस्था सगाळो-पु० निटकतम रिश्तेदार, संबंधी।
या भाव । सगावट-पु. संबंध, रिश्ता, नाता।
सघणो बो)-देखो 'सकणो' (बो)। सगावळ-पु० संबंध, रिश्ता।
सघन-देखो 'सघण'। सगाविध-पु० १ रिश्तेदार, संबंधी । २ धात्मीयता। सघरौ-वि० सपरिवार, कुटुम्ब सहित । सगाह (हो)-वि० १-मजबूत, दृढ़ । २ जबरदस्त, बलबान । सघळउ, सघलउ, सघळू, सघलू, सघळो, सघलौ-देखो 'सगळो' ।
३ गर्व, सहित, सगर्व । ४ सादर, प्रतिष्ठा सहित । ५ क्रोध सघाळो-देखो 'सिंघाळो'। पूर्वक, सक्रोध ।
सङग-पु० [स० षडंग] वेद के छः अंग । सगुड-पु० कवचधारी (हाथी)।
सड़-क्रि० वि० १ शीघ्र, जल्दो । वि० २ छः । सगुण-पु० [सं०] १ सत्व, रज और तम से युक्त साकार ब्रह्म ।
सड़क-स्त्री० ६ यातायात के लिये बना मार्ग, राज्यपथ । २ ईश्वर, परमात्मा। ३ ईश्वर के सगुण रूप का उपासक
२ बोवाई से होने वाला अनाज या अन्य पदार्थ ।-वि० सम्प्रदाय व व्यक्ति । ४ धार्मिक व साधु पुरुष । ५ अच्छा
१ नशे में धुत, तृप्त । २ असली, वास्तविक ।-क्रि० वि० व श्रेष्ठ गुण । ६ डोर चढ़ा धनुष ।-वि० (स्त्री० स गुरणी)
सपाट से। १ गुणवान, चतुर । २ परोपकारी। ३ कृतज्ञ । ४ अच्छी सड़कारण (बो), सड़कावणी (बो)-कि० चाबुक या छड़ी से
प्रादत व व्यवहार वाला । ५ सांसारिक । ६ देखो 'सुगन' । मारना, पीटना । सगुन -१ देखो 'सुगन' । २ देखो 'सगुण' ।
| सड़गुण-पु० [सं० षडगुण] १ छः गुणों का समूह । २ राजनीति सगुर-वि० [सं० सगुरू] महान् , जबरदस्त।
की छः बातें। सगोड़ी, सगोडो (ढो)-पु० [सं० सम्-गोत्र] (स्त्री० सगोड़ी, सड़ज पु० [सं० षड्ज ] संगीत में किसी सप्तक का प्रथम स्वर । ___सगोढ़ी) १ निकटतम रिश्तेदार । २ घनिष्ठ मित्र । सड़रण-स्त्री० सड़ने की क्रिया या भाव।-वि० सड़ने वाला। सगोत, सगीतरी, सगोती, सगोत्र (श्री)-वि० [स० सगोत्रः] | सड़णी (बो)-क्रि० १ किसी वस्तु या शरीर के अंगादि में
१ एक ही जाति का, सजातोय । २ अपने वंश का, कुल विकार उत्पन्न होना। २ विकृत होकर दुर्गन्ध देना । का। ३ सम्बन्धो। ४ कुल, वंश । ५ दूर का नातेदार। | ३ विकृत होने से कीड़े पड़ जाना। ४ द्रव पदार्थों में
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